Edited By ,Updated: 23 Aug, 2016 02:00 AM
देश की स्वतंत्रता के समय हमारी जनसंख्या 33 करोड़ थी जो अब बढ़कर 130 करोड़ हो गई है और इसी अनुपात में समस्याएं भी बढ़ गई हैं जिनसे समूचा देश जूझ रहा है।
देश की स्वतंत्रता के समय हमारी जनसंख्या 33 करोड़ थी जो अब बढ़कर 130 करोड़ हो गई है और इसी अनुपात में समस्याएं भी बढ़ गई हैं जिनसे समूचा देश जूझ रहा है। इसके बावजूद कुछ समय से भाजपा तथा उसके सहयोगी संगठनों के नेता लगातार हिन्दुओं को अपनी जनसंख्या बढ़ाने के सुझाव देते आ रहे हैं जिनसे अनावश्यक विवाद उत्पन्न हो रहे हैं :
* 7 जनवरी, 2015 को भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा, ‘‘धर्म की रक्षा करने के लिए हिन्दू महिलाओं को कम से कम 4 बच्चे पैदा करने चाहिएं।’’
* 19 जनवरी को बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य श्री वसुदेवानंद सरस्वती ने कहा, ‘‘प्रत्येक हिन्दू परिवार कम से कम 10 बच्चे पैदा करे।’’
* 2 फरवरी को भाजपा नेता साध्वी प्राची ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, ‘‘प्रत्येक हिन्दू 4 बच्चे पैदा करे, 40 पिल्ले नहीं।’’
* 4 अप्रैल को ‘विहिप’ के महासचिव चंपत राय ने कहा कि ‘‘हिन्दुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने होंगे नहीं तो देश पर मुसलमानों का कब्जा हो जाएगा।’’
* 7 सितम्बर को विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगडिय़ा ने कहा,‘‘हम हिंदुओं को 4 बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’’
* 7 जनवरी, 2016 को काशी सुमेर पीठ के शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज ने कहा,‘‘यदि महाभारत काल में परिवार नियोजन होता तो हम श्री कृष्ण और श्री बलराम की लीला नहीं देख पाते।’’
फिर 30 मई को उन्होंने कहा कि ‘‘जहां-जहां हिंदुओं की संख्या घटी, वहां आतंकवाद बढ़ा है। परिवार नियोजन की बात करने वाला मूर्ख है। यदि दशरथ परिवार नियोजन अपनाते तो (राम को) भरत जैसा भाई कैसे मिलता?’’
और अब 21 अगस्त को आगरा में एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत ने हिंदुओं की घटती जनसंख्या के मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए उनसे ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की है।
युवा हिंदू दंपतियों को अधिक बच्चे पैदा करने का परामर्श देते हुए श्री भागवत ने कहा कि ‘‘आप लोग कह रहे हैं कि ‘उनकी’ जनसंख्या बढ़ रही है। दूसरे धर्म वाले जब इतने बच्चे पैदा कर रहे हैं तो क्या आपको किसी कानून ने रोक रखा है? कोई भी कानून हिंदुओं के ज्यादा बच्चे पैदा करने पर पाबंदी नहीं लगाता। ऐसी कोई बात नहीं है।’’
ऐसे बयान पूर्णत: ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ की सरकार की नीति के भी विपरीत हैं। केवल जनसंख्या बढ़ाकर मजबूती नहीं लाई जा सकती। जनसंख्या बढऩे के साथ-साथ ही बेरोजगारी और गरीबी भी बढ़ती है।
अतीत में भी ऐसे बयानों की आलोचना होती रही है और इस बार भी श्री भागवत के उक्त बयान के लिए विभिन्न दल श्री भागवत, भाजपा और मोदी सरकार की जमकर आलोचना कर रहे हैं।
‘कांग्रेस’ के श्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि ‘‘वह (श्री भागवत) तो धर्म की ही खाते हैं। वह और क्या बात करेंगे? अपने हर बयान में श्री भागवत (समाज को) बांटने की बात करते हैं। उन्हें बेरोजगारी और महंगाई पर बोलना चाहिए परंतु वह ऐसा नहीं करते।’’
‘बसपा’ सुप्रीमो मायावती ने पूछा है कि ‘‘यदि हिंदू अधिक बच्चे पैदा करना शुरू कर देंगे तो क्या भाजपा उन्हें नौकरियां देगी?’’
‘सपा’ के आजम खान ने कहा है कि ‘‘पहले उन्हें ‘शहंशाह’ (इशारा श्री नरेंद्र मोदी की ओर) को बच्चे पैदा करने के लिए कहना चाहिए।’’
‘आप’ के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि ‘‘पहले श्री भागवत को स्वयं 10 बच्चे पैदा करके उनकी अच्छी परवरिश करके दिखानी चाहिए।’’ आज जमाना बदल चुका है। शिक्षित व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो, अपने बच्चों को अपने से भी बेहतर उच्च शिक्षा व अच्छी जीवनोपयोगी सुविधाएं उपलब्ध करवाना चाहता है। इसलिए वह 2 से अधिक बच्चे नहीं चाहता। यही कारण है कि आज पढ़े-लिखे परिवार कम बच्चे पैदा कर रहे है तथा अब पढ़ी-लिखी महिलाएं भी 2 से अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं और वैसे भी अधिक बच्चे पैदा करने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
आज समाज को ऐसे बयानों की नहीं बल्कि शिक्षा को बढ़ावा देने तथा परिवार नियोजन के प्रति जनजागरण के प्रयासों की जरूरत है ताकि समाज के जिस वर्ग में बेरोजगारी, पिछड़ेपन, अज्ञानता आदि कारणों से लोग अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं उनमें शिक्षा के प्रसार, रोजगार के अवसरों में वृद्धि आदि द्वारा उन्हें ऐसा करने से रोका जा सके।