‘साम्प्रदायिक तनाव’ से योगी आदित्यनाथ की ‘मुश्किलें बढ़ने लगीं’

Edited By ,Updated: 22 May, 2017 11:00 PM

yogi adityanaths troubles started to increase with communal tension

राजनीतिक क्षितिज पर तेजी से उभरे योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश  का मुख्यमंत्री पद...

राजनीतिक क्षितिज पर तेजी से उभरे योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद संभालने के तुरंत बाद इसकी बिगड़ी कानून व्यवस्था सुधारने और साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना मजबूत करने में जुट गए। न सिर्फ उन्होंने स्वयं प्रदेश के पुलिस थानों, अस्पतालों, स्कूलों आदि का औचक निरीक्षण शुरू किया बल्कि अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी इस काम पर लगाने में देर नहीं लगाई परंतु उन्हें साम्प्रदायिक सौहार्द और कानून व्यवस्था को सुधारने में अभी तक सफलता नहीं मिल पाई।

जैसा कि हमने अपने 18 मई के सम्पादकीय ‘‘कानून व्यवस्था की खस्ता हालत से उत्तर प्रदेश में मचा कोहराम’ में लिखा था,‘‘आशा की जाती थी कि योगी आदित्यनाथ का सुधारवादी अभियान जारी रहेगा और अपराधों में कमी आएगी परन्तु ऐसा हुआ नहीं और प्रदेश में चोरी-डकैती, हत्या, बलात्कार और साम्प्रदायिक तनाव पहले की तरह ही जारी है।’’ 

उत्तर प्रदेश में अभी तक साम्प्रदायिक तनाव की 8 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं और ‘सड़क दूधली’ गांव में बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर की जयंती सम्बन्धी शोभायात्रा के विवाद के बाद 5 मई को थाना बडग़ांव के गांव शब्बीरपुर में दलितों और राजपूतों के बीच महाराणा प्रताप जयंती की शोभायात्रा में टकराव तथा सुमित नामक एक राजपूत युवक की हत्या के बाद से अभी तक स्थिति तनावपूर्ण है। इसकी प्रतिक्रिया में दलितों के घर जलाए गए तथा इस घटना में दोषियों की गिरफ्तारी और पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग को लेकर दलित युवकों ने सहारनपुर में जनसभा करने का प्रयास किया। प्रशासन से इसकी अनुमति न मिलने पर दलितों ने जिले में अनेक स्थानों पर प्रदर्शन किए। बेहट रोड, मल्हीपुर रोड स्थित रामनगर, रामपुर मनिहारान में वाहन फूंके और पुलिस पर पथराव किया। मीडिया कर्मियों के भी इस घटना में दोपहिया वाहन फूंके गए। 

इसमें ‘भीम आर्मी’ का नाम सामने आने पर पुलिस ने संगठन के संस्थापक चंद्रशेखर ‘आजाद’ व लगभग 300 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किए। कुछ वर्ष पूर्व दलित समाज के दमन की गाथाएं सुनकर गांव के कुछ युवाओं के साथ मिल कर चंद्रशेखर आजाद द्वारा स्थापित  ‘भारत एकता मिशन भीम आर्मी’ आज युवाओं का पसंदीदा संगठन बन गया है। इसे पसंद करने वाले लगातार बढ़ रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के युवाओं के अलावा चंद गुज्जर समुदाय के युवा भी इसके सदस्य बन गए हैं। अब  21 मई को ‘भीम आर्मी’ के हजारों दलित कार्यकत्र्ताओं पर एफ.आई.आर. और गिरफ्तारी के विरोध में चंद्रशेखर ‘आजाद’ के आह्वïान पर दिल्ली में जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में दलितों ने प्रदर्शन किया। 

इस मौके पर गुजरात के ‘उना’ में दलितों से मारपीट की घटना के बाद चर्चा में आए जिगनेश मेवाणी व जे.एन.यू. के छात्र नेता कन्हैया कुमार भी मौजूद थे। भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न सिंह का कहना है कि उनके संगठन को हजारों ‘वैल मीनिंग’ लोगों का समर्थन प्राप्त है। जहां उत्तर प्रदेश पुलिस 5 और 9 मई के घटनाक्रम के लिए भीम सेना को जिम्मेदार मानती है वहीं दलितों ने अपनी 3 मांगों का प्रस्ताव पारित किया है जिनमें 5 मई की ङ्क्षहसा की न्यायिक जांच, जिन दलितों के मकान जलाए गए उन्हें क्षतिपूर्ति देना और ठाकुरों के विरुद्ध कार्रवाई करना शामिल है। ‘आजाद’ का कहना है कि योगी सरकार में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। 

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और प्रदेश के तीन राज्यों उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं के निकट स्थित सहारनपुर इसका एक महत्वपूर्ण जिला है। ऐसे में इस शहर में तनाव का तीनों राज्यों से आवागमन पर प्रभाव पडऩे की आशंका की उपेक्षा नहीं की जा सकती। कुछ लोग योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा के भावी दूसरे बड़े नेता के रूप में देखते हैं। इस लिहाज से भी योगी आदित्यनाथ के लिए प्रदेश में जल्दी कड़े पग उठाकर साम्प्रदायिक सौहार्द बहाल करना नितांत आवश्यक हो गया है। ऐसा न करने पर प्रदेश की जनता में उनके विरुद्ध असंतोष एवं आक्रोष तो बढ़ेगा ही, उनकी छवि को भी आघात लगेगा। —विजय कुमार   

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