संदेह से भरा ‘हैलीकॉप्टर सौदा’

Edited By ,Updated: 04 May, 2016 12:38 AM

full of doubt chopper deal

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का अतीत काफी तेजी से उनके नजदीक आ रहा है। इस बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार...

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का अतीत काफी तेजी से उनके नजदीक आ रहा है। इस बार तत्कालीन कांग्रेस सरकार की आरामदायक यात्रा के लिए खरीदे जा रहे अगस्तावैस्टलैंड हैलीकॉप्टर की खरीद से संबंधित मुकद्दमे में उनका नाम लिया जा रहा है। वह उस सरकार में वित्तमंत्री थे। उनकी भूमिका के बारे में मिलान की इतालवी अदालत में बताया गया है, सी.बी.आई. की ओर से नहीं जो पिछले तीन सालों से मामले की जांच कर रही है। साफ है केंद्र सरकार की एजैंसी सी.बी.आई.स्वतंत्र नहीं हो सकती है। फिर भी इससे उम्मीद की जाती है कि अपनी कमजोरियों के बावजूद यह सच बताएगी।

अगर एजैंसी संसद को अपनी रिपोर्ट सौंप रही होती तो हैलीकॉप्टर सौदे की जानकारी अभी सार्वजनिक होती। कोई भी सरकार इस एजैंसी को स्वतंत्रता नहीं देना चाहती है, यह इसी से जाहिर होता है कि शासन करने वाले इस पर अपनी पकड़ ढीली तक नहीं होने देना चाहते हैं। इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत के लोगों को रिश्वत और भ्रष्टाचार की जानकारी उस समय मिलती है जब कोई विदेशी एजैंसी उनके बारे में खबर देती है। यह हैलीकॉप्टर सौदा इसका सिर्फ एक उदाहरण है। अतीत में कई घोटाले तब प्रकाश में आए जब कोई विदेशी एजैंसी उन्हें बाहर लाई है। यह उसी समय होगा जब मिलान जैसी कोई मेहनती अदालत ऐसा करती है।

सी.बी.आई. या किसी और एजैंसी ने अगस्ता वैस्टलैंड की भारतीय बिक्री शाखा के अध्यक्ष  पीटर हेलेट को जेम्स क्रिश्चियन मिशेल ने जो पत्र लिखा था, उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया? अपने पत्र में उसने कहा कि श्रीमती गांधी वी.आई.पी. खरीद को संचालित करने वाली ताकत हैं, इसलिए वह अब एम.आई.-8 से उड़ान नहीं भरेंगी...श्रीमती गांधी और उनके एकदम नजदीकी सलाहकार ब्रिटिश उच्चायुक्त के निशाने पर हैं... मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हैं... अहमद पटेल... प्रणव मुखर्जी उस समय वित्त मंत्री थे, अब भारत के  राष्ट्रपति हैं। आस्कर फर्नांडीस स्थानीय राजनेता हैं।

यह विश्वास करना मुश्किल है कि सी.बी.आई. को यह पता नहीं था। एजैंसी अपनी खामोशी के कारण लोगों की नजर में आ रही है। हैलीकॉप्टर सौदे का सबसे दुखद हिस्सा यह है कि रक्षा मंत्रालय ऐसा हैलीकॉप्टर चाहता था जो एक खास ऊंचाई तक पहुंच सके। एक फ्रैंच हैलीकॉप्टर मिल रहा था जो इस जरूरत को पूरा करता था। फिर भी अगस्ता वैस्टलैंड को प्राथमिकता दी गई जबकि वह उस ऊंचाई पर उड़ान नहीं भर सकता था। उसकी मदद करने के लिए सरकार ने ऊंचाई कम कर दी।

राजनीतिक  स्तर पर और नौकरशाही में जो भी जिम्मेदार हो उसका नाम लिया जाना चाहिए। अतीत में बहुत कम बार जिम्मेदारी तय की गई है। यह तरीका देशहित में नहीं है क्योंकि उनका नाम नहीं लिया जाता या उन्हें लज्जित नहीं किया जाता है। सोनिया गांधी ने अपनी भूमिका से सीधे इंकार कर दिया है। यह ध्यान देने वाली बात है कि राजनीतिक सचिव अहमद पटेल सोनिया गांधी को बचाने के लिए खुद सामने आए हैं क्योंकि आमतौर पर एक प्रवक्ता ही कांग्रेस अध्यक्ष के नजरिए के बारे में बोलता है। यह अलग बात है कि उन्होंने इस अवसर का इस्तेमाल खुद के बचाव के लिए भी किया है क्योंकि क्रिश्चियन मिशेल ने उनका भी नाम लिया है।

