सूरज कुदरती जीवन के सच का परम परमेश्वर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 01:26 PM

sun god

धरती का कुदरती रूप, दिन और रात एक साथ सुरज कुदरती जीवन के सच का परम परमेशवर। धरती निऱंतर गोल घुमती रहती है। धरती का सुरज की परिकरमा करना कुदरती जीवन का प्रथम सच है। धरती का कुछ भाग...

धरती का कुदरती रूप, दिन और रात एक साथ सुरज कुदरती जीवन के सच का परम परमेशवर। धरती निऱंतर गोल घुमती रहती है। धरती का सुरज की परिकरमा करना कुदरती जीवन का प्रथम सच है। धरती का कुछ भाग कभी सुरज की हलकी रोशनी से स्वेरा होने का एहसास कराकर, नए दिन की शुरुआत करता रहता है। इसी तरह, हर कुछ समय मे, निरँतर चौबीस घँटे ये परिकरमा निरंतर बिना रुके नीयम से चलती रहती है।

 

जैसे जैसे धरती निरँतर गोल घुमती है, कुछ भाग मेँ सुरज की हलकी रोशनी, किसी भाग मे दोपहर, किसी भाग मे शाम, किसी भाग मे रात आदि। ये सभी रुप निरँतर मिल-जुलकर, धरती के हर तरह के भाग मे बदलता रहता है। कही धुप तो कही छाँव, कही दिन तो कही रात। इसी तरह मौसम भी निरँतर हर भाग मे निरँतर बदलता रहता है, जैसे, मौसम चार। धरती मे एक साथ मिल-बाँटकर, कही पर बरसात का मौसम, कही गरमी का मौसम, कही वसंत, कही ठंड का मौसम, आदि।

 

मतलब, हर समय, धरती मे दिन और रात, मिल-बाँटकर, हर ममय दिन और रात एक साथ मिलकर धरती के इस नियम से बँधे हुए है। हर समय चार मौसम एक साथ धरती मे मिल-बाँटकर, धरती पर नियम से हर समय मौजुद रहते है। मतलब, धरती का हर भाग, सुरज की कृपा से, अपने रूप, राँग, गुण, आदि की पहचान रखता है। अनेक रूप और रँग मे मौजुद है धरती के धरती का कुदरती रूप, दिन और रात एक साथ कई भाग। सभी भाग मिलकर धरती मे इन्सान को जीने के लिए, एक मजबुत आधारशीला, विसवसनीय साथी, कर्म से भरपुर, धोखा न देने वाले सच्चे साथी, और मानव जीवन का भरण-पोषण के अन्नदाता के रूप मेँ, इस नादान इन्सान को अपना जीवन सफल करने मे, बिना स्वार्थ की निरॅतर सेवा मे धरती का हर तरह का भाग, अपने गुण और रुप मे, इन्सान को अपना जीवन जीने के लिए सर्मरपण कर चुका है।

 

हमारा जीवन भी धरती माँ की तरह, कुदरत के नियम अनुसार, कई तरह के रुप धारण करता रहता है। हमारे जीवन की पहले सच का रुप। हमे जन्म देने वाली हमारी माँ है। पैदा होते ही हमारी माता से दुध पाकर, माया की दुनिया के घेरे मे हमारा प्रवेश हो जाता है। जैसे धरती को जीवन की शक्ती सुरज से मिलती है, वैसे ही इन्सान पैदा होते ही, अपनी परमेशवर रूप माँ से खुराक पाकर, अपना जीवन मे जीने की शक्ती पाता है।

 

दूसरा रुपः

एक माँ की अनेक सॅन्तान। और एक ही खानदान मे पुरे परिवार मे अनेक सॅन्ताने / बच्चे,सभी के गुण, रुप, विचार अलग-थलग। हर कौई अलग कला का धनवान होता है। हर जन्मे हुए बालक का जन्म धरती का कुदरती रूप, दिन और रात एक साथ लेने का समय एक नही होता। यहाँ तक की जुद्वा बच्चौ के जन्म मे कुछ पल / मीनट का फर्क जरूर होता है। अर्थ, बालक के जन्म का समय मतलब सुरज की किरण के प्रर्थम दर्शन, मतलब सुबह, सवेरा। अपने (इँन्सान) जीवन का सवेरा, माँ से जन्म पाकर, अपनी माँ के मुख के प्रर्थम दर्शन हो जाना ही इन्सान के जीवन का सवेरा होता है। जैसे धरती के लिए, घरती को गति प़धान करने वाला सुरज परमेशवर रुप है।

 

तीसरा रूपः

समाज मतलब माँ की कोख से इस धरती पर पैदा हुए समस्त ईन्सान। जाती, धर्म, भाषा, देश, अनेक भेष, आदि वाला इन्सान नही। समस्त मानव जीवन बीताने वाला इँन्सान। जैसे, धरती के अनेक भाग / जगह मे सवेरा या सूरज के दर्शन एक साथ नही होता, इसी तरह, हर इन्सान का जन्म का वक्त और जगह अलग-थलग होती है। जैसे धरती को सूरज के दर्शन, वैसे ही इन्सान के पैदा होते ही माँ के दर्शन।

 

श्याम अरोड़ा
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!