हैदराबाद बन रहा है आई.एस.आई.एस. का अड्डा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2017 11:17 PM

hyderabad is becoming isis the corner

विश्व भर में आतंक का पर्याय बने आइसिस (आई.एस.आई.एस.) का नया ठिकाना...

विश्व भर में आतंक का पर्याय बने आइसिस (आई.एस.आई.एस.) का नया ठिकाना हिंदुस्तान में होने का अंदेशा जब कुछ वर्ष पहले लगाया जा रहा था तब किसी को यकीन नहीं हो रहा था लेकिन गुप्तचर एजैंसियों ने इस विषय पर हिंदुस्तान को पहले ही सजग कर दिया था। विशेषकर दक्षिण हिंदुस्तान में आइसिस की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) ने जून 2016 में पुराने हैदराबाद के कई इलाकों में छापेमारी करके आइसिस के कई आतंकियों को हिरासत में लिया था जो शहर में कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों की योजना बना रहे थे। 

इस दौरान इसके 9 ठिकानों पर हुई छापेमारी में आतंकियों के पास से 15 लाख की नकदी सहित कई हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए थे। राष्ट्रीय जांच एजैंसी ने तब दावा किया था कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को पश्चिम एशिया स्थित आतंकवादी संगठन आइसिस से हिंदुस्तान में आतंकी गतिविधियों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने के लिए दिशा-निर्देश मिल रहे थे। आखिर ये युवक आइसिस के प्रति आकॢषत कैसे होते हैं? जांच में सामने आया कि आइसिस ने सीधी भर्ती के साथ-साथ इसके लिए बाकायदा सोशल मीडिया द्वारा भी भटके युवाओं पर डोरे डाले। 

सबूत के तौर पर आइसिस में कथित तौर पर भर्ती कराने में शामिल एक हिंदुस्तान महिला का हवाला दिया जा सकता है जिसे संयुक्त अरब अमीरात ने आतंकी गतिविधियों में शामिल बता कर निर्वासित कर दिया था। खुफिया जांच एजैंसियों के अनुसार हैदराबाद की रहने वाली 37 साल की अफशां जबीन उर्फ ‘निकी जोसफ’ ने सोशल मीडिया की मदद से युवाओं को आइसिस में शामिल होने के लिए लुभाने का काम किया। वह खुद को ब्रिटिश नागरिक बताती थी। अफशां को आबूधाबी में पकड़ा गया था और शुरूआती पूछताछ के बाद उसे हैदराबाद निर्वासित कर दिया गया। हैदराबाद हवाई अड्डे पर पहुंचते ही उसे हिरासत में लेकर शुरूआती पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। 

इसी तरह हैदराबाद के सलमान मोहिउद्दीन को हैदराबाद हवाई अड्डे पर उस वक्त गिरफ्तार किया गया था जब वह सीरिया जाने के लिए दुबई जाने वाली उड़ान में सवार होना चाहता था। उसके भी आइसिस के साथ जुड़े होने के जांच एजैंसियों के पास पक्के सबूत थे। केवल अफशां और सलमान ही नहीं, ऐसी कई कट्टरपंथी एजैंसियां आइसिस के संपर्क में हैं जो आइसिस की ओर आकर्षित करने और इस संगठन की गतिविधियों से सहानुभूति रखने वालों पर नजर रखे हुए हैं। वह सोशल मीडिया पर युवाओं को ऐसी सामग्री उपलब्ध करवाने का काम करती हैं जिससे उन्हें अपने झांसे में लेकर जेहाद, शहादत और जन्नत के झूठे सपने दिखाकर आइसिस से जोड़ सकें। 

आइसिस के लिए फिलहाल लडऩे वालों में मुम्बई के बाहरी इलाके कल्याण, तेलंगाना, कर्नाटक, ओमान आधारित भारतीय, आस्ट्रेलिया में रहने वाला एक कश्मीरी युवक और सिंगापुर आधारित एक भारतीय के शामिल होने के मामले सामने आए हैं। उक्त आतंकवादी संगठन की ओर से लडऩे के लिए अब तक सैंकड़ों हिंदुस्तानी ईराक, सीरिया में आइसिस के कब्जे वाले इलाकों में गए हैं। उनमें से कुछ तो मारे गए जबकि एक मुम्बई स्थित अपने घर लौट आया था। आइसिस के साथ संलिप्तता वाले एक गुट से जुड़े होने के संदेह और बम हमले की साजिश रचने के आरोप में एन.आई.ए. द्वारा हैदराबाद से जब 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया था तब प्रारम्भिक जांच के दौरान पाया गया कि गिरोह आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के लिए आई.ई.डी. (Improvised Explosive Device) तैयार कर रहा था और इसके लिए गिरोह को एक ऑनलाइन हैंडलर से दिशा-निर्देश दिए जा रहे थे। 

