बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं शिकार हो रहे युवा और उजड़ रहे परिवार

Edited By ,Updated: 17 Mar, 2017 11:16 PM

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बेशक हमारी सरकार सड़क दुर्घटनाएं रोकने के दावे करती है परंतु वास्तविकता .....

बेशक हमारी सरकार सड़क दुर्घटनाएं रोकने के दावे करती है परंतु वास्तविकता यह है कि इनमें लगातार वृद्धि हो रही है जिस कारण भारत आज विश्व में सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक मौतों वाला देश बन गया है और सड़क दुर्घटनाओं की राजधानी कहलाने लगा है। 

एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रत्येक घंटे में 57 दुर्घटनाएं होती हैं। यहां प्रति 4 मिनट पर 1 तथा 1 घंटे में 17 लोगों के हिसाब से प्रतिदिन औसतन 400 लोगों की ‘सड़क दुर्घटना में मृत्यु’ होती है। इनमें बड़ी संख्या में एक ही परिवार के सदस्य होने से परिवारों के परिवार तबाह हो रहे हैं जिनके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं :

17 फरवरी को पंजाब में फिरोजपुर के निकट एक एस.यू.वी. तथा ट्रक में टक्कर से तरनतारन के एक ही परिवार के 11 सदस्य मारे गए।  

—इसी दिन मोहाली के निकट एक कार तथा बस की टक्कर में लुधियाना के एक ही परिवार के 3 सदस्यों सहित 4 लोगों की मृत्यु हो गई। 18 फरवरी को राजस्थान में बिलारा के निकट एक कार-ट्रक दुर्घटना में एक ही परिवार के 6 सदस्यों को जान से हाथ धोने पड़े। 20 फरवरी को डेराबस्सी में ट्रक से टक्कर के चलते कार में सवार 6 वर्षीय बच्चे की मृत्यु तथा उसके परिवार के 5 सदस्य घायल हो गए। 21 फरवरी को कर्नाटक के बेलागावी में कार की तेज रफ्तार ट्रक से टक्कर में पति-पत्नी और उनके 2 वर्षीय बेटे की मृत्यु हो गई। 

28 फरवरी को सुबह-सवेरे आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के सूर्यपेट में एक भयानक सड़क दुर्घटना में एक तेज रफ्तार बस के गड्ढïे में गिर जाने से 2 सगे भाइयों की मृत्यु हो गई। इनमें से एक इंजीनियर व एक डाक्टर था। 02 मार्च को अम्बाला जिले के नारायणगढ़ में एक डम्पर  और कार की टक्कर से कार में सवार एक ही परिवार के 8 सदस्य मारे गए। 03 मार्च को राजस्थान के हनुमानगढ़ में शेरगढ़ गांव के निकट ट्रक और जीप दुर्घटना में 18 लोगों की मृत्यु हुई। 05 मार्च को मध्य प्रदेश के धार जिले में एक ट्रक से टकरा जाने के कारण मोटरसाइकिल सवार पति-पत्नी और उनके 2 बेटों की मृत्यु हो गई।

—इसी दिन जालौन में एक डम्पर के सड़क किनारे झोंपड़ी पर पलट जाने से एक ही परिवार के 3 बच्चों सहित 5 सदस्यों की तथा आगरा में एक सड़क दुर्घटना में पिता-पुत्र सहित 5 लोगों की मृत्यु हो गई। 

06 मार्च रात को दिल्ली में एक ‘हिट एंड रन’ के मामले में तेज रफ्तार मर्सिडीज कार के चालक ने माता-पिता के इकलौते बेटे अतुल अरोड़ा के स्कूटर को टक्कर मार दी जिससे उसकी मृत्यु हो गई। 09 मार्च को हिमाचल में चम्बा, सोलन और शिमला जिलों में 5 दुर्घटनाओं में एक दादा-पोते और पति-पत्नी सहित 10 लोग मारे गए। 12 मार्च को फतेहगढ़ साहिब में कोटला बजवाड़ा के निकट स्कूटर सवार मां-बेटी को एक कार ने टक्कर मार दी जिससे दोनों की मृत्यु हो गई।

13 मार्च को गुडग़ांव से लगभग 22 किलोमीटर दूर मानेसर में  एन.एच.-8 पर सुबह-सवेरे एक कार के पलट जाने से उसमें सवार पति-पत्नी की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई जबकि उनके 5 रिश्तेदार गंभीर घायल हो गए। ‘स्पीड थ्रिल्स बट किल्स’ की कहावत के अनुसार रफ्तार रोमांच तो अवश्य देती है परंतु इसके परिणाम भी उतने ही भयावह होते हैं और वाहन चालकों की लापरवाही से सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वालों में सर्वाधिक बलि 15 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं की हो रही है। 

अत: सड़क दुर्घटनाओं के दुखांत को रोकने के लिए वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करने के अलावा निर्धारित गति सीमा का पालन, शराब या कोई भी नशा करके वाहन चलाने पर रोक लगाना भी जरूरी है जिससे बड़ी संख्या में परिवार तबाह होने से बचाए जा सकते हैं। 

इसके साथ ही महत्वपूर्ण स्थानों पर बड़ी संख्या में ट्रैफिक पुलिस तैनात करने की जरूरत है। ट्रैफिक पुलिस के सदस्य न सिर्फ वाहन चलाने संबंधी नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोरतापूर्वक नजर रखें बल्कि वाहन चालकों के लाइसैंस आदि की भी पूरी तरह जांच और उल्लंघनकत्र्ताओं के चालान काटने के अलावा दोषियों को भारी दंड देना भी जरूरी है। यही नहीं, ट्रैफिक नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए इस संबंध में लापरवाही बरतने वाले ट्रैफिक पुलिस के सदस्यों के विरुद्ध भी शिक्षाप्रद कार्रवाई करनी चाहिए।                                                                                                   —विजय कुमार   

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