पंजाब में पैंशन को तरस रहे लाखों वृद्ध, विधवा महिलाएं और बेरोजगार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Nov, 2017 04:10 AM

lakhs of elderly widowed women and unemployed in punjab

विभिन्न दलों के नेता चुनाव पूर्व के भाषणों में मतदाताओं को अनेक प्रलोभन देते हैं। इसी शृंखला में जहां पंजाब कांग्रेस ने चुनावों से पूर्व लंबा-चौड़ा घोषणापत्र जारी किया वहीं कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी जनता से बड़े-बड़े वायदे किए। इनमें बड़े वायदे...

विभिन्न दलों के नेता चुनाव पूर्व के भाषणों में मतदाताओं को अनेक प्रलोभन देते हैं। इसी शृंखला में जहां पंजाब कांग्रेस ने चुनावों से पूर्व लंबा-चौड़ा घोषणापत्र जारी किया वहीं कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भी जनता से बड़े-बड़े वायदे किए। इनमें बड़े वायदे वृद्धावस्था और विधवा पैंशन बढ़ाने तथा बेरोजगारी समाप्त करने के थे। 

बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने बाकायदा कैम्प भी लगाए थे। कई लोग तो इस उम्मीद में थे कि कांग्रेस सरकार के आते ही उनकी सरकारी नौकरी लग जाएगी और इस प्रलोभन में आकर लोगों ने धड़ाधड़ नौकरी के फार्म भी भरे। इसी प्रकार कांग्रेस ने बुढ़ापा और विधवा पैंशन 500 रुपए की बजाय 2000 रुपए करने की बात भी कही थी। चुनाव प्रचार अभियान से पहले ही कांग्रेस ने बड़े जोर-शोर से इस मुद्दे का प्रचार आरंभ किया था। प्रत्येक जिले में जहां-जहां कांग्रेस के इंचार्ज नियुक्त किए गए थे उन्होंने इस बात को खूब उछाला कि सत्ता में आते ही पैंशन की राशि 500 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए मासिक कर दी जाएगी। 

स्वयं कै. अमरेंद्र सिंह ने भी आदमपुर से कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए अकाली-भाजपा सरकार को कोसते हुए कहा था कि ‘‘500 रुपए में क्या बनता है और इसके लिए भी बुजुर्गों को कई-कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। यह सरकार निर्दयी हो चुकी है।’’ ‘‘कांग्रेस सरकार आने पर 500 रुपए की बजाय 2000 रुपए बुढ़ापा और विधवा पैंशन दी जाएगी। इसके लिए लाभपात्रों को सरकारी दफ्तरों में धक्के खाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी तथा यह सीधे उनके खाते में पहुंचेगी।’’ लोगों ने कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में की गई घोषणाओं को खूब सराहा। लोगों ने धड़ाधड़ कांग्रेस के खाते में वोट डाले और 10 साल सत्ता से बाहर रहने के बाद कांग्रेस ने पंजाब में पुन: सत्ता संभाल ली।

जहां तक बुढ़ापा एवं विधवा पैंशनों का संबंध है, 2000 रुपए मासिक पैंशन तो दूर, पिछले 5 महीनों से लाभार्थियों को 500 रुपए महीने की पैंशन भी नहीं मिल पा रही तथा वे सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। सरकार के पास एक ही जवाब है कि ‘‘पैसे नहीं हैं।’’ वहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल में विधवाओं को 700 रुपए मासिक तथा 70 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वालों को 1250 रुपए मासिक पैंशन दी जा रही है। प्रदेश में 80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को 1250 रुपए मासिक पैंशन दी जा रही है। हरियाणा में वृद्धावस्था, विधवा, दिव्यांग, बौना, किन्नर और लाडली पैंशन योजनाओं के अंतर्गत लाभार्थियों को 1600 रुपए मासिक पैंंशन दी जा रही है। यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि हमारे सांसद और विधायक अपने वेतन और भत्ते तो समय-समय पर बढ़ाते रहते हैं परंतु जब आम जनता की सुविधाओं की बात आती है तो कन्नी कतरा जाते हैं। 

बेशक पंजाब के वित्त मंत्री इस स्थिति के लिए पिछली अकाली-भाजपा सरकार पर दोषारोपण कर रहे हैं जिसने प्रदेश की आर्थिक स्थिति को पूरी तरह कंगाल कर दिया है परंतु इसमें भला वृद्धों, विधवाओं और बेरोजगारों का क्या दोष! यह तो वादे करने से पहले सोचना चाहिए था कि इन्हें पूरा करना संभव भी हो पाएगा या नहीं। पंजाब सरकार की इसी वायदा खिलाफी के चलते आज वृद्धों, विधवाओं और बेरोजगारों को पैंशन की छोटी-सी राशि के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और वे उसकी ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं।—विजय कुमार  

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