रेलवे पर बोझ बन रही हैं वी.आई.पीज की नि:शुल्क लग्जरी यात्राएं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 04:20 AM

free vip tours of vips are becoming a burden on railways

भारतीय रेलवे की 5 लग्जरी ट्रेनें घाटे में चलने तथा 30 प्रतिशत खाली सीटें भरने के लिए संघर्ष करने के बावजूद रेल मंत्रालय खुले दिल से शीर्ष अधिकारियों, सांसदों, फिल्म स्टार्स तथा अपने करीबियों को नि:शुल्क टिकटें बांट रहा है। रेलवे की एक स्थायी समिति...

भारतीय रेलवे की 5 लग्जरी ट्रेनें घाटे में चलने तथा 30 प्रतिशत खाली सीटें भरने के लिए संघर्ष करने के बावजूद रेल मंत्रालय खुले दिल से शीर्ष अधिकारियों, सांसदों, फिल्म स्टार्स तथा अपने करीबियों को नि:शुल्क टिकटें बांट रहा है। 

रेलवे की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट में उन भारतीय अधिकारियों तथा राजनीतिज्ञों के नाम छापे गए हैं जो इन ट्रेनों में नि:शुल्क टिकटों का लाभ उठा रहे हैं। इनमें बिबेक देबरॉय, फिल्मस्टार विजयकांत तथा सांसदों के साथ जुड़े कुछ विशेष अधिकारियों के नाम शामिल हैं। इनमें परवेज दीवान, राजन हबीब ख्वाजा, पी.के. मेहता, एन. लाल, बी.पी. गुप्ता, अमरनाथ जैसे अन्य सैंकड़ों शीर्ष बाबू तथा रेल कर्मचारी शामिल हैं, जो इन ट्रेनों में नि:शुल्क यात्रा करते रहे हैं जिससे सरकारी खजाने को घाटा पड़ रहा है। 

सांसद सुदीप बंदोपाध्याय की अध्यक्षता वाले पैनल ने इस बात पर निराशा जताई कि लग्जरी ट्रेनों में कम्प्लीमैंट्री यात्रा का प्रावधान रेलवे बोर्ड अथवा आई.आर.सी.टी.सी. या स्टेट टूरिज्म डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन (एस.टी.डी.सी.) के सुझावों पर जारी है। 2012-13, 2013-14, 2014-15 तथा 2015-16 में क्रमश: कुल 30, 97, 53 तथा 71 यात्रियों ने महाराजा एक्सप्रैस में कम्प्लीमैंट्री यात्रा का लाभ उठाया था। पैनल ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आया कि कम्प्लीमैंट्री यात्रा उपलब्ध करवाने की क्या जरूरत थी जब ये लग्जरी ट्रेनें खुद अपने परिचालन खर्चे पूरे करने के लिए भी राजस्व नहीं जुटा पातीं। 

पैनल ने कहा कि बजट के माध्यम से वित्तीय कोष हासिल करने वाली एक सार्वजनिक इकाई होने के नाते रेलवे को इन लग्जरी ट्रेनों में कम्प्लीमैंट्री यात्रा के रूप में कुछ लोगों को सुविधाएं उपलब्ध करवाकर करदाताओं के धन का गलत इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं है। पैनल ने मंत्रालय को सख्त शब्दों में कम्प्लीमैंट्री यात्रा की प्रणाली को तुरन्त प्रभाव से समाप्त करने का सुझाव दिया और यह बताने का निर्देश दिया कि इस दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं? समिति ने इन लग्जरी ट्रेनों से होने वाली कम राजस्व प्राप्ति पर भी अपनी निराशा जताई और इस बात का उल्लेख किया कि रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, डक्कन ओडिशी तथा गोल्डन चैरियट से मिलने वाला राजस्व गत 5 वर्षों में कभी भी प्रतिवर्ष 15 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार नहीं कर पाया। 

पैनल ने कहा कि एक ऐसे समय में, जब देश में पर्यटन क्षेत्र उल्लेखनीय रूप से विकसित हो रहा है, इन लग्जरी टूरिस्ट ट्रेन्स से पैदा होने वाला बहुत कम राजस्व ऐसी ट्रेनों के परिचालन पर एक प्रश्र खड़ा करता है।-एस.के. सिंह

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