‘अध्यापक-अध्यापिकाओं’ द्वारा छात्रों से ‘मारपीट और यौन शोषण’

Edited By ,Updated: 24 May, 2016 11:57 PM

teacher teachers students from assault and sexual abuse

हमारे धर्म-ग्रंथों में कहा गया है कि जैसे ब्रह्मा का कार्य सृष्टि की रचना करना है, वैसे ही गुरु का कार्य भी शिष्य ...

हमारे धर्म-ग्रंथों में कहा गया है कि जैसे ब्रह्मा का कार्य सृष्टि की रचना करना है, वैसे ही गुरु का कार्य भी शिष्य का निर्माण करना, ज्ञानरूपी दान देकर उसका पालन-पोषण करना, चरित्र निर्माण करना और शिष्य की बुराइयों का संहार करना है परन्तु हमारे आज के चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं तो स्वयं ही उक्त आदर्शों से भटक गए हैं, जो हाल ही की निम्र चंद घटनाओं से स्पष्ट है : 

3 मई को सरकारी प्राइमरी स्कूल, मोहल्ला रामगढिय़ा, हरियाना की चौथी कक्षा की छात्रा जसप्रीत कौर को उसके अध्यापक ने बुरी तरह पीटा। 4 मई को सरकारी हाई स्कूल गांव जरटौली (लुधियाना) के 58 वर्षीय अध्यापक बंत सिंह के विरुद्ध एक 10 वर्षीय छात्रा से अभद्र आचरण करने के आरोप में केस दर्ज किया गया। यह मामला तब प्रकाश में आया जब उक्त लड़की ने इन्फैक्शन के चलते अपने गुप्तांग में दर्द की शिकायत की।  यह अध्यापक लड़कियों के शौचालय में जाकर उनको परेशान करता था। 

6 मई को संगरूर जिले के गांव मानवाला के सरकारी एलीमैंटरी स्कूल में एक अध्यापिका ने 5 वर्षीय बालक हरनूर सिंह की डंडों से बेरहमी से पिटाई की जिससे उसके शरीर पर घाव हो गए। 6 मई को ही गाजियाबाद के मुरादनगर की पठानां कालोनी स्थित एक स्कूल में मासिक परीक्षा में कम अंक आने पर अध्यापिका ने अरमान खान नामक छात्र को पीटा और एक छड़ी उसके मुंह पर भी मार दी जो उसकी आंख के नीचे लगी तथा सौभाग्यवश वह अंधा होने से बच गया।

11 मई को केंद्रीय विश्वविद्यालय शाहपुर (हिमाचल) के लड़कों के होस्टल में वार्डन को आई.टी. के 2 छात्रों के यौन उत्पीडऩ के आरोप में उसके पद से हटा कर उसके विरुद्ध जांच का आदेश दिया गया। 12 मई को हरियाणा में जींद के लिसवाना स्थित सरकारी स्कूल की 7वीं कक्षा की छात्राओं को एक महिला अध्यापिका ने होमवर्क न करके आने पर बुरी तरह पीटा और उनसे 1000 बैठकें निकलवाईं जिस कारण वे बेहोश हो गईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा।

12 मई को ही हरियाणा में सुभाष कालोनी, अम्बाला के सरकारी मिडल स्कूल के सोशल साइंस के अध्यापक राजेंद्र कुमार को स्कूल में छुट्टïी हो जाने के बाद कोङ्क्षचग के नाम पर छठी से 8वीं कक्षा की नाबालिग छात्राओं को रोक कर उनके यौन उत्पीडऩ के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

14 मई को उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के टिसौरा गांव स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ट्रांसफर सर्टीफिकेट लेने पहुंचे 8वीं कक्षा के छात्र अनुराग से प्रधानाध्यापक ने कथित रूप से 500 रुपए मांगे और न देने पर स्कूल का बैंच तोडऩे का आरोप लगाते हुए उसे पीट डाला। 18 मई को गुरुहरसहाय के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसीपल सुखदेव सिंह भट्टी तथा 4 अन्य धर्मपाल सिंह एस.एस. मास्टर, हरपाल कौर पंजाबी मिस्ट्रैस, निशा बाला क्लर्क तथा कुलदीप सिंह चौकीदार को स्कूल में ही ‘गलत हरकतें’ करने के आरोप में निलंबित किया गया। 

20 मई को हरियाणा के मेवात में आकेड़ा गांव के सरकारी सी.सै. स्कूल में मामूली सी बात पर एक अध्यापक ने एक छात्र को कमरे में बंद करके जानवरों की तरह बेरहमी से पीटा, जिससे वह बेहोश हो गया। 21 मई को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने छात्रों को ठीक से न पढ़ाने, गालियां देने और पीटने के आरोप में लाजपत नगर दिल्ली के शहीद हेमू कालाणी सर्वोदय बाल विद्यालय के 3 अध्यापकों को नौकरी से निकालने तथा 3 अन्यों को निलंबित करने के आदेश जारी किए। 

उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि अध्यापन जगत से जुड़े चंद लोग आदर्शों से किस कदर भटक गए हैं। पहले भी अध्यापक दंड देते थे पर वह आज की तरह अमानवीय व अनैतिक न होकर कान ऐंठने, मुर्गा बनाने, हल्की सी चपत लगाने या बैंच पर कुछ देर खड़े करने तक ही सीमित था जबकि आज अध्यापक-अध्यापिकाएं अमानवीयता की सभी सीमाएं लांघ रहे हैं। 

अध्यापक वर्ग अपने बच्चों को दूसरों के बच्चों के स्थान पर रख कर देखे और स्वयं से पूछे कि यदि कोई अन्य अध्यापक-अध्यापिका उनके बच्चों से ऐसा व्यवहार करे तो उन्हें कैसा लगेगा! अत: आज जरूरत है कि अध्यापक वर्ग बच्चों के प्रति अपना दायित्व वैसे ही जिम्मेदारी से निभाए जैसे पहले निभाता रहा है तभी वे पहले की भांति छात्रों व उनके माता-पिता के सम्मान के पात्र बन सकेंगे।
      —विजय कुमार 

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