क्यों न हों रेल दुर्घटनाएं रेल ट्रैक कर्मी तो अफसरों के बंगलों में दे रहे हैं ‘ड्यूटी’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 12:35 AM

rail track workers are giving duties to the bungalows of the officers

वैसे तो वे लोग मुख्य रूप में रेलवे सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन रेल ट्रैकों की जांच-पड़ताल करने की बजाय वे वर्षों-वर्ष ‘बड़े साहिबों...

वैसे तो वे लोग मुख्य रूप में रेलवे सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन रेल ट्रैकों की जांच-पड़ताल करने की बजाय वे वर्षों-वर्ष ‘बड़े साहिबों’ के बंगलों में तैनात रहते हैं जहां वे कपड़े धोने, बर्तन साफ करने, बाजार से सौदा खरीद कर लाने और बच्चों को स्कूल छोडऩे और लाने जैसे काम करते हैं लेकिन फिर भी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहाणी द्वारा शुरू किए गए पहले महत्वपूर्ण सुधार ने उन्हें घरेलू नौकरों की स्थिति से उबार कर फिर से रेल ट्रैक पर खींच लिया है। 

उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया है कि ग्रुप डी के लगभग 10,000 रेलवे कर्मी, जिनमें गैंगमैन तथा ट्रैकमैन शामिल हैं, को वरिष्ठ अधिकारियों के चंगुल से मुक्त करवाया गया है और फिर से उन्हें रेल ट्रैक की सुरक्षा और रख-रखाव पर तैनात कर दिया है। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार लोहाणी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वी.आई.पी. संस्कृति और फोकट अफसरी रौबदाब की परिपाटी समाप्त की जाए। यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब भारतीय रेलवे गत एक वर्ष से अनेक दुर्घटनाओं के चलते सुरक्षा कर्मियों की प्रचंड कमी से जूझ रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि साहिब लोगों के घर नौकरों की तरह काम कर रहे कर्मियों को फिर से उनकी मूल ड्यूटियों पर भेज दिया गया है। 24 घंटे रेल ट्रैकों की मौके पर जाकर निगरानी करने की जरूरत होती है लेकिन पहले ये कर्मी रेल ट्रैकों पर दिखाई ही नहीं देते थे। 

रेलवे बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि ग्रुप डी के कर्मियों से घरेलू नौकरों की तरह काम करवाने की परम्परा कई वर्षों से जारी है और शीर्ष अधिकारियों के घरों में विशेष रूप में नौकर रखने की बजाय रेलवे कर्मियों को ही बुला लिया जाता है। रेलवे बोर्ड के सदस्य, जनरल मैनेजर, डिवीजनल रेलवे मैनेजर (डी.आर.एम.) जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के घरों में 6 से 8 तक गैंगमैन घरेलू नौकरों के रूप में काम करते हैं। रेल ट्रैक के रखरखाव तथा रेलगाडिय़ों के परिचालन के लिए गैंगमैन अत्यंत आवश्यक होते हैं। एक ओर तो हर वर्ष 200 रेल ट्रैक कर्मी पटरियों पर गश्त के दौरान दुर्घटनाओं के शिकार होकर मौत के मुंह में चले जाते हैं, ऊपर से 10,000 ट्रैक कर्मी घरेलू नौकरों के रूप में तैनात होने के कारण रेल परिचालन बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। 

उल्लेखनीय है कि रेल ट्रैक पर गश्त करने वाले कर्मियों को 20 किलोग्राम का औजारों वाला थैला उठाकर चलना होता है और उनकी ड्यूटी भी 12 घंटे होती है। शायद ऐसी कठोर ड्यूटी के कारण ही उनमें से अधिकतर लोग वरिष्ठ अफसरों के घरों में नौकरों की तरह काम करना पसन्द करते हैं, हालांकि ऐसा करते समय उन्हें न केवल अपने अफसरों बल्कि उनके सभी घरेलू सदस्यों की गुलामगिरी करनी पड़ती है। अखबारी रिपोर्टों के अनुसार गत माह भारतीय रेलवे में पटरियों की सुरक्षा से संबंधित स्टाफ में 2 लाख कर्मचारियों की कमी थी। उल्लेखनीय है कि राजग शासन के गत 3 वर्षों के दौरान गाडिय़ों के पटरियों से उतरने की 346 घटनाएं हुई हैं जिनमें लगभग 650 लोगों की मृत्यु हुई है। 

रेलवे अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया कि बहुत-सी  मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर कागजों में कर्मचारी मौजूद होते हैं लेकिन वास्तव में वे साहिब लोगों के बंगले में सेवाएं दे रहे होते हैं। यही कारण है कि मानव रहित क्रासिंग पर अक्सर ही दुर्घटनाएं होती रहती हैं। रेलवे के खुद के अनुमानों के अनुसार 40 प्रतिशत घटनाएं और 60 प्रतिशत मौतें केवल इसलिए होती हैं कि रेलवे क्रासिंग पर कोई कर्मचारी तैनात नहीं होता। वर्तमान में समूचे भारत में 6000 से भी अधिक  ऐसी रेल क्रासिंग हैं जहां कोई कर्मचारी तैनात नहीं। देश के सम्पूर्ण रेल ट्रैक की लम्बाई 67,312 कि.मी. है जिस पर हर रोज लगभग 13,000 रेलगाडिय़ां दौड़ती हैं और लगभग 2 करोड़ 30 लाख यात्री हर रोज इनमें सफर करते हैं। 

गौरतलब है कि रेलवे बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ए.के. मित्तल ने उत्तर प्रदेश में मात्र 5 दिन में पटरी से गाड़ी उतरने की 2 दुर्घटनाएं होने के बाद त्याग पत्र दे दिया था। उसके बाद यह जिम्मेदारी लोहाणी को सौंपी गई और उन्होंने पदभार संभालते ही निचले स्तर के रेल कर्मचारियों को अफसरों की घरेलू नौकरी से निजात दिलाई। इसके साथ ही उन्होंने कड़ा आदेश जारी किया है कि रेलवे का कोई भी अधिकारी उपहार स्वीकार नहीं करेगा और न ही अन्य अधिकारियों को उपहार, बुके इत्यादि प्रस्तुत करेगा। लोहाणी ने अधिकारियों को कड़ा संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर सहन नहीं  किया जाएगा और प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी का मूल्यांकन उसकी कारगुजारी के आधार पर किया जाएगा। 

इसके साथ लोहाणी ने सभी डिवीजनल रेलवे मैनेजरों को कहा है कि वे सभी रेल कर्मियों को समानता की दृष्टि से देखें और जमीनी स्तर पर काम करने वाले स्टाफ के प्रत्येक सुझाव को गंभीरता से लें। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को शनिवार के दिन भी सरकारी काम के संबंध में अपने कार्यालय में मौजूद रहने को कहा है।     

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