अमरीकी सरकार का फैसला, पढ़ाई के साथ जॉब करने वाले छात्रों की फीस छूट पर लगेगा टैक्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 11:58 AM

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डोनाल्ड ट्रंप के अमरीका में राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमरीका के संबंधों में बेशक मजबूती आई है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी...

नई दिल्ली , (विक्की): डोनाल्ड ट्रंप के अमरीका में राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमरीका के संबंधों में बेशक मजबूती आई है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप की दोस्ती के बावजूद भी अमरीकी सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसका विपरीत असर उन भारतीय विद्यार्थियों  पर पड़ेगा जो यू.एस.ए. के उच्च शिक्षण संस्थानों में मास्टर डिग्री या पीएच.डी. कर रहे हैं, क्योंकि यू.एस. हाऊस ऑफ रिप्रैजैंटेटिव ने पिछले दिनों टैक्स कट्स एंड जॉब्स एक्ट 117 (डी) (5) में संशोधन कर दिया है। इस संशोधन का सीधा असर उन भारतीय के अलावा अमरीका के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढऩे आने वाले सभी देशों के विद्यार्थियों  पर पड़ेगा जो पढ़ाई के साथ जॉब भी कर रहे हैं। हालांकि टैक्स कितने प्रतिशत होगा और यह कब से मान्य होगा इस बारे कुछ स्पष्ट नहीं है लेकिन भारतीय छात्रों की जेब पर इसका बोझ पडऩा तय है।यहां बता दें कि अमरीका में पढऩे जाने वाले स्टूडैंट्स को यूनिवर्सिटीज की ओर से कैंपस के अंदर ही जॉब करने का अवसर दिया जाता है जिससे स्टूडैंट्स कैंपस में ही स्टडी के बाद अपनी नौकरी के लिए चले जाते हैं। 

यू.एस. हाऊस ऑफ रिप्रैंजैंटेटिव ने किया बिल पास
जानकारी के मुताबिक यू.एस. हाऊस ऑफ रिप्रैजैंटेटिव ने बिल पास किया है कि किसी अमरीकी उच्च शिक्षण संस्थान में अपनी स्टडी कर रहे विद्यार्थी अगर उसी संस्थान में पार्ट टाइम जॉब करते हैं तो उनको संस्थान की ओर से फीस में मिलने वाली छूट पर अब टैक्स कटवाना होगा। इस फैसले का सबसे अधिक नुक्सान फैलोशिप कर रहे विद्यार्थियों के अलावा स्कॉलरशिप पर वहां गए स्टूडैंट्स को होगा।

2013-14 के बाद हुआ स्टूडैंट्स की गिनती में इजाफा
ओपन डोर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक यू.एस. गवर्नमैंट ने पिछले दिनों एक डाटा एकत्रित किया है जिसमें सामने आया कि अमरीका के उच्च शिक्षण संस्थानों में आकर पढऩे वाले भारतीय विद्याॢथयों की संख्या में वर्ष 2013-14 के बाद से काफी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में बताए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013-14 में भारतीय विद्याॢथयों की अमरीका में करीब 1,02,673 गिनती थी जोकि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 1,86,267 तक पहुंच गई। यानी कि 2 वर्षों में 84,000 के करीब विद्याॢथयों की बढ़ौतरी हो गई। विशेषज्ञों के मुताबिक 2 वर्षों से स्टूडैंट्स की संख्या में हुई बेशुमार वृद्धि को देखते हुए अमरीकी सरकार ने उक्त कदम उठाया होगा। 

हफ्ते में 40 से 80 घंटे तक जॉब करते हैं भारतीय छात्र
अमरीका की एक यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी के अनुसार वह एक सप्ताह में 40 से लेकर 80 घंटे तक यूनिवर्सिटी में ही पार्ट टाइम जॉब कर रहा है। इसके लिए यूनिवर्सिटी से उसको फीस में छूट भी देती है। हालांकि उसमें से कोई भी पैसा हमें बचता नहीं। अगर वहां काम करके भी हमारी जेब में कोई पैसा नहीं आता तो उस पर टैक्स लगाने का मतलब ही नहीं बनता। अगर हमें उसमें से कुछ रकम बच रही है तो सरकार उस पर टैक्स लेने की हकदार है। इस फैसले से हमें अपनी जेब से टैक्स के पैसे देने पड़ेंगे जिससे हमें नुक्सान होगा। छात्र के मुताबिक कुछ विद्यार्थी तो ऐसे हैं जो अपने रहने व खाने-पीने का खर्चा ही पूरा नहीं कर पाते। अब इस फैसले से उनके सामने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोडऩे की नौबत भी आ सकती है। 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट 
इस बारे बात करने पर कैपरी एजुकेशन के मैनेजिंग डायरैक्टर नीतिन चावला ने कहा कि यू.एस. गवर्नमैंट द्वारा पास किए गए बिल से वहां पढऩे जाने वाले विद्यार्थी हतोत्साहित होंगे। अगर भारतीय विद्यार्थियों  की बात करें तो वे वहां स्टडी के उद्देश्य को पूरा करने के साथ वहां जॉब करके कुछ पैसे कमाकर घर भी भेजने की योजना तैयार करके जाते हैं। लेकिन इस टैक्स सिस्टम के लागू होने से उन्हें अमरीका में अपने खर्चे पूरे करने भी मुश्किल हो जाएंगे। जिन छात्रों पर सरकार टैक्स लगाने जा रही है वह तो यूनिवर्सिटीज  में ही पढ़ाई करके उसी  में जॉब कर रहे हैं तो उन पर टैक्स किस बात का?

             

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