बंगलादेश: खालिदा सत्ता में आई तो पाक समर्थक ताकतें आगे आएंगी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Dec, 2017 04:08 AM

bangladesh if khaleda comes to power then pro pak forces will come forward

46 साल के बाद भी बंगलादेश की मुक्ति मेरी याद्दाश्त में पूरी तरह जीवंत है। मैं भारत का पहला पत्रकार था जो मुक्ति के बाद ढाका उतरा। मैं पहले प्रैस क्लब गया जहां मैंने भारत विरोधी टिप्पणियां सुनीं। मैंने जब एक स्वादिष्ट सेंकी हुई हिलसा का आर्डर किया तो...

46 साल के बाद भी बंगलादेश की मुक्ति मेरी याद्दाश्त में पूरी तरह जीवंत है। मैं भारत का पहला पत्रकार था जो मुक्ति के बाद ढाका उतरा। मैं पहले प्रैस क्लब गया जहां मैंने भारत विरोधी टिप्पणियां सुनीं। मैंने जब एक स्वादिष्ट सेंकी हुई हिलसा का आर्डर किया तो पत्रकारों में से एक ने टिप्पणी की, ‘‘हिलसा अब कोलकाता में मिलता है, ढाका में नहीं।’’ इसने मुझे वास्तव में आहत किया। 

मैंने प्रैस क्लब में की गई टिप्पणी के बारे में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान से शिकायत की। उन्होंने मेरी भावना को समझा और जब मैंने इस ओर ध्यान दिलाया कि मुक्ति वाहिनी के समर्थकों के साथ 6 हजार भारतीय जवानों ने भी अपनी जान गंवाई तो शेख ने मेरी निराशा को हंसी में उड़ा दिया। उन्होंने कहा कि बंगाली उसे दिए गए एक गिलास पानी को भी नहीं भूलता।

भारतीय जवानों ने जो जान दी है, उसे वह कैसे भूल सकता है? यही वह समय था जब सैयद मोहम्मद अली, जिन्होंने बाद में ‘डेली स्टार’ की स्थापना की, ने मुझे टैलीफोन किया और शिकायत की कि भारत पाकिस्तान की हार के बारे में लिख रहा है लेकिन अपने देश को आजाद कराने के लिए बंगलादेशीयों ने जो साहस और बलिदान दिखाए हैं, उसके बारे में एक भी शब्द नहीं। दिल्ली वापस आने के बाद मैंने प्रैस क्लब में पत्रकारों की एक मीटिंग बुलाई और सदस्यों को बताया कि बंगलादेश कितना निराश है। 

यह चूक क्यों हुई? मुक्ति संघर्ष में शामिल बंगाली पत्रकारों ने ढाका में बंगलादेश का झंडा लहराने के साथ ही इस मुद्दे को छोड़ दिया। कई साल बाद मुझे पता चला कि भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि मुक्ति के बाद कुछ नहीं किया जाए। वह इस बात से डरी थी कि भावनाएं फिर जिंदा न हो जाएं कि दोनों बंगाल एक हो जाएं। यही कारण था कि बंगलादेश का नाम लेने को भी हतोत्साहित किया जाता था। बेशक, बंगलादेश को आजाद देखने का बंगाली पत्रकारों का मिशन पूरा हो गया था लेकिन उन्हें मुक्ति संघर्ष के बाद खबरें देनी चाहिए थीं कि किस तरह बंगलादेशी लोगों ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था और भारतीय सेना मुक्ति वाहिनी के साथ मिल कर लड़ी। 

मुक्ति संघर्ष के दौरान डी.पी. धर, जो भारतीय कैबिनेट में बंगलादेश के मामलों को देखते थे, ने मेरी यह धारणा बनाई कि भारत अपनी पंचवर्षीय योजना को बंगलादेश के विकास से जोड़ेगा लेकिन यह नहीं हुआ और जाहिर है कि बंगलादेश निराश हुआ। धर सिर्फ इसी में दिलचस्पी रखते थे कि अवामी लीग को सत्ता से बाहर करने के लिए तख्तापलट न हो। धर ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय सेना जल्द हट जाए। सेना वापस आ गई। जब तख्तापलट हो गया और टैंकों का इस्तेमाल हुआ तो नई दिल्ली को अफसोस हुआ कि इसने अपने निश्चय पर आगे काम नहीं किया। ये टैंक मिस्र से आए थे। इनका इस्तेमाल मुजीबुर रहमान को हटाने और उनके परिवार का सफाया करने के लिए किया गया। सिर्फ शेख हसीना बच गईं क्योंकि वह उस समय जर्मनी में थीं। इसके बाद की कहानी सभी को अच्छी तरह पता है। 

