Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 03:17 AM
दिसम्बर, 2017 के चुनावों में भाजपा को गुजरात में सरकार कायम रखने के लिए भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा। जहां 2012 के चुनावों में भाजपा ने 182 सदस्यीय सदन में 116 सीटें जीत कर भारी-भरकम बहुमत प्राप्त किया था तथा कांग्रेस सिर्फ 60 सीटें ही जीत पाई थी...
दिसम्बर, 2017 के चुनावों में भाजपा को गुजरात में सरकार कायम रखने के लिए भारी मशक्कत का सामना करना पड़ा। जहां 2012 के चुनावों में भाजपा ने 182 सदस्यीय सदन में 116 सीटें जीत कर भारी-भरकम बहुमत प्राप्त किया था तथा कांग्रेस सिर्फ 60 सीटें ही जीत पाई थी वहीं 2017 के चुनावों के 18 दिसम्बर को घोषित परिणामों में भाजपा सिर्फ 99 सीटें ही जीत पाई और कांग्रेस ने इसे कड़ी चुनौती देते हुए 80 सीटें जीत लीं।
भाजपा को दूसरा चुनावी झटका इस वर्ष हुए राजस्थान और बंगाल के 5 उपचुनावों में लगा। जहां 1 फरवरी को घोषित परिणामों में राजस्थान में दोनों लोकसभा सीटें और 1 विधानसभा सीट पर भाजपा को हरा कर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया वहीं बंगाल में 1 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में भी भाजपा के हाथ खाली ही रहे।
इसके 18 दिन बाद ही अब 19 फरवरी को घोषित गुजरात के नगर पालिका चुनाव परिणामों में हालांकि भाजपा जीत तो गई है पर इसकी सीटें पिछली बार की 59 सीटों के मुकाबले में घट कर 47 ही रह गई हैं। दूसरी ओर पिछली बार लगभग 1 दर्जन नगर पालिकाओं पर जीतने वाली कांग्रेस ने भाजपा को झटका देते हुए 16 नगर पालिकाओं में जीत कर अपनी स्थिति कुछ सुधार ली है। भाजपा ने सबसे खराब प्रदर्शन जूनागढ़ जिले में किया जहां यह चारों सीटों पर हार गई और कांग्रेस ने विजय प्राप्त की।
इन तीनों ही चुनावों में लगने वाले झटके भाजपा नेतृत्व के लिए एक चेतावनी हैं कि यदि उन्होंने अपनी कार्यशैली नहीं बदली, जनता की तकलीफों की ओर ध्यान देना न शुरू किया और आपसी कलह को समाप्त न किया तो आने वाले चुनावों में पार्टी को और आघात सहने के लिए तैयार रहना होगा।—विजय कुमार