पितृ दिवस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 05:33 PM

father s day

पितृ दिवस क्यों मनायाजाता है: पितृ दिवस की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिता धर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये रूप में हुई । यह हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता है । पितृ दिवस को विश्व में विभिन...

पितृ दिवस क्यों मनायाजाता है: पितृ दिवस की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिता धर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये रूप में हुई । यह हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता है । पितृ दिवस को विश्व में विभिन तारीखों पर मनाते है । जिसमे उपहार देना, पिता के लिये विशेष भोज, पारिवारिक गतिविधियाँ आदि शामिल हैं । पहला पितृ दिवस 19 जून 1910 को सोनोरा स्मार्ड डोड ने शुरू किया था । उन्होने अपने पिता विलियम जैक्सन स्मार्ट की याद में पादरी से अपील की थी कि पिता के लिए भी एक दिन होना चाहिए. पहले वह पितृ दिवस अपने पिता के जन्मदिन वाले दिन यानि की पांच जून को मनाना चाहती थीं । लेकिन पादरी के पास समय नहीं था । फिर इसे 19 जून 1910 को मनाया गया, और संयोग से उस दिन जून का तीसरा रविवार था. पितृ दिवस पिता के सम्मान में मनाया जाने वाला पर्व है जिसमें पितृत्व, पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। भारत में यह जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है । इस बार यह 19 जून 2016 को मनाया जाएगा । वैसे तो पितृ दिवस दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग दिन और विभिन्न परंपराओं के कारण से मनाया जाता है । लेकिन विश्व के अधिकतर देशों में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है । हिन्दू परंपरा के मुताबिक पितृ दिवस भाद्रपद महीने की सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है । सुबह उठते ही अपने पिता को इस दिन की बधाई देनी चाहिए और हो सके तो कुछ उपहार आदि भी देना चाहिए । 

 

मेरा अनुभव अभी कुछ दिन पहले मुझे एक पिता मिला जिसके बेटे पर उसकी पत्नी (बेटे की पत्नी) ने दहेज के झूठे केस किए हुए थे । और वो बड़ा परेशान था । एक पिता से और मिला जिसके बेटे पर उसकी महिला मित्र (बेटे की महिला मित्र) ने बलात्कार का झूठा केस किया हुआ था और वो जेल में बंद था । एक पिता से और मिला जिसे ये तो पता था की वो पिता है लेकिन ये नहीं पता था की वो लड़की का पिता है या लड़के का पिता है क्योंकि उसकी पत्नी ने उसे कभी बताया ही नहीं पारिवारिक मुकदमे की वजह से । मुझे उन सब पिताओं का दर्द दिखाई भी दे रहा था और महसूस भी हो रहा था । और मैं सोचने पर मजबूर था की एक पिता अपने बच्चे के लिए क्या कर सकता है और एक बच्चा अपने पिता के लिए क्या कर सकता है । इसमे कोई शक नहीं की जबजब बच्चो पर परेशानी आती है तो सबसे पहले परेशान पिता ही होता है । और वो हर संभवकोशिश करता है अपने बच्चो को परेशानी से निकालने के लिए । फिर मैंने उन सब पिताओं और उनके बेटो को पितृ दिवस के बारे में बताया और कहा कम से कम हम इस दिन को अपने पिता के लिए समर्पित कर सकते है और अपने तरीके से मना सकते है । 

 

पिता कौन है पिता एक ऐसा व्यक्तितिव है जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती । यह एक ऐसा पवित्र रिश्ता है जिसकी तुलना किसी भी रिश्ते से नहीं की जा सकती । बचपन में जब कोई बच्चा चलना सीखता है तो सबसे पहले अपने पिता की उंगली थामता है । नन्हा सा बच्चा पिता की उँगली थामे और उसकी बाँहों में रहकर बहुत सुकून पाता है । बोलने के साथ ही बच्चा जिद करना शुरू कर देता है और पिता उसकी सभी जिदों को पूरा करता है । बचपन से लेकर जवानी तक जब तक पिता जिंदा रहता है बच्चे की हर मांग को पूरी करने का प्रयास करता है । जैसे की चॉकलेट, खिलौने, बाइक, कार, लैपटॉप आदि । उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजने तक सभी माँगों को वो पूरा करता है लेकिन कभी-कभी एक समय ऐसा भी आता है जब भागदौड भरी इस ज़िंदगी में बच्चों के पास अपने पिता के लिए समय नहीं होता है । 

