केजरीवाल की क्षमा-याचनाएं और शहीद भगत सिंह की विरासत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 02:56 AM

kejriwal apologizes and legacy of shaheed bhagat singh

पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के नशा तस्करों के साथ संबंधों बारे तथा भाजपा नेता गडकरी और कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में चल रहे मानहानि मामलों में ‘आप’ सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल द्वारा अदालतों में दिए...

पूर्व अकाली मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया के नशा तस्करों के साथ संबंधों बारे तथा भाजपा नेता गडकरी और कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में चल रहे मानहानि मामलों में ‘आप’ सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल द्वारा अदालतों में दिए गए लिखित माफीनामों ने इस पार्टी के वास्तविक चरित्र को लेकर जोरदार बहस छेड़ दी है। 

केजरीवाल द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए माफीनामों ने अकाली-भाजपा गठबंधन के 10 वर्षों के कुशासन, भ्रष्टाचार, रेत माफिया द्वारा की गई लोगों की अंधाधुंध लूट एवं कांग्रेसी नेताओं की कार्यशैली के विरुद्ध लोगों में पैदा हुए आक्रोश इत्यादि सब कुछ पर लीपापोती करने का काम किया है। मौजूदा गली-सड़ी जन विरोधी व्यवस्था का केजरीवाल से बड़ा समर्थक और कौन हो सकता है? भाजपा और कांग्रेस पार्टी के विरोध में से उभरी ‘आप’ ने वामपंथी मुहावरा प्रयुक्त करते हुए इलैक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के व्यापक प्रयोग से आम लोगों (और खास तौर पर प्रगतिवादी विचारों वालों) के एक हिस्से को काफी प्रभावित किया था। कई राजनीतिक हलकों में ‘आप’ के अभ्युदय की रोशनी में वाम पाॢटयों की प्रासंगिकता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाने की कवायद प्रारंभ हो गई थी। 

देश के मौजूदा संकटग्रस्त पूंजीवादी ढांचे का आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए मनुष्य के हाथों मनुष्य की लूट से मुक्त व्यवस्था स्थापित करने के लंबे एवं धैर्यपूर्ण, प्रतिबद्ध संघर्ष से प्रत्येक अत्याचार से टक्कर लेते हुए, किसी भी प्रकार की कुर्बानी की परम्परा को गच्चा देते हुए कुछ लोगों को ‘आप’ नेताओं की जुबानी-कलामी उसूलपरस्ती व ईमानदारी और किसी ठोस विचारधारा के बिना सभी पक्षों (यानी शोषणकत्र्ताओं व शोषितों) को साथ लेकर चलने की नीति में से ही लोकराज की सफलता नजर आने लगी थी। इससे भी आगे जब केजरीवाल के सिपहसालार शहीद-ए-आजम भगत सिंह के अनुयायी होने का भ्रम पैदा करने के लिए केसरी पगडिय़ां बांध कर नारे लगाने और झूठी कसमें खाकर शहीदों के सपने पूरे करने के लिए राजनीति में प्रवेश करने की घोषणा करें तो यह अत्यंत दिलकश और भ्रामक आडम्बर बनना ही था। 

आत्मबलिदान की प्रतिमूर्ति होने का पाखंड रचकर अरविन्द केजरीवाल कम्युनिस्टों समेत अलग-अलग राजनीतिक नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए श्रोतागणों से वाहवाही बटोरता रहा था। लेकिन जब अपने इन आरोपों पर पहरा देने का समय आया तो दुम दबाकर जिस तरह भागा है, उससे जनता  के सामने उसका असली चेहरा बेनकाब हो गया है। यदि यह मान भी लिया जाए कि नशा तस्करों के साथ विभिन्न नेताओं के संबंधों तथा भ्रष्ट कार्रवाइयां करने के केजरीवाल के दोष गलत थे तो भी जो लाखों लोग केजरीवाल के लच्छेदार भाषणों से प्रभावित होकर  ‘आप’ से जुड़े थे, क्या केजरीवाल उनके भरोसे का दुरुपयोग नहीं कर रहा। 

केजरीवाल का यह अवसरवादी और स्वार्थसिद्धि वाला पैंतरा ‘आप’ के लिए ही विनाशकारी सिद्ध होगा। (और ऐसा होना भी चाहिए)। बल्कि मैं तो कहूंगा कि यह पैंतरा शहीद-ए-आजम भगत सिंह के महान बलिदान और उनकी विचारधारा से भी विश्वासघात है। ‘आप’ नेता बेशक शहीद की झूठी कसमें खाते नहीं थकते लेकिन उनका यह पैंतरा बेहतर समाज का सृजन करने के इच्छुक ईमानदार और नवागंतुक लोगों को भी समूची राजनीति से मायूस करने की घिनौनी चाल है। इस तरह  के मोहभंग का शिकार हो चुके लोगों का जनवादी राजनीति में फिर से भरोसा बहाल करने में काफी समय लग सकता है। असली दोषी अरविन्द केजरीवाल और उनके निकटवर्ती हैं, जिन्होंने वर्तमान गली-सड़ी व्यवस्था के विरुद्ध उठ रही आक्रोश की लहर को निष्प्रभावी करने के लिए प्रैशर कुकर के सेफ्टी वाल्व का काम किया है। 

शहीद-ए-आजम भगत सिंह के गौरवशाली बलिदान और फिलास्फी का लाभ लेने के लिए भगवाधारी रामदेव ने भी तब इसी तरह की शर्मनाक भूमिका अदा की थी, जब वह दिल्ली की रामलीला ग्राऊंड मेें यू.पी.ए. की केन्द्र सरकार के भ्रष्टाचारी कुकृत्यों के विरुद्ध धरने में से गिरफ्तारी से बचने के लिए महिलाओं वाले कपड़े पहन कर बुजदिलों की तरह भाग निकला था। वास्तव में भाजपा के रंग में रंगा हुआ रामदेव केवल निजी लाभ हेतु ही भगत सिंह की झूठी कसमें खा रहा था और यह एक अक्षम्य अपराध है। भगत सिंह की विचारधारा की कट्टरविरोधी भाजपा के अनुयायी रामदेव का दिल्ली ड्रामा एक गहरी तयशुदा साजिश का हिस्सा था। पंजाब के मौजूदा वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल द्वारा शहीद-ए-आजम भगत  सिंह के गांव खटकड़कलां की मिट्टी की कसम खाकर पीपुल्स पार्टी आफ पंजाब के नाम से एक राजनीतिक संगठन कायम करने का नाटक अब बेनकाब हो गया है। 

साम्राज्यवाद के विरुद्ध भगत सिंह द्वारा लड़े गए गौरवशाली संघर्ष और हंसते-हंसते फांसी पर झूल जाने की परम्परा तथा आजादी मिलने के बाद समाजवाद स्थापित करने की उनकी क्रांतिकारी विचारधारा से दगा कमाकर मनप्रीत बादल अब उसी कांग्रेस पार्टी की सरकार में मंत्री के पद पर सुशोभित हैं, जो साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा निर्देशित आॢथक नीतियों की ध्वजवाहक है। अरविन्द केजरीवाल, रामदेव और मनप्रीत बादल के रूप में ‘आप’, भाजपा और कांग्रेस पार्टी के वास्तविक इरादों और नीतियों की थाह पाना कोई कठिन काम नहीं। इन पार्टियों के नेता अपनी जनविरोधी राजनीति को शहीद-ए-आजम भगत सिंह के शानदार किरदार से ढकने का प्रयास करते हैं।-मंगत राम पासला

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