Edited By ,Updated: 05 Nov, 2016 01:31 PM
अमरीकी चुनाव काफी जटिल माना जाता है लेकिन इसकी शुरुआत काफी सरल तरीके से होती है...
वॉशिंगटन: अमरीकी चुनाव काफी जटिल माना जाता है लेकिन इसकी शुरुआत काफी सरल तरीके से होती है। जिन्हें अमरीका का राष्ट्रपति बनना है महज तीन मानदंडों पर खरा उतरना होता है। 2016 के अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव को इतिहास का सबसे मंहगा चुनाव कहा जा रहा है।
उम्मीदवारी के लिए ये हैं मापदंड
1. कैडिंडेट की उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए।
2. वह 14 सालों से अमेरिका का निवासी हो
3. उसकी अमेरिकी नागरिकता जन्म आधारित हो।
अमरीका में चुनाव से पहले कॉकस, प्राइमरी, सम्मेलन और टेलिविजन डिबेट के दौर चलते हैं। अमरीका प्राइमरी और कॉकस की शुरुआत अयोवा और न्यू हैंपशर राज्य से होती है। राज्यों के पास पार्टी मेंबर्स जुटाने के 2 तरीके होते हैं। ये मेंबर्स पार्टी के कैंडिडेट का चुनाव करते हैं। इसके 2 तरीके हैं- प्राइमरी और कॉकस।
क्या है प्राइमरी और कॉकस
प्राइमरी का मतलब है कि ज्यादातर लोग पारंपरिक रूप से वोटिंग को लेकर क्या सोच रहे हैं। लोग पास के पोलिंग बूथ पर जाकर अपने कैंडिडेट के लिए बैलट पर वोट करते हैं। कॉकस बिल्कुल अलग है। यह एक पड़ोस में होने वाले इवेंट की तरह है। इसमें कई घंटों तक सक्रिय सामुदायिक भागीदारी के साथ बहस होती है। किसी सार्वजनिक स्थल पर शाम में इसका आयोजन किया जाता है।
अमरीकी चुनाव में मार्च का महीना बड़ा महत्वपूर्ण
अमरीकी चुनाव में मार्च का महीना काफी मायने रखता है। यह राजनीतिक गतिविधियों को लिहाज से काफी व्यस्त महीना होता है। 26 राज्यों में 15 दिनों के भीतर बचे हुए कैंडिडेट के लिए वोटिंग होती है। इसमें डिबेट और कैंपेन भी शबाब पर होते हैं। मार्च के पहले मंगलवार को 12 राज्यों में उम्मीदवार पसंद करने के लिए प्राइमरी होती है। इस मंगलवार को वहां 'सुपर ट्यूजडे' कहा जाता है।
मई और जून तक होता है उम्मीदवारों का सिलैक्शन
अलबामा, अलास्का, अमेरिकन समोआ, अर्कांसा, कोलोरैडो, जॉर्जिया, मैसाचुसेट्स, मिनेसोटा, नॉर्थ डकोटा, ओकाहोमा,, टेनेसी, टेक्सस, वेमॉन्ट, वर्जीनिया और वाइयोमिंग में मई और जून तक उम्मीदवारी सिलैक्शन के लिए वोटिंग हो जाती है। इसके बाद साफ हो जाता है कि दोनों पार्टियों की तरफ से कौन उम्मीदवार होगा।
जुलाई में होती है उम्मीदवारों की घोषणा
जुलाई में दोनों पार्टियों की तरफ से आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति उम्मीदवारों की घोषणा हो जाती है। इसके बाद दोनों उम्मीदवारों की रीयल कैंपेन शुरू होती है। देश भर में ये दौरे करते हैं। वोटर्स से जमकर ये संपर्क साधते हैं। इसी दौरान वाइस प्रेजिडेंट पर भी स्थिति साफ हो जाती है। प्रत्येक राज्यों के विजेता पार्टी मेंबर्स जुटाते हैं। ये मेंबर्स कन्वेंशन में आधिकारिक कैंडिडेट को वोट करते हैं। रिपब्लिकन कैंडिडेट को 1,237 डेलिगेट्स की जरूरत पड़ती है और डेमोक्रेटिक कैंडिडेट को 2,383 डेलिगेट्स चाहिए होते हैं। देश भर में कैंपेन के बाद काफी कड़वाहट आ जाती है। इसके बाद आखिरी 6 हफ्तों में दोनों कैंडिडेट तीन टीवी डिबेट में शामिल होते हैं और फाइनल वोटिंग इलेक्शन डे को होती है।
538 इलैक्टर्स चुनते हैं विजेता
इलैक्टोरल कॉलेज वोटिंग सिस्टम के तहत 538 इलैक्टर्स विजेता चुनते हैं। प्रेजिडेंट बनने के लिए 270 की जरूरत पड़ती है। सभी महत्वपूर्ण इलैक्टर्स स्टेट पार्टी कन्वेंशन या स्टेट पार्टी सेंट्रल कमिटी में चुने जाते हैं। सभी राज्यों से इलैक्टर्स लिए जाते हैं। इनकी संख्या आबादी के आधार पर होती है। कैलिफोर्निया से 55 इलैक्टर्स आते हैं जबकि डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया से महज तीन इलैक्टर्स आते हैं। यदि तकनीकी रूप से देखा जाए तो अमरीकी जनता वोटिंग डे के दिन प्रेजिडैट के लिए वोट नहीं करती है। सच यह है कि अमरीकी जनता उस दिन वोट इलैक्टर्स के लिए करती है।
जनवरी में होती है रिजल्ट की घोषणा
इन सबके बावजूद दो राज्यों में जो कैंडिडेट सबसे ज्यादा इलैक्टर्स जीतने में कामयाब रहते हैं उनकी जीत ज्यादा सुनिश्चित होती है। विजेता कैंडिडेट हर राज्य में इलैक्टर्स की घोषणा करता है। इलैक्टर्स दिसंबर में अपना मत जाहिर करते हैं और औपचारिक रूप से जनवरी को रिजल्ट की घोषणा होती है। विजेता कैंडिडेट को कम पॉप्युलर वोट भी मिल सकता है। 2000 में जॉर्ज बुश 271 इलैक्टोरल वोट के साथ राष्ट्रपति बन गए थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी अल गोर ने राष्ट्रीय स्तर पर 540,000 से ज्यादा वोट हासिल किए था। ओबामा वाइट हाउस छोड़ने की तैयारी कर रहे होंगे। नया राष्ट्रपति 20 जनवरी 2017 को वाइट हाउस में दस्तक देगा।