वित्त विधेयक-2017 द्वारा प्रस्तावित प्रमुख आयकर संशोधन-2

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 12:45 AM

finance bill 2017 proposed major tax revision 2

वित्त विधेयक-2017 ने वित्त वर्ष 2017-18....

वित्त विधेयक-2017 ने वित्त वर्ष 2017-18 (यानी सामान्य टैक्स निर्धारण वर्ष) के लिए आयकर अधिनियम कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं। कुछेक के बारे में पाठक कल के अखबार में पढ़ चुके हैं और कुछ संशोधनों का वर्णन नीचे दिया जा रहा है: 

प्राथमिकता प्राप्त शेयरों को सामान्य शेयरों में बदलना-धाराएं 47, 49 तथा 2 (42 ए): 
प्राथमिकता प्राप्त शेयरों को सामान्य शेयरों में बदलने पर उसे हस्तांतरण नहीं गिना जाएगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू रहेगा। 

विदेशी कम्पनी के कर तटस्थ अविलिनीकरण पर शेेयरों की कीमत-धारा 49: 
धारा 47 (1द्ब सी) में वर्णित भारतीय कम्पनी के शेयरों की कीमत वही होगी जो अविलिनीकृत विदेशी कम्पनी के हाथों मेंथी। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा।

कार्बन क्रैडिट्स के हस्तांतरण पर होने वाली आय-नई धारा 115 बी.बी.जी.:
कार्बन क्रैडिट्स के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 10' आयकर (लागू होने वाले सरचार्ज एवं सैस सहित) लगेगा। ऐसी आय में से कोई खर्च कटौती के रूप में नहीं मिलेगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

निर्धारित समय के भीतर आय के नक्शे पर कार्रवाई करना तथा कुछ दशाओं में कर वापसी (रिफंड को रोकना) धारा 143 (1डी):
कर निर्धारण वर्ष 2017-18 तथा बाद के वर्षों हेतु धारा 143 (1डी) के प्रावधान लागू नहीं होंगे। यदि कर-निर्धारण अधिकारी इस विचार का है कि कर वापसी से राजस्व की वसूली पर प्रतिकूल असर पड़ेगा तो ऐसी दशा में ऐसे कारण लिखकर तथा मुख्य आयकर आयुक्त या आयकर आयुक्त की पूर्ण सहमति से जिस तिथि को कर-निर्धारण होता है, तब तक के लिए कर वापसी रोक सकता है। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2017-18 तथा बाद के वर्षों हेतु दिए गए आय के नक्शे के लिए लागू रहेगा। 

अग्रिम कर हेतु धारा 211 तथा धारा 234 सी को युक्तियुक्त बनाना: 
यदि धारा 115 बी.बी.डी.ए. में वर्णित आय के कम अनुमान लगाने पर अग्रिम कर के भुगतान में कमी रह जाती है तो ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है लेकिन कुछ दशाओं में इस ब्याज को नहीं देना पड़ेगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2017-18 से लागू होगा। 

कर काटने वाले को मिलने वाले आयकर रिफंड पर ब्याज-धारा 244 ए (1बी):
जहां एक करदाता को अधिक अग्रिम कर भुगतान करने पर या अधिक आयकर काटने पर वापसी का हक मिलता  है तो उसे कर वापसी की रकम के अलावा उस वापसी की रकम पर साधारण ब्याज भी मिलेगा जो वापसी की रकम पर प्रत्येक माह या उसके किसी भी भाग पर 1/2' दर से गिना जाएगा। जिस अवधि की देरी कर काटने वाले के कारण हुई है, उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। यह प्रावधान 1.4.2017 से लागू होगा। 

रुपए में वर्णित बांडों पर पूंजीगत लाभ की कर मुक्ति को बढ़ावा: 
रुपए में वर्णित बांडों को जो एक भारतीय कम्पनी द्वारा भारत से बाहर जारी किए गए हैं, एक अनिवासी से दूसरे अनिवासी को हस्तांतरित करने पर उसे हस्तांतरण नहीं गिना जाएगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 एवं उसके बाद के वर्षों के लिए लागू होगा। 

मतभेद के मामलों में विदेशी कर के भुगतान पर मान्यता प्रदान करना-धारा 155 (14 ए):
जहां विदेशी कर के भुगतान का मामला विवाद में था और करदाता ऐसे विवाद के निपटारे की दशा में जिस महीने यह सुलटता है उससे 6 महीने के भीतर ऐसे विवाद के निपटारे का सबूत कर-निर्धारण अधिकारी के सम्मुख प्रस्तुत करना है और यह जिम्मेदारी लेता है कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसे विदेशी कर को वापस प्राप्त करने हेतु वह कोई कार्रवाई नहीं करेगा तो विदेशी कर के भुगतान को मान्यता प्राप्त होगी। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

