‘असहनशीलता, असंतोष और अशांति’ किधर जा रहा है देश हमारा

Edited By ,Updated: 06 Mar, 2017 10:04 PM

intolerance discontent and unrest where is our country being

जैसे-जैसे हमारा देश विकास कर रहा है, उतनी ही समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं और .....

जैसे-जैसे हमारा देश विकास कर रहा है, उतनी ही समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं और देश में व्याप्त अशांत वातावरण देखते हुए यही प्रश्र पैदा होता है कि आखिर यह सिलसिला कहां जाकर थमेगा? जिधर भी नजर दौड़ाएं अशांति, असंतोष और असहमति का लावा ही उबलता दिखाई दे रहा है। 

गत 22 फरवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कालेज में एस.एफ.आई. और आइसा द्वारा देशद्रोह का आरोप झेल रहे जे.एन.यू. के छात्र उमर खालिद और जे.एन.यू. छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शैला रशीद को आमंत्रित करने को लेकर ए.बी.वी.पी. और कम्युनिस्ट छात्र संगठनों में हिंसक झड़पें और पत्थरबाजी हुई जिसमें अनेक छात्र-छात्राएं घायल हो गए। इसी पृष्ठभूमि में फेसबुक पर डी.यू. की छात्रा गुरमेहर कौर की टिप्पणी पर बलात्कार की मिली धमकियों के बाद उसे दिल्ली छोडऩी पड़ी और जे.एन.यू. के स्कूल आफ सोशल साइंस में ‘डैमोक्रेटिक यूनियन फार स्टूडैंट्स’ नामक विवादास्पद संगठन द्वारा कश्मीर की आजादी के पोस्टर लगाए गए। 

1 मार्च को चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय परिसर में ए.बी.वी.पी. ने तिरंगा यात्रा निकाली और नारेबाजी करते हुए वामपंथी छात्र संगठनों पर देश विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाया। यहीं एस.एफ.एस. की ओर से 3 मार्च को पी.यू. में आयोजित सैमीनार  में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की कार्यकत्र्ता और देशद्रोह का मुकद्दमा झेल रही सीमा आजाद वेश बदल कर पहुंची और भाषण देकर चली गई। आज 10 दिनों बाद भी छात्रों में दिल्ली तथा देश के अन्य भागों में असंतोष की ज्वाला धधक रही है और 4 मार्च को छात्र संगठनों ने नई दिल्ली में मंडी हाऊस से जंतर-मंतर तक प्रदर्शन किया। 

हरियाणा के जाट आंदोलन की गूंज भी देश भर में सुनाई दे रही है। हजारों जाटों ने 2 मार्च को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन और संसद मार्ग के बाहर घेराव किया। उन्होंने 13 मार्च से असहयोग आंदोलन शुरू करके दिल्ली को दूध व सब्जी की सप्लाई रोकने तथा 20 मार्च से संसद घेरने की घोषणा भी की है। जाटों का कहना है कि ‘‘दिल्ली कूच के लिए 5,000 से अधिक ट्रैक्टरों का पंजीकरण किया जा चुका है और जहां कहीं भी हमारी ट्रैक्टर-ट्रालियों को रोकने की कोशिश की जाएगी तो हम वहीं पड़ाव डाल देंगे।

ट्रैक्टर-ट्राली हमारे हथियार हैं और यदि सरकार बैरियर लगाना चाहती है तो उसे दिल्ली के चारों ओर दीवार बनानी पड़ेगी।’’ उत्तर भारत में जहां जाट आंदोलन जोरों पर है तो गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन  समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल के नेतृत्व में चलाए जा रहे पाटीदार आरक्षण आंदोलन की गूंज फिर से सुनाई दे रही है। 

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 2 मार्च को एक समुदाय के युवकों द्वारा दूसरे समुदाय की महिलाओं और धार्मिक आस्था पर आपत्तिजनक वीडियो बनाकर सोशल साइट पर अपलोड करने के बाद हुई आगजनी और गोलीबारी के बाद क्षेत्र में साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो गया। अधिकारियों को स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए कफ्र्यू तक लगाना पड़ा। ऐसे वातावरण में देश के बड़बोले नेता भी नित्य विषैले बयान देकर आग में घी डाल रहे हैं। बिहार सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता अब्दुल जलील मस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध टिप्पणी करके और 1 मार्च को उनकी तस्वीर पर जूते मरवा कर भारी विवाद पैदा कर दिया। 

इसी प्रकार उज्जैन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक नेता कुंदन चंद्रावत ने भड़काऊ बयान देते हुए केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन का सिर लाने वाले को 1 करोड़ रुपए ईनाम देने की घोषणा कर दी जिस पर मची खलबली के बीच उसे गिरफ्तार कर लिया गया तथा संघ से भी निकाल दिया गया है।इसी दिन केरल में कोजीकोड के नदापुरम में  ‘संघ’ के कार्यालय के बाहर 2 अज्ञात मोटरसाइकिल सवारों द्वारा बम फैंकने से 4 भाजपा कार्यकत्र्ता घायल हो गए जबकि 5 मार्च को कोजीकोड के ही एक अन्य गांव में माक्र्सी वर्करों ने 3 आर.एस.एस. वर्करों पर हमला करके उन्हें घायल कर दिया। 

देश में अशांत वातावरण की यह तस्वीर विचलित करने वाली है और इस हालत में प्रत्येक राष्टवादी का चिंतित होना तथा उसके मन में यह प्रश्र उठना स्वाभाविक ही है कि आखिर हमारा देश किधर जा रहा है? ऐसे घटनाक्रम को रोकना सरकार की जिम्मेदारी है और इन समस्याओं को समाप्त करके देश में सकारात्मक वातावरण पैदा करने में जितना विलंब किया जाएगा हालात उतने ही खराब होते जाएंगे।                                                                  

                                                                          

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