Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Feb, 2018 01:10 AM
गत वर्ष 1 अगस्त को भाजपा सांसद वरुण गांधी ने लोकसभा में सांसदों द्वारा अपने वेतन बढ़वाने के लगातार बढ़ रहे रुझान पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि एक दशक के दौरान इंगलैंड में सांसदों के वेतन 13 प्रतिशत बढ़े जबकि भारत में सांसदों ने अपने वेतन...
गत वर्ष 1 अगस्त को भाजपा सांसद वरुण गांधी ने लोकसभा में सांसदों द्वारा अपने वेतन बढ़वाने के लगातार बढ़ रहे रुझान पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि एक दशक के दौरान इंगलैंड में सांसदों के वेतन 13 प्रतिशत बढ़े जबकि भारत में सांसदों ने अपने वेतन 400 प्रतिशत बढ़ाए हैं और वे निजी व्यापारिक कम्पनियों की तरह वेतन ले रहे हैं।
अब 28 जनवरी को श्री वरुण गांधी ने लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को लिखे पत्र में उनसे अपील की है कि वह आर्थिक रूप से सम्पन्न सांसदों द्वारा 16वीं लोकसभा के बचे कार्यकाल में अपना वेतन छोडऩे के लिए आंदोलन शुरू करें। वरुण गांधी ने यह सुझाव ऐसे समय में दिया है जब सांसदों के वेतन वृद्धि का सिस्टम बनाने की तैयारी शुरू है।
वरुण गांधी ने कहा, ‘‘संसद के दोनों सदनों में अच्छी-खासी संख्या में सांसद करोड़पति हैं। वर्ष 2009 में करोड़पति सांसदों की संख्या 319 थी जो अब बढ़कर 449 हो गई है। लोकसभा के 132 सांसदों ने अपनी सम्पत्ति 10 करोड़ रुपए से अधिक घोषित की है जबकि 96 प्रतिशत राज्यसभा सांसद करोड़पति हैं।’’ वरुण का मानना है कि सांसदों द्वारा त्यागे गए वेतन की राशि समुद्र में एक बूंद के समान ही होगी परंतु इससे लोगों में उनके प्रति अच्छी धारणा बनेगी।
वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में यह मुद्दा सीधे तौर पर जनता से जुड़ा है। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वïान पर देश के मध्यम वर्ग के लगभग1.20 करोड़ लोग एल.पी.जी. पर सबसिडी छोड़ सकते हैं तो सांसद अपना वेतन क्यों नहीं छोड़ सकते? यदि वे अपना वेतन त्यागेंगे तो लोगों में उनके प्रति एक सकारात्मक संदेश जाएगा कि जनप्रतिनिधियों को भी ‘जन’ की चिंता है।—विजय कुमार