कर भुगतान पर अग्रिम निर्णय प्रदान करने वाले अधिकारी के ढांचे में परिवर्तन: 
कर भुगतान पर अग्रिम निर्णय प्रदान करने वाले अधिकारी के ढांचे में कई परिवर्तन सुझाए गए हैं। जैसे एक व्यक्ति जो एक उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रहा है या कम से कम 7 वर्षों तक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा है अग्रिम निर्णय प्रदान करने वाला अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है। यह संशोधन 1.4.2017 से लागू होगा। 

धारा 253 में संशोधन:
धारा 10 (232 सी) (द्ब1) तथा (1) के अंतर्गत निर्धारित अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध भी आयकर ट्रिब्यूनल में अपील की जा सकेगी। यह संशोधन 1.4.2017 से लागू होगा। 

उद्गम स्थान पर कर नहीं काटने या इकट्ठा नहीं करने पर दंड लगाने हेतु निर्देश देने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को अधिकृत करना-धारा 119 (2) (अ):
धारा 271 या 271 सी.ए. के अंतर्गत दंड लगाने की बाबत निर्देश देने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को अधिकृत किया गया है। 

अन्य साधनों से आय के क्षेत्र को विकसित करना-धारा 56 (2) (3):
यदि कोई व्यक्ति किसी से कोई रकम या सम्पत्ति (50,000 रुपए से अधिक) बिना कारण या बिना उचित भुगतान दिए लेता है तो ऐसी रकम या सम्पत्ति को उसकी कुल आय में अन्य साधनों से आय गिना जाएगा। कुछ ट्रस्ट आदि इस नए प्रावधान हेतु मुक्त किए गए हैं। 

कुछ मामलों में ब्याज की कटौती की सीमा-नई धारा 94 बी:
एक इकाई द्वारा अपने से संबंधित इकाइयों को दिए जाने वाले ब्याज की कटौती हेतु रकम को उसकी आय (ब्याज, कर, घिसाई भत्ता, परिशोधन अथवा संबंधित उद्यम को दिए गए या दिए जाने वाले ब्याज के घटाने के पश्चात) के 30' भाग तक सीमित रखा जाएगा। एक करोड़ रुपए से अधिक ब्याज के खर्च पर यह प्रावधान लागू होगा। यह प्रावधान कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

कुछ अन्य मामलों में कम महत्व के हिसाब बराबर करना: 
यदि 1.4.2016 या उससे पूर्व किसी कर-निर्धारण वर्ष में प्राथमिक हिसाब की रकम एक करोड़ रुपए से अधिक नहीं होगी तो अप्रधान तरतीब लागू नहीं होगी। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

एक कर मुक्त इकाई द्वारा अन्य कर मुक्त इकाइयों को कार्पस दान पर प्रतिबंध-धारा 11 नया स्पष्टीकरण:
कार्पस दाता को एक कर मुक्त इकाई द्वारा अन्य कर मुक्त इकाई दिए जाने की दशा में उसके द्वारा आय का आबंटन नहीं गिना जाएगा। यह संशोधन कर निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

देरी से रिटर्न भरने पर शुल्क देना होगा-धारा 234 एफ: 
कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 तथा बाद के वर्षों हेतु देरी से रिटर्न भरने पर एक नया शुल्क देना होगा। यदि रिटर्न उचित तारीख के पश्चात परन्तु कर निर्धारण वर्ष की 31 दिसम्बर को या इससे पूर्व भरी गई है तो 5000 रुपए का शुल्क देय होगा। अन्य मामलों में 10,000 रुपए शुल्क देय होगा। जहां कुल आय पांच लाख रुपए (5,00,000) से अधिक नहीं है वहां फीस की रकम 1000 रुपए से अधिक नहीं होगी। इसी के फलस्वरूप धारा 140ए में भी परिवर्तन किया जाएगा। धारा 143 (1) तथा 234 एफ में परिवर्तन होंगे लेकिन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 एवं तत्पश्चात धारा 271 एफ का संशोधन लागू नहीं होगा। ये संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 एवं बाद के वर्षों के लिए लागू होंगे। 

वैधानिक रिपोर्ट या प्रमाणपत्र में गलत जानकारी देने पर पेशेवर व्यक्तियों पर दंड-धारा 271 जे: 
आयकर अधिनियम या उसके अंतर्गत बने हुए नियमों के अधीन कोई चार्टर्ड अकाऊंटैंट या व्यापारी या बैंकर या पंजीकृत मूल्य निर्धारक किसी वैधानिक रिपोर्ट या प्रमाणपत्र में गलत जानकारी देता है तो उस पर आयकर निर्धारक अफसर या आयुक्त प्रत्येक ऐसी रिपोर्ट या प्रमाणपत्र हेतु दंड के रूप में 1,000 रुपए की रकम देने के लिए आदेश दे सकता है। 

अन्य विविध संशोधन:
धारा 115 जे.बी.के प्रावधानों को भारतीय हिसाब-किताब के मानक के अनुरूप बनाने हेतु केंद्रीय सरकार ने उन्हें चिन्हित किया है तथा कुछ अन्य संशोधन भी प्रस्तावित किए हैं।                                  

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