‘86 वर्षीय’ बूढ़ी नानी पर दोहते के अत्याचारों की ‘दुखद कहानी’

Edited By ,Updated: 25 Apr, 2017 10:41 PM

tragedy story of atrocities on dahte on 86 year old old grandmother

कोई समय था जब संतान अपनी मां के चरणों में स्वर्ग और पिता के चरणों में भगवान देखती.....

कोई समय था जब संतान अपनी मां के चरणों में स्वर्ग और पिता के चरणों में भगवान देखती थी परंतु आज जमाना बदल रहा है। आमतौर पर ऐसा होता है कि अपने नाम जायदाद लिखवा लेने के बाद संतानें अपने बूढ़े माता-पिता की तरफ से आंखें फेर कर उन्हें ‘जीवन की संध्या’ अत्यंत मजबूर हालात में बिताने के लिए बेसहारा छोड़ देती हैं या फिर सम्पत्ति अपने नाम लिखवाने के लिए संतानें उन पर तरह-तरह के मानसिक और शारीरिक अत्याचार करने लगती हैं। 

इसी संदर्भ में कुछ समय पूर्व पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश और उनके बेटे के बीच उनकी कोठी को लेकर विवाद की काफी चर्चा हुई थी। अपनी कोठी का कब्जा लेने के लिए उन्हें न्यायालय की शरण लेनी पड़ी जिस पर अदालत ने चंडीगढ़ के एस.एस.पी. को 24 घंटे के अंदर कार्रवाई करने का निर्देश देकर उनकी समस्या सुलझाई थी। इसी कड़ी में नवीनतम मामला अमरीका में भारत के राजदूत नवतेज सरना की 86 वर्षीय मां श्रीमती सुरजीत सरना व उनके दोहते का है जिसने 22 अप्रैल को श्रीमती सरना के ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली स्थित मकान के स्वामित्व को लेकर उनसे कथित रूप से बुरी तरह मारपीट कर डाली। श्रीमती सरना इस मकान में नवतेज सरना के बच्चों के साथ रहती हैं। उनके पति महेंद्र सिंह सरना की 2001 में मृत्यु हो चुकी है।

श्रीमती सरना का दोहता इनकी देहरादून में रहने वाली तलाकशुदा बेटी का बेटा है। वह बचपन से ही श्रीमती सुरजीत सरना के साथ उनके मकान में ही रह रहा है लेकिन बड़ा होने पर उसने उनसे संपत्ति में हिस्सा मांगना शुरू कर रखा है। हाल ही में उसने अपनी नानी पर दबाव डाला कि वह अपनी सारी सम्पत्ति उसके नाम कर दें। 

श्रीमती सरना के अनुसार 21 अप्रैल को जब वह अपने दोहते के कमरे में उसे जगाने गईं तो वह प्रापर्टी अपने नाम न करने पर उनके साथ गाली-गलौच करने लगा लेकिन उस दिन बाद में मामला रफा-दफा हो गया था। 22 अप्रैल को दोहते ने पुन: सुरजीत सरना से गाली-गलौच किया और जब उन्होंने प्रापर्टी के कागजात उसके नाम करने से इंकार कर दिया और बालकोनी की ओर भागीं तो उसने इनका पीछा करके गर्दन से पकड़ कर इनका गला घोंटने की कोशिश करते हुए उनका सिर दीवार में दे मारा और कहा कि वह उन्हें मार डालेगा। 

श्रीमती सरना के अनुसार, ‘‘वह मुझे इस प्रापर्टी को छोड़ कर चले जाने के लिए धमकाता व कहता था कि मैं प्रापर्टी उसके नाम कर दूं।’’ पुलिस के अनुसार सुरजीत सरना के सिर, आंख, घुटने और शरीर के अन्य हिस्सों पर चोटें लगी हैं और मामला दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उक्त घटना से स्पष्टï है कि मुख्य रूप से सम्पत्ति को लेकर सामान्य परिवारों के बुजुर्ग ही नहीं बल्कि उच्च वर्ग से संबंध रखने वाले बुजुर्ग भी समान रूप से अपनी सम्पत्ति के स्वामित्व को लेकर संतानों के हाथों ही नहीं दोहते-दोहतियों और पोते-पोतियों तक से उत्पीड़ित और प्रताडि़त हो रहे हैं। 

यह कल्पना करना ही तकलीफदेह है कि आज हमारे बुजुर्ग किस कदर दयनीय एवं निरीह स्थिति में अपनी ‘जीवन की संध्या’ बिता रहे हैं जिसमें दुखों, आहों और आंसुओं के सिवा और कुछ भी नहीं। यदि एक पूर्व न्यायाधीश तथा वरिष्ठ राजनयिक की मां को अपनी संतानों के हाथों इस प्रकार के व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है तो फिर आम आदमी भला किस ‘खेत की मूली’ हैं।—विजय कुमार 

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