अब दिल्ली में ‘अवैध हथियारों’ की होने लगी ‘होम डिलिवरी’

Edited By ,Updated: 06 Feb, 2016 01:18 AM

today delhi illegal arms became the home delivery

वैसे तो देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति शेष देश से बेहतर होनी चाहिए, पर वास्तविकता इसके विपरीत है।

वैसे तो देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति शेष देश से बेहतर होनी चाहिए, पर वास्तविकता इसके विपरीत है। यहां अपराध लगातार बढ़ रहे हैं जिनमें बड़ी संख्या में अवैध हथियार प्रयुक्त हो रहे हैं। 

 
हाल ही में दिल्ली पुलिस ने एक ‘चलती-फिरती हथियारों की दुकान’ पकड़ कर हथियारों केे ‘होम डिलिवरी स्कैंडल’ का पता लगाया है। गिरफ्तार किए गए सविंद्र कुमार ने अपनी ‘शेवरले एवियो’ कार को ही ‘गोदाम’ बना रखा था और सप्लाई के लिए वह एस.एम.एस., व्हाट्सएप तथा ‘इमो’ नामक एक वीडियो चैट साफ्टवेयर की सहायता से आर्डर लेता था। 
 
पुलिस ने सविंद्र कुमार की कार में विशेष रूप से बनाए ठिकाने में रखे 500 अत्याधुनिक पिस्तौल व 100 कारतूस बरामद किए। सविंद्र ने धनबाद (झारखंड) में स्थानीय निर्माताओं की मदद से हथियार बनाने का एक कारखाना भी लगा रखा था और आर्डर के हिसाब से होम डिलिवरी करता था। 
 
एन.सी.आर. व उत्तर प्रदेश (पश्चिम) में अवैध हथियारों की डिलीवरी के लिए अदायगी हवाला के माध्यम से या नकद की जाती है। हथियारों के इन व्यापारियों ने अब ‘वैपन ऑन डिमांड’ सुविधा भी शुरू कर दी है और ये हथियार ‘सिडान’ गाडिय़ों अथवा अन्य वाहनों से खरीदारों तक पहुंचाए जाते हैं। 
 
.32 बोर का पिस्तौल व 2 मैगजीन 35,000/40,000 रुपए, .32 बोर पिस्तौल 20,000/25000 रुपए, 9 एम.एम. पिस्तौल 20,000/45,000, सिंगल बैरल शॉटगन 20,000/25,000, ए.के. 47 राइफल 1 लाख/2 लाख, कार्बाइन 15,000/25,000, डबल बैरल बंदूक 40,000/50,000, कट्टा 1500/5000, कारतूस 150/350 व मैगजीन 5000/7500 रुपए में उपलब्ध है। 
 
दिल्ली में अवैध हथियारों की मांग अधिक होने के कारण मेरठ (उत्तर प्रदेश), मुंगेर (बिहार) और खरगौन (मध्य प्रदेश) के अवैध हथियार व्यापारियों के अलावा अब इस धंधे में नक्सलवादी भी शामिल हो गए हैं। 
 
यहां उल्लेखनीय है कि आज नक्सलवाद न सिर्फ देश के लिए आतंकवाद से भी बड़ा खतरा बन चुका है बल्कि नक्सलवादियों ने अपने सम्पर्क इतने बढ़ा लिए हैं कि इन्हें जर्मनी, तुर्की व फिलीपींस सहित दो दर्जन के लगभग देशों के नक्सली संगठनों का समर्थन मिल रहा है और इन्होंने झारखंड के घने जंगलों में साइलैंसर युक्त जैनरेटरों की सहायता से चलने वाले हथियार बनाने के ‘गुप्त’ कारखाने भी कायम कर लिए हैं। 
 
अब दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठï के लिए चुनौती बनकर उभरे नक्सलियों के झारखंड मॉड्यूल का रहस्योद्घाटन हुआ है, जो न सिर्फ पूरे देश में फैला हुआ है बल्कि इसके तार किसी बाहरी देश से हिलाए जा रहे हैं। इस मॉड्यूल का सरगना राजनीतिक संपर्कों वाला एक हाई प्रोफाइल व्यक्ति है जिसे कई बार धनबाद के रास्ते नेपाल जाते हुए देखा गया है। 
 
झारखंड व इसके आसपास के इलाकों में नक्सल विरोधी कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे पुलिस बल उन 4-5 ‘कैरियरों’ की तलाश कर रहे हैं जो झारखंड के कारखानों में बने हथियार गुप्त स्थानों वाली ‘सिडान’ कारों में लेकर दिल्ली आते हैं।
 
नक्सलियों को उत्तर प्रदेश के विभिन्न गिरोहों का समर्थन भी मिल रहा है और उनके इस अवैध धंधे में हथियारों के कुछ व्यापारी भी शामिल हैं। दिल्ली में सक्रिय अपराधियों के गिरोहों को न सिर्फ अपनी आपराधिक गतिविधियों के लिए बल्कि अवैध कब्जों के लिए भी इन हथियारों की जरूरत पड़ती है। 
 
अवैध हथियारों के व्यापारी और खरीदार दोनों ही व्हाट्सएप को ज्यादा अधिमान दे रहे हैं क्योंकि व्हाट्सएप पर खरीदार को हथियार का फोटो भी देखने को मिल जाता है और यदि उसे किसी खास हथियार की जरूरत हो तो वह उसकी फोटो भेज कर अपनी जरूरत स्पष्टï कर सकता है। 
 
स्पष्ट है कि राजधानी में अवैध हथियारों का धंधा करने वालों ने अपनी जड़ें बेहद गहरी जमा ली हैं। जितने बड़े पैमाने पर अपराधी गिरोहों और अवैध हथियारों के व्यापारियों ने अपना जाल फैलाया है, इस चक्रव्यूह को तोडऩे के लिए प्रशासन को भी उतने ही बड़े स्तर पर अभियान चलाना पड़ेगा और यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह देश की राजधानी न रह कर ‘अपराध और अपराधियों की राजधानी’ बन कर ही रह जाएगी। 

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