Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Mar, 2018 12:16 PM
चार बैंकों द्वारा अपने एडिशनल टियर-1 बॉन्ड (एटी1) वापस लिए जाने से निवेशकों में खलबली है क्योंकि इससे इनका चलन समाप्त होने की पूरी संभावना है। ये बॉन्ड बेसल-3 नियमों के तहत अर्ध इक्विटी के तौर पर जारी किए गए थे।
कोलकाताः चार बैंकों द्वारा अपने एडिशनल टियर-1 बॉन्ड (एटी1) वापस लिए जाने से निवेशकों में खलबली है क्योंकि इससे इनका चलन समाप्त होने की पूरी संभावना है। ये बॉन्ड बेसल-3 नियमों के तहत अर्ध इक्विटी के तौर पर जारी किए गए थे। अब तक स्थानीय बाजारों में 761.14 अरब रुपए के इस तरह के बॉन्ड जारी किए गए हैं। इन्हें जारी करने वाले बैंकों में निजी और एक्जिम बैंक शामिल हैं। भारतीय स्टेट बैंक की दुबई शाखा ने एटी1 बॉन्डों के जरिए विदेशों में 30 करोड़ डॉलर जुटाए। लगभग हर बैंक ने ये बॉन्ड जारी किए हैं। रिजर्व बैंक की त्वरित उपचारात्मक योजना (पीसीए) में शामिल किए गए 11 बैंकों में से 9 बैंकों ने इन बॉन्डों के जरिए 202.9 अरब रुपए जुटाए हैं।
सरकार के दबाव के कारण बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और आईडीबीआई बैंक ने बाजार से 109 अरब रुपए के एटी1 बॉन्ड वापस ले लिए हैं। देश में एटी1 बॉन्ड संकट करीब-करीब उसी तरह का है जैसे यूरोप को 2 साल पहले झेलना पड़ा था लेकिन किसी भी भारतीय बैंक ने भुगतान प्रतिबद्घताओं में चूक नहीं की है और न ही भुगतान को टाला है। रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक बॉन्ड वापस लेने से भविष्य में चूक की संभावना खत्म हो गई है। पीसीए में शामिल दूसरे बैंक भी इस तरह का कदम उठाने की तैयारी में हैं।
अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर बैंक ने स्पष्टीकरण मांगा है और जो जवाब मिलेगा उसके आधार पर रिकॉल का विकल्प इस्तेमाल किया जाएगा। एटी1 बॉन्ड की जगह बेहतर गुणवत्ता वाले बॉन्ड लाने का विकल्प है, लेकिन इस पर ब्याज कम हो सकता है। अधिकारी ने कहा, 'अगर एटी1 बॉन्ड की जगह अधिक गुणवत्ता वाला दूसरा बॉन्ड आता है तो हमें ब्याज के मद में अधिक रकम नहीं देनी होगी। हालांकि इसके लिए सरकार को समय पर पूंजी देनी होगी।'