एक बार बंगलादेश आजाद हो गया तो नई दिल्ली ने ढाका से दूर रहने की कोशिश की क्योंकि वह पाकिस्तान से अपने रिश्ते सुधारना चाहती थी लेकिन रावलपिंडी पश्चिम पाकिस्तान से पूर्व पाकिस्तान को अलग करने की बात कभी नहीं भूला और न ही उसने भारत को माफ किया। यह बात भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली बातचीत के मेज पर भले न आई हो लेकिन इस्लामाबाद के दिमाग पर पूरी तरह काबिज थी। पाकिस्तान ने काफी लंबे समय तक बंगलादेश को मान्यता नहीं दी। प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र की एक सभा में कहा कि जब तक माऊंटबेटन योजना अपने मूल रूप में लागू नहीं होती, पाकिस्तान 100 वर्षों तक युद्ध करता रहेगा और भारत से अपने रिश्ते नहीं सुधारेगा। इस योजना के मुताबिक कमजोर केन्द्र के साथ देश को एक रहना था। माऊंटबेटन चाहते थे कि पूर्वी पाकिस्तान पाकिस्तान में रहे। 

मैं जब ब्राडलैंड्स में माऊंटबेटन से मिला तो उन्होंने कहा कि मैंने भुट्टो को आगाह किया था कि 25 साल बाद पूर्वी पाकिस्तान पश्चिमी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहेगा। करीब-करीब यही हुआ और उनकी भविष्यवाणी सच साबित हुई। भारत-पाकिस्तान विभाजन की रेखा खींचने वाले रैडक्लिफ ने मुझे बताया कि उन्हें पूर्व में मामला तय करने में कोई कठिनाई नहीं हुई थी लेकिन पश्चिम में काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। ढाका में आई विभिन्न सरकारों को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने पिछले 30 साल में विकास दर को 6 प्रतिशत बनाए रखा है। इसके वस्त्र उद्योग का पूरी दुनिया में सम्मान किया जाता है। फिर भी गरीबी की समस्या का फायदा हसीना-विरोधी ताकतें उठा रही हैं जिनमें पाकिस्तान समर्थक तथा कट्टरपंथी दोनों शामिल हैं। कहा जाता है कि इस्लामाबाद एक और विचार को प्रसारित कर रहा है। 

खुद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अच्छी हालत में नहीं है लेकिन वह बंगलादेशीयों को बता रहा है कि उस समय उनकी हालत बेहतर थी जब वे पाकिस्तान का हिस्सा थे। कुछ लोग इस प्रचार के प्रभाव में आ गए हैं। इसने भारत विरोधी भावना को ही बढ़ाया है क्योंकि दिल्ली को शोषक के रूप में देखा जाता है। आर्थिक रूप से टिकाऊ बनने का बंगलादेशीयों का सपना आंशिक रूप से भी पूरा नहीं हो पाया है। शिक्षित बेरोजगारों का प्रतिशत 40 है और अच्छा नहीं कर पाने को लेकर देश में गहरी निराशा है लेकिन इसके बदले संतोष की एक भावना है कि पाकिस्तान बंगलादेश की तुलना में अधिक आर्थिक कठिनाइयों में है। मुझे यह जानकर हैरत हुई है कि अवामी लीग और खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी के बीच की दुश्मनी के परिणामों से दिल्ली सिर्फ बचना चाहती है। 

दो बेगमों, शेख हसीना तथा खालिदा जिया के बीच चल रही लड़ाई का असर बंगलादेश की तरक्की पर भी पड़ रहा है। सौभाग्य से प्रधानमंत्री शेख हसीना को नापसंद खालिदा जिया की अब ज्यादा गिनती नहीं है, खासकर उस समय से जब उन्होंने चुनाव का बहिष्कार करना शुरू किया। अब उनकी पार्टी बंटी हुई भी है और देश में बी.एन.पी. तीसरे नंबर पर आ गई है। हालांकि वह इससे इंकार करती हैं। खालिदा ने चुनावी फायदे के लिए मजहब का इस्तेमाल किया है। दोनों कट्टरपंथी संगठन, जमायते-इस्लामी तथा इस्लामी ओकिया जोत उसके चुनावी सहयोगी हैं। ‘‘मेरी पार्टी में अवामी लीग से ज्यादा मुक्ति योद्धा हैं।’’ खालिदा ने मुझसे एक बार कहा। लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि उनके साथ मुक्ति-विरोधी ज्यादा आ रहे हैं। 

यह आमतौर पर माना जाता है कि अगर खालिदा सत्ता में आ गईं तो उग्रपंथी तथा पाकिस्तान समर्थक ताकतें आगे आएंगी। भारत के लिए यह बेहतर संभावना नहीं है, खासकर उस समय जब पाकिस्तान की आई.एस.आई. बंगलादेश को भारत के पूर्वोत्तर में बखेड़ा खड़ा करने के एक जरिया के रूप में इस्तेमाल करती है। इससे बंगलादेश की उदारवादी ताकतें भी आहत होंगी क्योंकि वे मुक्ति-विरोधी को नहीं चाहतीं।-कुलदीप नैय्यर

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!