नाबालिग करेगा वाहन दुर्घटना तो फंसेंगे उसके पिता भी

Edited By ,Updated: 24 May, 2016 01:33 AM

fsenge his father will have a minor auto accident

वर्ष 2014 के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रति 1000 लोगों पर 13 कारें थीं जबकि यह संख्या अमरीका में 797, ब्राजील में 249, थाईलैंड में 206 और चीन में 83 है

वर्ष 2014 के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रति 1000 लोगों पर 13 कारें थीं जबकि यह संख्या अमरीका में 797, ब्राजील में 249, थाईलैंड में 206 और चीन में 83 है और सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले 10 देशों में हम सबसे ऊपर हैं। 

 
हमारे देश में प्रतिवर्ष 5 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में 1.3 लाख से अधिक लोग अर्थात प्रतिदिन लगभग 350 लोग मारे जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में ही गत 3 दिनों में 3 सड़क दुर्घटनाओं में 41 लोग मारे गए हैं।
 
शहरी सड़कों या प्रादेशिक व राष्ट्रीय राजमार्गों पर अधिकतम गति सीमा के बोर्ड तो लगे हुए नजर आते हैं परंतु इनका पालन कम लोग ही करते हैं, अत: गति सीमा नियम लागू करनेे में भी भारत फिसड्डी ही है। 
 
शराब पीकर व मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने पर रोक का कानून भी भारत में बिल्कुल प्रभावशाली नहीं । भारत में परिपक्व एवं अपरिपक्व दोनों ही श्रेणियों के वाहन चालकों के लिए रक्त में अल्कोहल की अधिकतम सीमा 0.03 ग्राम, डी.एल. निर्धारित है जो सरासर अव्यावहारिक है। 
 
सड़क दुर्घटनाओं में प्रतिवर्ष लगभग 12.5 लाख मौतों में से एक चौथाई से अधिक मौतें 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में होती हैं। भारत में 2014 में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों में 11.93 प्रतिशत 18 वर्ष से कम आयु के किशोर थे जो रैश ड्राइविंग, नशों के सेवन, सड़क सुरक्षा नियमों की अवहेलना व घटिया सड़कों आदि का परिणाम है। 
 
सीट बैल्ट का इस्तेमाल गत 28 वर्षों से अनिवार्य किया जा चुका है परंतु अधिकांश कार चालक व यात्री इसका पालन नहीं करते जबकि दोपहिया वाहन चालकों द्वारा हैल्मेट का इस्तेमाल न करना भी आम है तथा सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक मौतें दोपहिया वाहन चालकों की ही होती हैं। 
 
वयस्क वाहन चालकों के अलावा सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में नाबालिगों की संलिप्तता के दृष्टिïगत गत दिनों हुई विभिन्न राज्यों के परिवहन मंत्रियों की बैठक में नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने को हतोत्साहित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय प्रस्तावित किए गए हैं। 
 
इसमें किसी भी नाबालिग को वाहन चलाते पकड़े जाने पर वाहन के मालिक को 20 हजार रुपए जुर्माना और 3 वर्ष कैद या दोनों सजाएं देने तथा वाहन की रजिस्ट्रेशन रद्द करने का प्रस्ताव है। 
 
चूंकि नाबालिगों को वाहन चलाने की अनुमति देने और सड़क सुरक्षा संबंधी नियमों की जानकारी न देने के लिए वाहन के मालिक (अधिकांश मामलों में नाबालिग चालकों के माता-पिता या संबंधी) ही जिम्मेदार होते हैं, अत: उन्हें भी अपराध में भागीदार मानना आवश्यक समझा गया।
 
इसके अलावा दोषी किशोर चालक को अनिवार्य रूप से सामुदायिक सेवा करने व गंभीर दुर्घटना में संलिप्त होने पर सुधार घरों में भेजने पर सहमति व्यक्त की गई। किसी की मृत्यु का कारण बनने वाली दुर्घटना में संलिप्त किशोर चालक का अपराध जमानत के अयोग्य मानने पर भी सहमति हुई है। 
 
इसके अलावा लापरवाही से वाहन चलाने, बिना हैल्मेट दोपहिया वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने, लाल बत्ती के उल्लंघन आदि पर किए जाने वाले जुर्माने में भी कई गुणा वृद्धि करने और लाइसैंस रद्द करने पर सहमति व्यक्त की गई है। 
 
परंतु उक्त प्रावधान करना ही काफी नहीं है। अकेले हिमाचल और पंजाब में ही दर्जनों ऐसे ‘डेंजर्स स्पॉट’ (नाजुक स्थल) हैं जिनकी पहचान करके वहां खतरा सूचक संकेत लगाने और अन्य प्रबंधों तथा यातायात नियमों का पालन करवाने में असफल रहने वाले सम्बन्धित अधिकारियों के विरुद्ध शिक्षाप्रद कार्रवाई करने की भी आवश्यकता है।
 
इसके साथ ही पाश्चात्य देशों की भांति विभिन्न वाहनों के लिए अलग-अलग लेन्स (सड़कें) बनवाने, ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर निगरानी रखने के लिए चौराहों एवं अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने, वाहन चालकों को सड़क अनुशासन  सिखाने तथा यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को सी.सी.टी.वी. कैमरों के माध्यम से पकड़ कर उनके घरों में ही चालान भिजवाने की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। 
 

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