Edited By ,Updated: 30 Aug, 2016 07:08 PM
दुनिया के पहले हैड ट्रांसप्लांट काे अंजाम देने के लिए एक चीनी और इतालवी सर्जन ने हामी भर दी है।
न्यूयार्कः दुनिया के पहले हैड ट्रांसप्लांट काे अंजाम देने के लिए एक चीनी और इतालवी सर्जन ने हामी भर दी है। एक रूसी शख्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर इस ऑप्रेशन की मंजूरी दे दी है। जानकारी के मुताबिक, 31 साल के वैलेरी स्प्रिडोनोव काे एक जेनेटिक बीमारी वर्डनिग हॉफमैन डिज़ीज़ है, जिसकी वजह से उनकी मांसपेशियां और मोटर न्यूरॉन्स खराब हो चुके हैं। उनके शरीर में बस इतनी शक्ति है कि वे खुद से खा सकें या ऑटोमेटिक व्हीलचेयर पर घूम सकें।
यह बीमारी बेहद खतरनाक होती है और डॉक्टरों को तो आशंका थी कि वे जीवित ही नहीं बचेंगे। सर्जरी को अंजाम देने का फैसला करने वाले पहले चीनी डॉक्टर का नाम शाओपिंग रेन है, जबकि दूसरे डॉक्टर 51 साल के सर्जियो कैनावेरो हैं। वे 'डॉक्टर फ्रैंकेस्टाइन' कहलाना पसंद करते हैं। कैनावेरो ने कहा कि ट्रांसप्लांट से जुड़ा ऑपरेशन 2017 की शुरुआत तक हो सकता है।
उनके मुताबिक, इस ऑपरेशन के कामयाब होने की 90 पर्सेंट तक संभावना है। अगर यह ऑप्रेशन होता है तो इसमें 80 सर्जन हिस्सा लेंगे और 10 मिलियन डॉलर से ज्यादा का खर्चा हाेगा। बहुत सारे वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट के कामयाब होने की उम्मीद काे झूठा दिलासा बताया है। उनका कहना है कि अगर ऑपरेशन की वजह से स्प्रिडोनोव की मौत हो जाती है तो डॉक्टरों के खिलाफ मर्डर का केस चलाया जाना चाहिए। ऑपरेशन को लेकर कई सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि सिर बदलने के बाद वे स्प्रिडिनोव ही रहेंगे या कुछ और बन जाएंगे?