पति या पुरुष पर घरेलू हिंसा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 04:34 PM

domestic violence on husband or male

प्रस्तावनाअक्सर हम हमेशा से सुनते आये हैं कि घरेलु हिंसा सिर्फ महिला ही सहती है लेकिन क्या कभी हमने सुना है की एक पुरुष भी घरेलु हिंसा का शिकार होता है । ये कहना सच है पुरुष महिला के मुक़ाबले शारीरिक रूप से मजबूत होता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं की वो...

प्रस्तावनाअक्सर हम हमेशा से सुनते आये हैं कि घरेलु हिंसा सिर्फ महिला ही सहती है लेकिन क्या कभी हमने सुना है की एक पुरुष भी घरेलु हिंसा का शिकार होता है । ये कहना सच है पुरुष महिला के मुक़ाबले शारीरिक रूप से मजबूत होता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं की वो घरेलु हिंसा न सहता हो । और ये वो हिंसा होती है जिसे चाहकर भी कोई पुरुष किसी को बता नहीं सकता या बताना नहीं चाहता । क्योंकि समाज मानने को तैयार नहीं और कानून का भी इस मामले में कोई सहारा नहीं है । आज के दौर में अगर एक महिला चाहे तो अपने पति या पुरुष  को घरेलू हिंसा कानून के सहारे जेल भिजवा सकती है । लेकिन ये हक़ किसी पति या पुरुष को नहीं है ।

 

घरेलू हिंसा झेलने वाले पुरुषइस श्रेणी में सबसे पहला स्थान पति का होता है उसके बाद ससुर फिर जेठ फिर देवर और फिर कोई भी पुरुष जो की पति से ताल्लुक रखता है । जरूरी नहीं की पुरुष शादी शुदा हो अगर वो लिव इन में रह रहा है तो भी वो किसी न किसी रूप से घरेलू हिंसा का शिकार होता है । समाज क्या कहता हैसमाज ये मानने को तैयार नहीं की पति या पुरुष भी कभी घरेलू हिंसा का शिकार हो सकता है । अगर कभी कोई पति या पुरुष ये बताने की कोशिश भी करेगा तो उसका मज़ाक उड़ाया जाएगा और उस पर व्यंग मारा जाएगा की एक औरत से पिट गया । थू है तेरी मर्दानगी पर । इसी कारण पति या पुरुष अपने हुए अत्याचार को किसी से कहता नहीं ओर अंदर ही अंदर घुलता रहता है और धीरे धीरे बीमारी का घर बनता चला जाता है । और आखिर में एक दिन उसकी ज़िंदगी भी समाप्त हो जाती है ।  

 

समाज में माना जाता है कि एक पति या पुरुष कभी भी महिला के जुल्मों का शिकार नहीं हो सकता है. उसे कई वैधानिक,सामाजिक कानूनों या आर्थिक मदद से सिर्फ इसलिए वंचित किया जाता है क्योंकि वह पुरुष है. आजकल तो समाचार पत्र, टीवी, सिनेमा आदि औरत को बहुत ताकतवर दिखाया जा रहा है. घर ही नहीं, कार्यक्षेत्र में भी उस का दबदबा होता है. घरेलु हिंसा के प्रकारकोई भी महिला खासतोर से पत्नी अपने पति या पुरुष  का काफी तरीको से घरेलु उत्पीड़न करती है । जैसे कि मानसिक पीड़ा देना, पारिवारिक सदस्य से न मिलने देना, दोस्त और रिश्तेदार ओर आस पड़ोस से न मिलने देना, आत्‍महत्‍या करने की धमकी देना, नामर्द पुकारना, घर से निकलने को विवश करना, बात बात पर टोकना,  थप्‍पड़ मारना, शारिरिक हिंसा, मारपीट करना, ठोकर मारना,दांत से काटना, लात मारना, मुक्‍का मारना, धकेलना, किसी अन्‍य रीति से शारीरिक पीड़ा या क्षति पहुँचाना, दुर्व्‍यवहार करने, अपमानित करने, नीचादिखाने, प्रतिष्‍ठा का उल्‍लंघन, मौखिक और भावनान्‍तम हिंसा, अपमान, गालियॉं देना, चरित्र और आचरण पर दोषारोपण, पूरी सैलरी रख लेना, संभोग न करना,खाने में थूक देना, पति या पुरुष  कि बिना मर्जी से संभोग करना, महिला का बात बात पर आत्महत्या की धमकी देना, बेइज्‍जत करना, ताने देना, गाली-गलौच करना, झूठा आरोप लगाना, मूलभूत आवश्‍यकताओं को पूरा न करना, मायके से न बुलाना,, शारीरिक प्रताड़ना, तलाक एवं मूलभूत आवश्‍यकताओं को पूरा न करने की धमकी देना, चांटा मारना, धक्‍का देना, छीना झपटी करना,   लकड़ी या हल्‍की वस्‍तु से पीटना, लात मारना, घूंसा मारना, माचिस या सिगरेट से जलाना,गंभीर रूप से पीटना, जिससे हड़डी टूटना या खिसकना जैसी घटनाएं शामिल है,गंभीर रूप से जलाना, लोहे की छड़, धारदार वस्‍तु या भारी वस्‍तु से वार करना। कभी कभी पति या पुरुष ये सब सह नहीं पता और आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाता है ।

