Edited By ,Updated: 21 Oct, 2016 08:29 AM
हमें अपने सुविज्ञ पाठकों के पत्र प्राप्त होते रहते हैं जिनमें से कुछ पत्र हम इन कालमों में प्रकाशित भी करते रहते हैं तथा कुछ पत्र सम्बन्धित विभागों के मंत्रियों एवं विभागाध्यक्षों आदि को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज देते हैं।
हमें अपने सुविज्ञ पाठकों के पत्र प्राप्त होते रहते हैं जिनमें से कुछ पत्र हम इन कालमों में प्रकाशित भी करते रहते हैं तथा कुछ पत्र सम्बन्धित विभागों के मंत्रियों एवं विभागाध्यक्षों आदि को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज देते हैं। आज हम श्री चरणजीत सोनी का पत्र प्रस्तुत कर रहे हैंं जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को कुछ सुझाव दिए हैं :
-गांधी जी के अनुसार, ‘‘पुुलिस को जनता के मालिक के रूप में नहीं बल्कि सेवक के रूप में काम करना चाहिए लेकिन हमारी पुलिस इस कसौटी पर खरी उतरने की बजाय दमनकारी शक्ति के रूप में उभरी है।’’
सर्वोदयी विचारक दादा धर्माधिकारी का कहना था कि ‘‘जहां ज्यादा जवान तैनात करने पड़ें व रोज पुलिस बुलानी पड़े वहां पुलिस सफल नहीं असफल मानी जानी चाहिए। पुलिस की सफलता उसकी जरूरत न पडऩे में है।’’
परंतु अंग्रेजों के जमाने की भांति ही आज भी पुलिस का इस्तेमाल जनता की आवाज को दबाने, उसे गुलामी के बंधनों में जकड़े रख कर शासकों की कुर्सी बचाने, सत्ता को मजबूत करने तथा राजनीतिक व जनआंदोलनों के दमन के लिए किया जाता है अत: इस पर रोक लगाई जाए।
-अपने लाभ और निहित स्वार्थों के लिहाज से संविधान में संशोधन करने की राजनीतिज्ञों की प्रवृत्ति को रोका जाए। कानून जनता के हित में बनाए जाएं और शासक वर्ग भी उन्हीं के अनुरूप चले।
-हर वर्ष सरकारी गोदामों में पड़ा लाखों टन गेहूं तथा अन्य अनाज सड़ जाता है, क्यों न सडऩे से पहले इसे गरीबों तक पहुंचा दिया जाए ताकि कोई भी गरीब भूखा न सोए।
ऌहर गांव को एक इकाई मान कर ग्राम स्तर से ही प्रशासन को लोकतांत्रिक ढंग से चलाना चाहिए। सरपंच पर गांव की प्रत्येक जिम्मेदारी हो, मुख्यमंत्रियों की हर महीने प्रधानमंत्री से मिलने की व्यवस्था हो जहां वे प्रधानमंत्री को अपने राज्यों की समस्याएं बताएं और प्रधानमंत्री उनका समाधान करवाएं।
-सरकार अपने खर्चों पर अंकुश लगाए, अधिकारी कम किए जाएं। भ्रष्ट अधिकारियों की छांटी की जाए, बेकार और अनुपयोगी विभाग समाप्त किए जाएं। हर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाए और यदि वह ऐसा न कर सके तो उसे डिसमिस कर देना चाहिए।
-सामान्य शिक्षा के साथ औद्योगिक प्रशिक्षण को भी जोड़ा जाए। प्रत्येक वयस्क के लिए कर्ज की सीमा तय करके उसकी योग्यता के अनुसार कर्ज दिया जाए ताकि वह अपना कारोबार आरंभ करके आत्मनिर्भर हो सके।
-टैक्स कम किए जाएं और टैक्स प्रक्रिया सरल की जाए। सभी एन.जी.ओ., राजनीतिक दलों, धार्मिक संस्थाओं या इनके अलावा जो भी संस्थान आयकर के दायरे में नहीं हैं, उन्हें इसके दायरे में लाया जाए। ये सब काला धन और भ्रष्टाचार के स्रोत हैं। आयकर में 5,00,000 रुपए तक छूट दी जाए और इसके बाद भी आयकर की दरें कम रखी जाएं।
-न्याय सरल, सस्ता और शीघ्र हो। पंचायती स्तर पर भी फैसले निपटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। न्याय शीघ्र न मिलने के कारण अपराध बढ़ते हैं। हर केस निपटाने के लिए समय सीमा तय की जाए तथा अदालतें बढ़ाई जाएं।
-वकीलों के बार-बार तारीख लेने पर भी अंकुश लगाना चाहिए और तारीखों की सीमा तय होनी चाहिए। वकील तारीखें ले-ले कर केस निपटाने में न्यायालय का सहयोग नहीं करते बल्कि इससे न्याय की प्रक्रिया बाधित हो जाती है।
-लोकसभा की अवधि 4 वर्ष कर देनी चाहिए।
-सभी राज्यों में एक समान टैक्स हो, अधिकारी अगर अपना कत्र्तव्य न निभा सकें तो उन्हें डिसमिस कर देना चाहिए।
-ड्राइविंग लाइसैंस, वोट तथा पैनकार्ड का नम्बर, जन्मस्थान, शिनाख्ती निशान आदि आधारकार्ड पर अंकित होने चाहिएं।
राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित उपरोक्त सुझावों के अलावा भी लोगों के पास देश के कार्यकलाप में सुधार के लिए अनेक सुझाव हो सकते हैं और हम समझते हैं कि जहां तक श्री चरणजीत सोनी के उक्त सुझावों का संबंध है इन पर विचार अवश्य किया जाना चाहिए। इससे देश और समाज का बहुत नहीं तो कुछ भला अवश्य होगा।
-विजय कुमार