बिहार में माफिया के डर से कैडर बदलने की गुहार लगाई आई.ए.एस. अधिकारी ने

Edited By ,Updated: 22 May, 2017 12:41 AM

bihars mafia fears change of cadre to ias the official

यह एक शानदार उदाहरण है कि कैसे अक्सर भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले अधिकारियों को ...

यह एक शानदार उदाहरण है कि कैसे अक्सर भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले अधिकारियों को किस प्रकार से प्रताडि़त और निशाना बनाया जाता है। डा. जितेंद्र गुप्ता, एक ऐसे ही व्यवस्था के खिलाफ लडऩे वाले अधिकारी हैं जिन्होंने बिहार में ट्रांसपोर्ट माफिया पर हाथ डालने का प्रयास किया और बदले में जो कुछ सहने को मिला, उसके चलते उन्होंने सुरक्षा कारणों से तबादला मांग लिया है। सूत्रों के अनुसार गुप्ता ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) से इस बारे में निवेदन किया है और अब सुप्रीम कोर्ट उनकी रक्षा के लिए आगे आया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र को कैडर बदलने के गुप्ता के निवेदन पर विचार करने के लिए निर्देश दिया है।

साल 2013 बैच के बिहार कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी, वर्तमान में बिहार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में ऑफिस ऑन  स्पैशल ड्यूटी के तौर पर कार्यरत हैं, ने बिहार में ट्रांसपोर्ट माफिया के लिए आवाज बुलंद की तो उन्हें एक महीने जेल में गुजारना पड़ा। बहरहाल, जल्द ही यह भी खुलासा हो गया कि अधिकारी को एक नकली केस में फंसाया गया था और उसे पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी। पर, उसके बाद भी बाबू को परेशान करना जारी है और अदालतों से मिली क्लीन चिट भी उसके किसी काम नहीं आ रही है। 

पी.एम.ओ. और योगी के बीच खींचतान की खबर: 
दिल्ली में सचिव स्तर पर जिस अदला-बदली की प्रतीक्षा काफी लंबे समय से की जा रही है, वह हो गई है और उसको देखकर लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच सब कुछ सही नहीं चल रहा है। सार्वजनिक तौर पर न नजर आने वाला खेल पर्दे के पीछे चल रहा है और इसको देखते हुए लगता है कि इस बात को लेकर रस्साकशी जारी है कि आखिरकार यू.पी. का मुख्य सचिव नियुक्त करने में आखिरी फैसला किस का रहेगा।

सचिव स्तर पर अदला-बदली से पहले इन मामलों पर नजर रखने वालों का मानना था कि जहाजरानी सचिव राजीव कुमार को यह पद मिलने जा रहा है। दरअसल वह केन्द्र में भूमिहार लॉबी का प्रतिनिधित्व करते हैं, पर कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें पी.एम.ओ. से भी समर्थन प्राप्त है। कई तरह की बातों के बावजूद वह राजधानी में ही बने रहने में सफल रहे हैं और इसके साथ ही उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग का अतिरिक्त दायित्व भी प्रदान कर दिया गया है। 

इस पद के लिए जारी दौड़ में से उनका नाम निकलने के बाद एक अन्य मजबूत दावेदार सदा कांत, जिसे ब्राह्मण लॉबी का समर्थन भी प्राप्त है, इस पद के लिए अब सबसे आगे बताए जा रहे हैं। इसके साथ ठाकुर लॉबी द्वारा एक ठाकुर उम्मीदवार की भी तलाश की जा रही है। नि:संदेह, तौर पर योगी अपने ठाकुर समुदाय से एक अधिकारी को प्राथमिकता देंगे। इस पद पर नियुक्ति में जाति की अहम भूमिका रहेगी और वहीं योगी और पीएमओ अपने-अपने पसंदीदा को इस पद के लिए आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं कुछ दूर, संभव है कि कुछ अलग खिचड़ी भी पक रही हो और आर.एस.एस. की इस पद को लेकर अपनी कोई योजना भी हो सकती है। 

दिल्ली में लोग काफी उत्सुकता के साथ इन बातों को जानना चाह रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों है। वे योगी के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के 2 महीनों के अंदर ही मतभेदों की खबरों से काफी हैरान हैं। यह भी माना जा रहा है कि योगी अभी करीब 6 महीने तक चुपचाप इंतजार कर सकते हैं और उसके बाद अपने करीबी बाबुओं को मजबूती के साथ चुन कर आगे लाएंगे। अब सभी इस पर कयास लगा रहे हैं आखिर इस नाराजगी की वजह क्या है?
 

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