ऐसा संदेह है कि हैंडलर ईराक या सीरिया में था। इससे पहले एन.आई.ए. ने पुख्ता जानकारी के आधार पर एक मामला भी दर्ज किया था जिसमें बताया गया है कि हैदराबाद के कुछ युवक और उनके साथी देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों, संवेदनशील सरकारी इमारतों समेत सार्वजनिक स्थानों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और विस्फोटक सामग्री एकत्र करके हिंदुस्तान सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे की साजिश रच रहे हैं। इन सारी गतिविधियों के आधार पर यह निश्चित हो गया कि हैदराबाद की जमीन आइसिस आतंक की फैक्टरी के लिए उपजाऊ है और वहां से उन्मादी युवाओं को जल्द ही भड़का कर आइसिस का मोहरा बनाया जा सकता है और ऐसा नहीं है कि यह आज की बात है। 

अमरीका की एफ.बी.आई. और हिंदुस्तान की खुफिया एजैंसियों की संयुक्त बैठक 2010 में हैदराबाद में हुई, तभी खुलासा किया गया था कि दुनिया के 21 शीर्ष आतंकवादी हैदराबाद के हैं। एक तरफ तो एजैंसियां आइसिस के कथित आरोपियों की धरपकड़ में लगी थीं, दूसरी तरफ मुस्लिम राजनीति के माहिर खिलाड़ी असदुद्दीन ओवैसी ने केन्द्र सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए आतंकी संगठन आइसिस के संदिग्धों को कानूनी मदद मुहैया कराने की घोषणा कर दी। ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी उन युवकों को कानूनी मदद मुहैया कराएगी जिन्हें सुरक्षा एजैंसियों ने आइसिस से मिले होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। 

इसका नतीजा यह निकला कि नौजवानों में बजाय कानून का खौफ पैदा होने के उन्हें लगा कि कोई उनके पक्ष में भी बात कर रहा है। दूसरी तरफ भाजपा ने इस मामले में कूदकर आरोप लगाया कि हैदराबाद राष्ट्रविरोधी तत्वों के लिए एक अड्डा बन गया है। इसके बाद यह मामला सीधे-सीधे ध्रुवीकरण की तरफ मुड़ गया। हालांकि ओवैसी ने अपने निर्णय का बचाव करते हुए कहा था कि आइसिस की ङ्क्षनदा करने में हम सबसे आगे हैं। उन लोगों का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। मैं अल्लाह से दुआ करूंगा कि जल्द से जल्द आइसिस से जुड़े लोगों की मानसिकता बदले। अगर सच में गिरफ्तार किए जा रहे लोग बेकसूर हैं तब तो ठीक है लेकिन अगर उनका लिंक आइसिस से है और उन्हें कानूनी मदद देने की कोई राजनीतिक पार्टी घोषणा करती है तो क्या आतंकवाद से जुड़े लोगों का हौसला नहीं बढ़ेगा? 

जरूरत इस बात की है कि देश के तमाम मौलवी अपनी तमाम बैठकों, तकरीरों, विशेषकर जुमे की नमाज के दौरान अपने सम्बोधन में इस्लामिक स्टेट की आलोचना करके उसे गैर-इस्लामी संगठन बताकर युवाओं को उससे दूर रहने की सलाह दें। युवाओं को कुरान, हदीस की रोशनी में बताया जाए कि इस्लाम शांति का मजहब है। मुस्लिम बुद्धिजीवियों को विशेष रूप से पहल करनी होगी। ओवैसी बंधुओं को भी सोचना होगा कि आखिर हैदराबाद क्यों आइसिस के आकर्षण का केन्द्र बन रहा है। राजनीति से परे जाकर उन्हें देशहित में कदम उठाना होगा।    

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