बुढ़ापे से पहले तथा ऑनलाइन वसीयत का बढ़ता रुझान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Oct, 2017 02:01 AM

increasing trend before and before the old age

बेंगलूर की रहने वाली पूजा श्रीवत्स 39 वर्ष की थी जब उसने अपनी पहली वसीयत तैयार की। कुछ ही समय पूर्व उसके पिता बिना किसी वसीयत के ढेर सारी सम्पत्ति छोड़ स्वर्ग सिधार गए थे। इसी कटु अनुभव से प्रेरित होकर पूजा ने समय रहते अपनी वसीयत तैयार करने का फैसला...

बेंगलूर की रहने वाली पूजा श्रीवत्स 39 वर्ष की थी जब उसने अपनी पहली वसीयत तैयार की। कुछ ही समय पूर्व उसके पिता बिना किसी वसीयत के ढेर सारी सम्पत्ति छोड़ स्वर्ग सिधार गए थे। इसी कटु अनुभव से प्रेरित होकर पूजा ने समय रहते अपनी वसीयत तैयार करने का फैसला लिया था। 

उसका कहना है: ‘‘मैं नहीं चाहती कि सम्पत्ति या पैसा आपसी मन-मुटाव का कारण बने। दूसरों को भला यह कृत्य कितना भी बेवकूफी भरा क्यों न लगे, मैंने अपने पास मौजूद मामूली-सी सम्पत्ति और पैसे का पूरा रिकार्ड अपनी वसीयत में दर्ज कर दिया है।’’ इसी प्रकार पुणे के रहने वाले प्रमोद कुमार ने भी 40वें वर्ष में प्रवेश करते ही जुलाई महीने में अपनी वसीयत तैयार कर ली थी। वह अकेले अभिभावक हैं और उनकी 2 बेटियां हैं। इसलिए वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी अनहोनी घटना के मद्देनजर उनकी बेटियों को बुरे दिन न देखने पड़ें। 

ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो कोई भी बात भाग्य के सहारे नहीं छोडऩा चाहते। यहां तक कि बहुत से लोग तो 40 वर्ष आयु के आसपास पहुंचते ही अपनी वसीयत तैयार करवा लेते हैं, यानी कि बुढ़ापा आने से काफी पहले ही ताकि बाद में सम्पत्ति को लेकर कटु विवाद खड़े न हों। ऐसा वे इसलिए करना चाहते है कि उन्होंने अपनी आंखों से अनेक परिवारों को सम्पत्ति विवादों के कारण छिन्न-भिन्न होते देखा है। 

वसीयत तैयार करवाने के इस रुझान की सहायता के लिए वर्तमान में कई सारे ऑनलाइन विकल्प उपलब्ध हैं। ‘वकील सर्च’ के संस्थापक तथा सी.ई.ओ. ऋषिकेश दातार का कहना है कि हर 2 वर्षों दौरान ही वसीयत से संबंधित जानकारी मांगने वालों की संख्या दोगुनी हो जाती है। उन्होंने बताया कि 2012 में उनसे लगभग 200 लोगों ने इस संबंध में जानकारी मांगी थी जबकि 2014 में यह संख्या 409, 2016 में 863 हो गई और इस वर्ष में अब तक 900 का आंकड़ा भी पीछे रह गया है। 

दातार का कहना है: ‘‘हर 4 सैकेंड बाद एक व्यक्ति बिना वसीयत किए ही मौत के मुंह में चला जाता है। उनकी प्यारी संतानों को उनकी सम्पत्ति का लाभ हासिल करने में औसतन एक दशक या इससे भी अधिक समय तक मुकद्दमेबाजी में उलझना पड़ता है। लोग असमय मृत्यु को एक असुखद मुद्दा समझ कर इसे टाल देते हैं और समय पर वसीयत नहीं करवाते।’’ ‘वकील सर्च’ चार्टर्ड अकाऊंटैंटों और वकीलों के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है जहां वसीयत लिखने की किट खरीदी जा सकती है। ‘राइट विल’ नामक यह किट ऑनलाइन स्टोर एमाजोन पर भी 400 रुपए में खरीदी जा सकती है। 

इस किट में एक दस्तावेज होता है जिसमें प्राारम्भिक या कच्ची वसीयत लिखने के साथ-साथ पक्की यानी अंतिम वसीयत लिखने औैर इसे सफेद लिफाफे में सम्भालने के लिए मार्गदर्शन व प्रावधान उपलब्ध होता है। बहुत से लोग इस भ्रांति का शिकार हैं कि वसीयत केवल स्टैम्प पेपर पर ही लिखी जा सकती है। दातार कहते हैं: ‘‘हमारा उद्देश्य लोगों को यह सहायता देना है कि वह केवल चाय पीते-पीते ही 10 मिनट में अपनी  वसीयत तैयार करके इस पर हस्ताक्षर करें और इसे मोहरबंद कर लें।’’     

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