Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jun, 2017 10:07 PM
विदेश में रहने वाले लगभग अढ़ाई करोड़ भारतीय अपने वतन से दूर रहते हुए
विदेश में रहने वाले लगभग अढ़ाई करोड़ भारतीय अपने वतन से दूर रहते हुए भी अपने देश को भूले नहीं हैं और सदा इसके लिए चिंतित रहते हैं। इसका प्रमाण है उनके द्वारा मूल्यवान विदेशी मुद्रा के रूप में स्वदेश भेजी जाने वाली भारी राशि।
हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की इकाई ‘कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष’ ( आई.एफ.ए.डी.) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2016 में चीन को पछाड़ कर भारत विदेश से सर्वाधिक मनी ट्रांसफर करने वाला देश बन गया है। इस वर्ष के दौरान विश्व भर में काम करने वाले भारतीयों ने 2007 में स्वदेश भेजी मात्र 37.2 अरब डालर (2,39,489.14 करोड़ रुपए) राशि के मुकाबले में 2016 में 62.7 अरब डालर (4,03,655.08 करोड़ रुपए) स्वदेश भेजे। यह राशि इसी अवधि में चीन सहित अन्य सभी देशों को विदेश से भेजी गई राशि से अधिक है।
रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में विदेशों में बसे प्रवासियों द्वारा अपने देशों को भेजी जाने वाली कुल ‘रिमिटैंस’ का 80 प्रतिशत हिस्सा जिन 23 देशों को मिला है उनमें भारत, चीन, फिलीपींस, मैक्सिको एवं पाकिस्तान प्रमुख हैं और जिन देशों से सर्वाधिक मनी ट्रांसफर किया गया उनमें अमरीका, सऊदी अरब तथा रूस शामिल हैं। गत एक दशक में एशिया और प्रशांत क्षेत्र को मिलने वाले ‘रिमिटैंस’ में 87 प्रतिशत की भारी-भरकम वृद्धि दर्ज की गई। एशिया अब भी सर्वाधिक ‘रिमिटैंस’ हासिल करने वाला क्षेत्र बना हुआ है। कुल रिमिटैंस में इस क्षेत्र का अनुपात 55 प्रतिशत है। विदेशी मुद्रा के रूप में विकासशील देशों में पहुंचने वाले ‘रिमिटैंस’ से करोड़ों लोग गरीबी के दलदल से बाहर निकल रहे हैं और इससे स्थायी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिल रही है।
एक ओर विदेशों में रहने वाले भारतीय धन भेजकर देश के विकास में योगदान दे रहे हैं तो दूसरी ओर देश-विदेश में आवागमन आसान बनाने की बढ़ रही आवश्यकता के दृष्टिïगत भारत सरकार विदेश जाने के लिए सर्वाधिक आवश्यक दस्तावेज अर्थात ‘पासपोर्ट’ प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान करने की दिशा में लगातार पग उठा रही है जिसे विदेश जाने की पहली सीढ़ी कहा जा सकता है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 16 जून को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा कि पासपोर्ट बनाने की राह में सबसे बड़ी बाधा सुविधा केंद्रों का अधिक दूर होना है, अत: सरकार की कोशिश है कि हर व्यक्ति को उसके घर से 50 किलोमीटर के दायरे में पासपोर्ट सेवा केंद्र की सुविधा मिले। इसी को देखते हुए सरकार ने देश भर में 149 और ‘डाकघर पासपोर्ट सेवा केन्द्र’ (पी.ओ.पी.एस.के.) बनाने का निर्णय लिया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व सरकार ने पहले चरण में 86 डाकघरों में पासपोर्ट सेवा शुरू करने की घोषणा की थी जिसके अंतर्गत अब तक 52 केन्द्र काम करना शुरू कर चुके हैं और शेष 34 को चालू करने से संबंधित काम पूरा किया जा रहा है और इसके पूरा हो जाने के बाद 149 नए पी.ओ.पी.एस.के. बनाने का काम शुरू किया जाएगा। यहां पासपोर्ट बनाने के इच्छुक सभी लोगों के पहचान चिन्हों (उंगलियों के निशान आदि) की ‘मैपिंग’ भी हो जाएगी। दूसरे चरण के इन 149 केन्द्रों के भी चालू हो जाने के बाद देश में डाकघर पासपोर्ट सेवा केन्द्रों (पी.ओ.पी.एस.के.) की कुल संख्या 235 हो जाएगी।
आज जबकि सारा संसार ही एक ‘ग्लोबल विलेज’ में बदलता जा रहा है, ‘पासपोर्ट’ बनाने के लिए अधिक सुविधा केंद्र खोलने से जहां लोगों के लिए दूसरे देशों को जाना आसान हो सकेगा वहीं इससे अधिक संख्या में भारतीय दूसरे देशों में जाकर अपने देश का नाम चमकाने के अलावा अधिक विदेशी मुद्रा कमा कर भारत भेज सकेंगे। पासपोर्ट बनाने के नियम सरल होने से अधिक लोग विदेश जा सकेंगे और वहां से प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने तथा गरीबी उन्मूलन में कुछ सहायता अवश्य मिलेगी। -विजय कुमार