वेश्यावृत्ति पर निर्भर ‘बंछाड़ा’ समुदाय बेटी के जन्म पर मनाता है जश्न

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 03:23 AM

banchhada community rely on prostitution celebrates daughters birthday

जहां देश भर में लड़कों की चाहत के चलते कन्या भ्रूण हत्या एक समस्या बनी हुई है, वहीं मध्य प्रदेश के नीमच जिले में लड़की पैदा होने पर वास्तव में जश्न मनाया जाता है। हालांकि ये जश्न किसी सकारात्मक कारण से नहीं मनाए जाते। बंछाड़ा समुदाय के लोग अपनी...

जहां देश भर में लड़कों की चाहत के चलते कन्या भ्रूण हत्या एक समस्या बनी हुई है, वहीं मध्य प्रदेश के नीमच जिले में लड़की पैदा होने पर वास्तव में जश्न मनाया जाता है। हालांकि ये जश्न किसी सकारात्मक कारण से नहीं मनाए जाते। 

बंछाड़ा समुदाय के लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए बिल्कुल उसी तरह पारिवारिक स्तर पर वेश्यावृत्ति का धंधा चलाते हैं जिस तरह पारिवारिक जमीन पर किसान खेती करते हैं। उनके परिवार में जब कन्या का जन्म होता है तो वे इस खुशी से झूम उठते हैं कि एक नया कमाऊ सदस्य आ गया है। मुख्य तौर पर मध्य प्रदेश के रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में फैली हुई इस बिरादरी के लिए वेश्यावृत्ति ही जीवन की एकमात्र शैली है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। जवान होती बेटियों को वेश्यावृत्ति के तौर-तरीकों में पारंगत किया जाता है जबकि परिवार के पुरुष सदस्य उनकी कमाई पर गुलछर्रे उड़ाते हैं। 

इस इलाके में काम करने वाली एन.जी.ओ. ‘नई आभा सामाजिक चेतना समिति’ के संयोजक आकाश चौहान ने बताया: ‘‘रतलाम-मंदसौर-नीमच पट्टी पोस्त की खेती के लिए तो बदनाम है ही, साथ ही साथ सामाजिक मान्यता हासिल कर चुकी वेश्यावृत्ति के लिए भी जानी जाती है। पूरे देश के विपरीत बंछाड़ा समुदाय के लोग लड़की पैदा होने पर बहुत शानदार ढंग से उत्सव मनाते हैं क्योंकि वे इन्हीं की कमाई पर जीवनयापन करते हैं। कानून बेशक वेश्यावृत्ति को अपराध मानता है लेकिन इस समुदाय की नजरों में यह एक सम्मानजनक परम्परा है।’’

एक जनगणना रिपोर्ट का हवाला देते हुए चौहान ने कहा: ‘‘बंछाड़ा समुदाय की कुल आबादी 23,000 है जोकि मध्य प्रदेश के 3 जिलों में फैली हुई है। इस आबादी में महिलाओं का अनुपात कम से कम 65 प्रतिशत है।’’मध्य प्रदेश महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा 2015 में मंदसौर जिले के 38 गांवों में करवाए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ था कि उस जिले में बंछाड़ा लोगों की संख्या 3435 थी जिसमें से 2243 महिलाएं थीं। यानी कि महिलाओं की संख्या पुरुषों से दोगुनी थी। 2012 में इसी तरह की कवायद नीमच के उन 24 गांवों में की गई थी जहां बंछाड़ा लोग काफी संख्या में रहते हैं। वहां पुरुषों की संख्या 2770 जबकि महिलाओं की 3595 थी।

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