Edited By ,Updated: 06 Oct, 2016 03:14 PM
जीएम सरसों पर एक सरकारी समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट पर सार्वजनिक टिप्पणी के लिए निर्धारित समय-सीमा पूरी हो गई और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस अवधि को आगे बढ़ाने से इंकार किया।
नई दिल्ली: जीएम सरसों पर एक सरकारी समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट पर सार्वजनिक टिप्पणी के लिए निर्धारित समय-सीमा पूरी हो गई और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इस अवधि को आगे बढ़ाने से इंकार किया। इस बीच विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि आनुवांशिक अभियांत्रिकी के जरिए विजातीय जीन के संयोग से तैयार किसी खाद्य फसल की व्यावसायिक खेती की अनुमति न दी जाए। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि वह अब जीएम सरसों पर जारी जैव सुरक्षा नोट के संबंध में मिले 100 से अधिक प्रतिवेदनों की समीक्षा करेगा और उसके बाद उन्हें विचारार्थ संबंधित उपसमिति को सौंप देगा।
गौरतलब है कि जीएम सरसों की मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सुरक्षा के मुद्दे पर मंत्रालय के तहत आने वाली आनुवांशिक अभियांत्रिकी अनुमोदन समिति (जीईएसी) की उपसमिति की रिपोर्ट पर जीएम फसल विरोधी संगठनों ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए दी गई एक महीने की अवधि को बढ़ाने की मांग की थी। उप-समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएम सरसों की खेती से पर्यावरण या मानव स्वास्थ्य के लिए किसी प्रकार के जोखिम की संभावना नहीं है। किसान एकता ने रिपोर्ट पर सार्वजनिक बहस की जीईएसी की कवायद को दिखावा बताया है और कहा है कि इससे यही लगता है कि समिति ‘‘अवांछित, अनावश्यक और असुरक्षित जीएम फसल को लेकर कुछ छुपाना चाहती है।