पाक पर दबाव बनाने के साथ अन्य प्रतिरक्षा त्रुटियां भी दूर करें

Edited By ,Updated: 29 Sep, 2016 02:09 AM

with pressure on pakistan to remove other immune defects

जम्मू-कश्मीर में सेना मुख्यालय पर 18 सितम्बर को पाक समथत आतंकियों द्वारा हमारे20 जवानों को शहीद करने के विरुद्ध भारत ...

जम्मू-कश्मीर में सेना मुख्यालय पर 18 सितम्बर को पाक समथत आतंकियों द्वारा हमारे20 जवानों को शहीद करने के विरुद्ध भारत सरकार रणनीतिक व कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर एक्शन मोड में आ कर आतंकवादियों के विरुद्ध असरदार कार्रवाई के लिए सुरक्षाबलों को खुला हाथ देने के अलावा भारतीय प्रतिरक्षा तंत्र में व्याप्त कमजोरियां दूर करने की दिशा में कुछ सक्रिय हुई है।

इसी सिलसिले में भारत-पाक सीमा पर सुरक्षा मजबूत करने के लिए इसने ‘मधुकर गुप्ता समिति’ द्वारा खुले स्थानों पर बाड़ लगाने, वैज्ञानिक प्रोद्यौगिकी का इस्तेमाल करने व नदी-नालों से लगे मोर्चों पर निगरानी बढ़ाने संबंधी दी गई सिफारिशें लागू करने का निर्णय भी लिया है। 

इसके साथ ही अद्र्धसैनिक बलों के परिवारों को भी सैनिक परिवारों के बराबर सुविधाएं देने की घोषणा की गई है। कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को घेरने के प्रयासों  के अंतर्गत उसके साथ सिंधु जल समझौता तथा पाकिस्तान सरकार को दिया हुआ तरजीही व्यापारी देश (एम.एफ.एन.) का दर्जा समाप्त करने पर भी भारत सरकार विचार कर रही है। 

26 सितम्बर को संयुक्त राष्टï्र महासभा के सत्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर प्रहार किए और उसे अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत देते हुए कश्मीर का सपना न लेने का सुझाव दिया। 

इतना ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवम्बर में इस्लामाबाद में दक्षेस सम्मेलन में भी भाग न लेने का निर्णय लेतेे हुए आरोप लगाया है कि आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए कायम किए गए इस संगठन के किसी सदस्य द्वारा यदि आपसी संबंधों में कटुता फैलाई जा रही हो तो उसकी बैठक में शामिल होने का कोई लाभ नहीं है। भारत द्वारा हिस्सा लेने से इंकार करने पर इस सार्क सम्मेलन को स्थगित कर दिया गया है।

अभी तक तो बंगलादेश के साथ हमारे संबंध कुछ ठीक हैं परंतु कल वहां सत्ता परिवर्तन के बाद क्या स्थिति होगी कहना मुश्किल है। अत: भारत सरकार के उक्त पग सराहनीय होने के बावजूद वहां भी कुछ अन्य पग उठाने की आवश्यकता है। 

भारत-पाक सीमा की भांति ही 4096 किलोमीटर लम्बी भारत-बंगलादेश सीमा भी अत्यंत संवेदनशील है। यहां भी सुरक्षा बल एवं प्रबंध पूरे नहीं है। यहां 2580 किलोमीटर पर ही बाड़ लगी हुई है और फ्लड लाइटें तो 2298 किलोमीटर सीमा पर ही लगी हैं जबकि यहां से भारत में बड़े पैमाने पर जाली करंसी, सोना, मवेशियों, नशीली वस्तुओं और अन्य वस्तुओं की तस्करी होती है। यहां 366 ‘स्मगलर फ्रैंडली’ ठिकाने हैं जिन्हें सील करने की तुरंत आवश्यकता है।

इसी प्रकार 22 सितम्बर को मुम्बई से लगभग 50 किलोमीटर दूर ‘उरन नेवी बेस’ के निकट चंद संदिग्धों को देखे जाने के बाद मुम्बई सहित महाराष्ट में हमारी तट-रेखा के सुरक्षा प्रबंधों में त्रुटियां एक बार फिर चर्चा में हैं।

1993 में मुम्बई धमाकों में प्रयुक्त विस्फोटक रायगढ़ तट पर उतारे गए थे व 26-11-2008 को मुम्बई में 60 घंटे तक कहर मचाने वाले 166 से अधिक लोगों के हत्यारे 10 पाकिस्तानी आतंकवादी भी समुद्री मार्ग से ही महाराष्ट में घुसे थे। 

26/11 हमले के बाद हमारी इस तट रेखा की सुरक्षा संबंधी सुझाव देने के लिए रामप्रधान समिति गठित की गई थी जिसके अनेक सुझाव अभी तक लागू नहीं किए गए। इनमें मुम्बई में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाना, तटरक्षकों को बुलेटप्रूफ जैकेटें देना, 44 तटवर्ती पुलिस स्टेशन बनाना, 25-30 आधुनिक नौकाएं प्राप्त करना आदि शामिल हैं।

नौकाओं और पुलिस स्टेशनों के लिए 1000 तकनीकी पद भी कायम किए गए थे परंतु इनमें से भी अभी तक 500 पद ही भरे जा सके हैं तथा सिर्फ 6 पुलिस स्टेशन ही कायम किए जा सके हैं। समुचित योजना के अभाव में तटवर्ती सुरक्षा के लिए निर्धारित कोष का भी इस्तेमाल नहीं किया गया जिससे महाराष्ट की तट-रेखा लगातार शत्रुओं के हमले के निशाने पर है।

अत: मात्र मधुकर समिति की सिफारिशें लागू करना ही काफी नहीं। भारत की एकता-अखंडता को यकीनी बनाने के लिए पाकिस्तान पर बनाए जा रहे रणनीतिक व कूटनीतिक दबाव के साथ ही भारतीय प्रतिरक्षा तंत्र में त्रुटियों को दूर करना व देश के तटवर्ती मार्गों की सुरक्षा हेतु वांछित पग उठाना भी जरूरी है।

इसके अलावा हमारे अपने घर के अंदर बैठे आतंकवादियों का पता लगाकर उनका उसी प्रकार जड़ से सफाया करना भी समान रूप से आवश्यक है जिस प्रकार श्रीलंका सरकार ने सेना लगाकर 6 महीने में ही लिट्ट आतंकवादियों का सफाया करने में सफलता पाई थी।     

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