‘500 रुपए वाली शादी ने’ मात दी 500 करोड़ वाली शादी को

Edited By ,Updated: 03 Dec, 2016 02:27 AM

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पुराने जमाने में लोग विवाह-शादियों पर अपनी सामथ्र्य के अनुसार खर्च किया करते थे परंतु पिछले 4-5 दशक में एक-दूसरे ...

पुराने जमाने में लोग विवाह-शादियों पर अपनी सामथ्र्य के अनुसार खर्च किया करते थे परंतु पिछले 4-5 दशक में एक-दूसरे की देखा-देखी विवाह-शादियों पर होने वाला खर्च अत्यधिक बढ़ गया है। इसके लिए लड़की वालों को ऋण तक लेना पड़ जाता है जिसे उतारने में उनकी उम्र बीत जाती है। 

बेशक अधिकांश लोग विवाह-शादियों पर फिजूलखर्ची के गलत रुझान की आलोचना तो करते हैं परंतु स्वयं इस पर अमल नहीं करते। अभी 16 नवम्बर को ही कर्नाटक के माइनिंग किंग जी. जनार्दन रैड्डी ने उद्योगपति राजीव रैड्डी के साथ अपनी बेटी ‘ब्रह्मणी’ के विवाह पर 500 करोड़ रुपए से भी अधिक राशि खर्च करके 2 मार्च 2011 को हरियाणा के पूर्व विधायक सुखबीर सिंह जौनपुरिया द्वारा अपनी बेटी योगिता के विवाह पर किए लगभग 250 करोड़ रुपए खर्च का रिकार्ड तोड़ दिया।

आज जबकि देश में बड़ी संख्या में लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन बिता रहे हैं और रात को आधा पेट भोजन करके ही सोने के लिए मजबूर हैं, विवाह-शादियों पर धन का इतना अपव्यय नैतिक अपराध से कम नहीं। इसी गलत रुझान को रोकने के लिए कुछ लोग इस मामले में निजी तौर पर पहल कर रहे हैं। 

इसी सिलसिले में 28 नवम्बर को आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा की सब कलैक्टर डा. सलोनी सिडाना आई.ए.एस. ने तथा मध्य प्रदेश काडर के आई.ए.एस. अधिकारी आशीष वशिष्ठ ने भिंड के एडीशनल जिला मैजिस्ट्रेट की अदालत में मात्र 500 रुपए की कोर्ट फीस अदा करके अपनी शादी की कानूनी औपचारिकताएं पूरी करके और उतनी ही सादगी से धार्मिक रस्में भी निभा कर एक मिसाल पेश की है।

यही नहीं, शादी के 48 घंटे बाद ही बुधवार को दोनों पति-पत्नी अपनी-अपनी ड्यूटी पर भी लौट गए। डा. सलोनी ने विजयवाड़ा में और उनके पति ने मध्य प्रदेश में अपनी ड्यूटी संभाल ली। इनकी सादगी का आलम यह है कि अपने विवाह की खुशी में अपने मित्रों, परिचितों और रिश्तेदारों को कोई पार्टी देने का भी उनका विचार नहीं है। 

एक ओर जहां कर्नाटक के माइनिंग बैरन जी. जनार्दन रैड्डी द्वारा अपनी बेटी की शादी पर 500 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए उनकी भारी आलोचना हो रही है, वहीं डा. सलोनी सिडाना और आशीष वशिष्ठ द्वारा मात्र 500 रुपए में विवाह बंधन में बंधने और उसके तुरंत बाद अपनी-अपनी ड्यूटी पर लौट जाने के लिए उनकी हर ओर से प्रशंसा हो रही है।

डा. सलोनी सिडाना के एक जूनियर अधिकारी के अनुसार, ‘‘इस समय जबकि समूचा देश घोर करंसी क्राइसिस का सामना कर रहा है, हमारी अधिकारी का इस प्रकार विवाह रचाना सबके लिए एक सुखद आश्चर्य है।’’ 

सलोनी सिडाना का कहना है कि, ‘‘हमने ऐसा प्रचार की खातिर नहीं किया और न ही इसे मैं कोई असाधारण कृत्य समझती हूं। हम दोनों विवाह सादगीपूर्वक सम्पन्न करना चाहते थे और हमने ऐसा ही किया।’’ देश बदलाव के एक दौर के साथ-साथ आयिर्तक संकट में से गुजर रहा है, ऐसे में यह बहुत अच्छा और व्यावहारिक निर्णय है जिससे प्रेरणा लेकर हमारे युवाओं को भी सादगीपूर्वक और कम खर्च में विवाह सम्पन्न करवाने का संकल्प लेना चाहिए।

इससे न सिर्फ लोग अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचेंगे बल्कि विवाह-शादियों में दिखावे पर खर्च किया जाने वाला धन अन्य उपयोगी कार्यों पर खर्च किया जा सकेगा। सभी बिरादरियों के संगठनों को अपने-अपने भाईचारे में विवाह, समारोहों पर फिजूलखर्ची और धन का अनुचित प्रदर्शन करने के विरुद्ध फतवे जारी करने चाहिएं और इनका उल्लंघन करने वालों के लिए शिक्षाप्रद दंड की व्यवस्था करनी चाहिए। 

इससे उन माता-पिता को बहुत सहायता मिलेगी जिनकी नींद अपनी बेटी की शादी के लिए धन जुटाने की चिंता में उड़ी रहती है। 
 

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