 

घरेलू हिंसा के कारणअगर कोई महिला पति या पुरुष  से ज्यादा सुन्दर है मतलब की अगर पति या पुरुष  काला है तो उसको रंग भेद की टिप्पणी सहनी पड़ती है । अगर कोई महिला पति या पुरुष  से ज्यादा पढी लिखी है मतलब की पति या पुरुष अगर कम पढ़ा लिखा है तो उसको अनपढ़ और गंवार आदि की टिप्पणी सहनी पड़ती है । अगर कोई महिला पति या पुरुष  से ज्यादा कमाती है तो उसको कम कमाने का ताना झेलना पड़ता है । अगर कोई महिला पति या पुरुष  से ऊंचे पद पर कार्य करती है तो उसको इस बात का भी ताना झेलना पड़ता है । कभी कभी महिला पति या पुरुष  के परिवार के साथ रहना नहीं चाहती और पति या पुरुष अपने परिवार को छोड़ना नहीं चाहता ये भी एक कारण होता है । कभी कभी महिला पति या पुरुष  पर मालिकाना हक़ चाहती है और पति या पुरुष  पर सम्पूर्ण अधिकार चाहती है । किसी किसी परिवार में महिला के मायके का दखल भी घरेलू हिंसा को बड़ावा देता है । किसी किसी महिला के शादी से पहले के अतिरिक्त विवाहेतर संबंध शादी के बाद भी चल रहे होते है या दफ्तर में किसी साथी के साथ प्रेम प्रसंग भी घरेलू हिंसा को बड़ावा देता है । महिला का बहुत ज्यादा शक्की होना । महिला का बहुत ज्यादा ज़िद्दी होना । महिला का बहुत ज्यादा खर्चीला होना । महिला की पेसो की भूख समाप्त न होना । महिला का बात बात पर झूठ बोलना।

 

कानुन क्या कहता है ।कानून  के अनुसार घरेलू हिंसा सिर्फ एक महिला पर हो सकती है। किसी पति या पुरुष  पर नहीं । हालांकि एक नाबालिग पुरुष घरेलू हिंसा का शिकार हो सकता है लेकिन अगर वो नाबालिग होते हुए शादी शुदा है तो वो कभी भी घरेलु हिंसा का शिकार नहीं हो सकता । पशुओं तक को हमारे समाज में सुरक्षा मिलती है लेकिन पति या पुरुष की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है. हक़ीक़त तो यह भी है कि जब हम पति या पुरुष पर अत्याचार के खिलाफ धरने या प्रदर्शन आदि करते हैं तो बहुत सारे पति या पुरुष उस में शामिल नहीं होते हैं । या तो शर्म महसूस करते हैं या अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के विरोध में आवाज उठाने से कतराते हैं कि समाज क्या कहेगा । पुरुषों पर होने वाले अत्याचार तब तक नहीं रोके जा सकते जब तक वे खुद अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठाते । लेकिन ये सोच धीरे धीरे बादल रही है और अब लोग खुलकर पति या पुरुष पर घरेलु हिंसा के उपर बोल रहे है लिख रहे है ।  घरेलू हिंसा का नुकसानसुबह मानसिक तनाव में उठता है, नाश्ता होता नहीं, लंच मिलता नहीं, सारा दिनमानसिक तनाव में रहता है, दफ्तर में अधिकारियों से डांट खाता है, फिर भी काम करता है, सब कुछ सहता है, रात को देर से घर पहुंचता है ओर देखता है बीवी सो चुकी है, डिनर बना नहीं होता, तब वह सिगरेट ओर शराब में गिरता चला जाता है,ओर हद तो तब होती है जब वो अपनी मर्जी से लड़के का शारीरिक शोषण(बलात्कार) यानि की लड़के की मर्जी के बिना संभोग करती है ओर कहती है ये तो तुझे करना पड़ेगा आये दिन न जाने कितने पति या पुरुष अपने ऊपर होने वाले शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति सहते हुए या तो जीने को मजबूर है या मौत को गले लगा लेते हैं  । 

 

पति या पुरुष क्या कर सकता हैपति या पुरुष अपने उपर हुए हिंसा के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज़ करा सकते है । अगर पुलिस उनकी शिकायत  दर्ज नहीं करती, तो पति या पुरुष सीधे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के पास जा सकता है। निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अब इस बात को महसूस कर रहे हैं कि महिलाएं भी पति या पुरुष के उपर घरेलू हिंसा के झूठे मुकदमे कर रही हैं। इसी का परिणाम है कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें अदालतों ने झूठी शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए ऐसी महिलाओं को सजा दी है।

 

सत्तु जातव

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