 

भारतीय समाज में माता, पिता, गुरु आदि को भगवान माना जाता है । हमारे ग्रन्थों में भी ऐसा ही लिखा है । इसमे कोई शक नहीं की हमारा असली भगवान हमारा पिता ही होता है जिसके कारण हम इस दुनिया में आए है । पिता जिंदगी भर हमारे लिए कमाता है तो हमे भी चाहिए की हम भी उनके सम्मान में कुछ करे जैसे की श्रवण कुमार ने किया था । संतान को पिता के प्रति हमेशा श्रद्धा और विनम्रता का भाव होना चाहिए ।  चाहें कोई भी देश हो, संस्कृति हो पिता का रिश्ता सबसे बड़ा माना गया है । भारत में तो इन्हें ईश्वर का रूप माना गया है । यदि हम हिन्दी कविता जगत की कवितायें देखें तो पिता के उपर काफी कुछ लिखा है । पिता, पापा, अब्बा, बाबा, बाबूजी, बाऊजी, डैडी, आदि कितने ही नाम हैं इस रिश्ते के, पर भाव एक, प्यार एक, समर्पण एक है । 

 


भारत में पितृ दिवस कैसे मनाया जाता है पितृ दिवस के लिए भारत में छुट्टी नहीं मिलती है । पिछले कुछ समय से कुछ कंपनी पितृ दिवस के मोके पर ग्रीटिंग कार्ड, गिफ्ट्स आदि को मार्केट में बेच रही है । कोई शक नहीं की वो मुनाफा चाहती है लेकिन कही न कही उनके द्वारा पितृ दिवस को बढ़ावा भी मिल रहा है । कुछ बड़े शहरों में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । कुछ स्कूलों में पितृ दिवस को मनाया जाता है और इस दिवस से संभन्धित उपहार तैयार किये जाते हैं । एक पिता हर बच्चे के लिए पहला आदर्श व्यक्ति होता है । इसलिए एक बच्चे के लिए एक पिता की छवि शुरू से ही बहुत सम्मानीय होती है । पिता दिवस जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है । यह एक संघीय अवकाश नहीं है । पिता दिवस से मेरा तात्पर्य है कि जिसने पिता बनकर हमारे जीवन को प्रभावित किया है, जिसने हमे पहचान दी है , जिसने हमे नाम दिया है, उसको सम्मानित्त करने के लिए है । । यह कार्ड, उपहार आदि के माध्यम से मनाया जाता है । घर पर या बाहर लंच पर या डिनर पर भी मनाया जाता है । इस दिन पित्रत्व और पिता परिवार की पहचान भी होती है । बहुत सारे देशो में यह तीसरे रविवार को जून में मनाया जाता है लेकिन कुछ देशो में यह किसी और तारीख को भी मनाया जाता है । 

 

एक छोटी सी कविता पिताके सम्मान में  पिता ने हमको योग्य बनाया, कमा कमा कर अन्न खिलायापढ़ा लिखा गुणवान बनाया, जीवन पथ पर चलना सिखायाजोड़ जोड़ अपनी सम्पत्ति का बना दिया हक़दार...हम पर किया बड़ा उपकार....दंडवत बारम्बार...  वैसे तोआज मेरे पिताजी इस दुनिया में नहीं है और मेरा बेटा भी इस दुनिया में नहीं हैलेकिन फिर भी उनकी याद में, मैं पित्र दिवस को अपने तरीके से मनाऊँगा । एक बेटाहोने के नाते पिता के लिए और एक पिता होने के नाते बेटे के लिए मैं पूजा करूंगा औरउन्हे श्रद्धांजलि दूंगा । 

 


सत्तु जातव 

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