हरियाणा की राजनीति में ‘उथल-पुथल जारी’

Edited By ,Updated: 06 Apr, 2017 09:51 PM

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देश के अधिकांश राज्यों के सत्तारूढ़ एवं अन्य दलों में इन दिनों उथल-पुथल जारी है और....

देश के अधिकांश राज्यों के सत्तारूढ़ एवं अन्य दलों में इन दिनों उथल-पुथल जारी है और हरियाणा भी इसका अपवाद नहीं है। वहां भी विभिन्न राजनीतिक दल तरह-तरह के भीतरी-बाहरी संकटों में उलझे हुए हैं। 

इस शृंखला में सबसे पहला नाम इंडियन नैशनल लोकदल (इनैलो) के नेता एवं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला तथा उनके बेटे अजय चौटाला का है जिन्हें जनवरी 2013 में जे.बी.टी. अध्यापकों की अवैध तरीके से भर्ती के मामले में सी.बी.आई. की विशेष अदालत ने दोषी ठहराते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई। जहां श्री ओम प्रकाश चौटाला और श्री अजय चौटाला की गिरफ्तारी से इनैलो की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को आघात लगा है वहीं हरियाणा के अन्य दो प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा व कांग्रेस में भी उठापटक जारी है। 

हरियाणा में पहली बार अपने दम पर सरकार बनाने वाली भाजपा के डेढ़ दर्जन के लगभग विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के काम करने के तरीके के विरुद्ध विद्रोह का झंडा बुलंद कर रखा है जिस पर शीर्ष नेतृत्व ने श्री खट्टर से नाराज सांसदों और असंतुष्टï विधायकों सहित सभी विधायकों की बैठक 15 और 16 मार्च को गुरुग्राम और नई दिल्ली में बुलाई थी। 

इसी पृष्ठभूमि में नाराज विधायकों की नाराजगी दूर करने के उद्देश्य से हरियाणा में जल्दी ही मनोहर लाल खट्टïर मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें भी लगाई जा रही हैं और पार्टी में सत्ता का संतुलन बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर किसी को उपमुख्यमंत्री बनाने की चर्चा भी असंतोष को और हवा दे रही है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के विभागों में कटौती और कुछ को पदोन्नति दिए जाने की भी संभावना है। इसे देखते हुए पार्टी में हलचल तेज हो गई है। 

हरियाणा कांग्रेस भी धड़ेबंदी और आंतरिक कलह से मुक्त नहीं है। यह बात गत वर्ष 6 अक्तूबर को खुल कर सामने आ गई जब हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डïा के नेतृत्व वाले धड़े नई दिल्ली के निकट भैरों मंदिर में राहुल गांधी की रोड शो यात्रा के स्वागत के दौरान आपस में उलझ पड़े। इसमें अशोक तंवर गम्भीर रूप से घायल हुए और उन्होंने हुडा समर्थकों पर उनके साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप लगाया था। दोनों कांग्रेस धड़ों में इस खूनी झड़प के चलते प्रदेश कांग्रेस में भारी तूफान मच गया था। 

तब बड़ी मुश्किल से ही पार्टी आलाकमान स्थिति पर नियंत्रण पाकर हालात सामान्य करने में सफल हुआ था परंतु अब हालात फिर पहले जैसे ही बने हुए हैं। जहां हुडा खेमा तंवर को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहा है वहीं तंवर खेमा भी हुडा पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हमला करने का कोई मौका नहीं चूक रहा। यही नहीं 10 साल तक हरियाणा पर शासन करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा की मुश्किलें भी कम होने का नाम नहीं ले रहीं और 5 अप्रैल को हरियाणा कांग्रेस में एक बार फिर संकट पैदा हो गया जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा के कार्यकाल के दौरान पंचकूला में ए.जे.एल. प्लॉट आबंटन मामले में उनके विरुद्ध सी.बी.आई. ने केस दर्ज कर लिया। 

यह भी आरोप लगाया गया कि इससे पूर्व हुडा सरकार ने नियमों का उल्लंघन करके पंचकूला में 14 औद्योगिक प्लाट अलाट किए थे जिनमें जम कर पक्षपात किया गया था और इसमें भूपेंद्र सिंह हुडा के करीबी रिश्तेदार भी शामिल थे। हरियाणा की भाजपा सरकार ने सत्ता संभालते ही इस मामले की जांच विजीलैंस को सौंप दी व मई 2016 में सी.बी.आई. ने ‘हरियाणा अर्बन डिवैल्पमैंट अथारिटी’ (हुडा) के पंचकूला दफ्तर में छापा मार कर रिकार्ड कब्जे में ले लिया था। इनैलो के अलावा दोनों बड़े दलों में चल रही रस्साकशी को जहां राजनीतिक प्रेक्षक दिलचस्पी से देख रहे हैं वहीं हरियाणा की राजनीति में इन दिनों भूचाल जैसी स्थिति बनी हुई है। यह घटनाक्रम आगे क्या रूप लेता है यह भविष्य के गर्भ में है।—विजय कुमार 

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