अगस्ता वैस्टलैंड हैलीकॉप्टर सौदे पर आएं तो मिलान की अदालत ने रिश्वत लेने वालों को सजा दी है। रिश्वत देने वालों के खिलाफ कुछ करने में वह असमर्थ थी। यहीं से भारतीय किरदारों का खेल शुरू होता है। अभी जब भाजपा देश में शासन कर रही है तो सी.बी.आई. उन सभी सामग्रियों को सार्वजनिक कर सकती है जो इसने जमा की थीं लेकिन कांग्रेस शासन के दौरान सार्वजनिक करने से डर रही थी। कम से कम नाम तो सामने आना चाहिए।

कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के कारण संसद चल नहीं पाई, इससे संकेत मिलता है कि पार्टी नेताओं के खिलाफ आरोप में कुछ सच्चाई है। यह मुझे बोफोर्स तोप सौदे की याद दिलाता है। यहां तक कि कांग्रेस के बड़े नेता भी अंदरूनी कहानी नहीं जानते थे क्योंकि राजीव गांधी ने एक अलग खाता खोला था जिससेइटली के संबंधित लोगों को फायदा मिला।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को पूरी कहानी मालूम है लेकिन पार्टी से वफादारी के कारण वह इसे नहीं बताएंगे। दूसरा आदमी जो तस्वीर में था वह था आट्टावियो क्वात्रोच्चि। लेकिन उसे भारत छोडऩे की इजाजत दी गई जबकि यह सिद्ध हो चुका था कि सौदे में वह बिचौलिया था। केंद्र में कांग्रेस शासन कर रही थी इसलिए उसके देश छोडऩे पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई। उस समय भी सोनिया गांधी का नाम लिया गया था, जैसा मामला अभी है।  सी.बी.आई. को पूर्व प्रतिरक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की टिप्पणियों से धागा पकडऩा चाहिए कि हैलीकॉप्टर सौदे में घूसखोरी हुई, इसमे कोई संदेह नहीं है।

एंटनी ने कहा, ‘‘हम लोगों ने अगस्ता वैस्टलैंड, इसकी मूल कम्पनी फिनमेकानिका तथा उसकी सभी सहायक कम्पनियों को काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हमने बैंक-गारंटी को नकद में बदलने के खिलाफ भी कार्रवाई की और 2068 करोड़ रुपए की वसूली भी। अगस्ता वैस्टलैंड के तीन हैलीकॉप्टर भी हमारे पास जब्त रहे।’’ लेकिन एंटनी के अनुसार मोदी सरकार कम्पनी को मेक इन इंडिया कार्यक्रम में आमंत्रित कर और ठेका लेने के लिए निविदाओं में हिस्सा लेने की इजाजत देकर इसके साथ रिश्तों में गर्माहट ले आई है।

अगर मैं जवाहर लाल नेहरू सरकार की याद दिलाऊं तो जगजीवन राम पर शक जाता था, इसके बावजूद कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था। 1990 के दशक में जैन हवाला केस ने कई नाम सामने लाए जिसमें देश के शीर्ष नेता एल.के. अडवानी भी थे। जैन बंधुओं के पास से मिली डायरी ने कई फायदा पाने वालों का उल्लेख किया था लेकिन शायद ही किसी नेता, चाहे भाजपा का या कांग्रेस का, को सजा मिली। अभी चीजें अलग हैं क्योंकि मीडिया खासकर टैलीविजन ज्यादा सजग और शक्तिशाली हो गया है। यह कल्पना करना कठिन है कि आखिरकार इतना प्रचार पाने के बाद हैलीकॉप्टर सौदे को बिना किसी कार्रवाई के गुमनामी में खोने दिया जाएगा। संसद के सदस्य समझते हैं कि आम लोगों को बिना महत्व का नहीं माना जा सकता है क्योंकि लोग अब वोट का महत्व जानतेहैं।

राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा सकती हैं लेकिन उस गुस्से को नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं जो इस तरह के बेईमानी वाले सौदे से पैदा होता है इसलिए कांग्रेस का इंकार कितनी भी ऊंची आवाज में हो, हैलीकॉप्टर सौदे में घूस देने वाले और लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई पक्की है। यह एक अच्छी प्रगति है। 
IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!