350वें प्रकाशोत्सव पर गुरु गोबिन्द सिंह जी के बलिदानों को याद करें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jul, 2017 11:46 PM

remember the sacrifices of guru gobind singh ji on the 350th festival

यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा दशम गुरु श्री.....

यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का 350वां प्रकाशोत्सव देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी की अध्यक्षता में कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक समिति और उसकी कार्य समिति का गठन किया गया है। इसके लिए भारत सरकार ने 100 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया है। 

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज से संबंधित 4 स्थानों-पटना साहिब, नांदेड़ साहिब, आनंदपुर साहिब और तलवंडी साबो में उनके स्मारक बनाने का निर्णय किया गया है। देश-विदेश में अनेक स्थानों पर प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में अनेक कार्यक्रम समायोजित किए गए हैं। जहां हम श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेशों, उनके आदेशों और उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं को संस्मृत करेंगे, वहां उनके द्वारा अपना सर्वस्व बलिदान करने के विश्व के अप्रतिम उदाहरण को जनता में और देश-विदेश में भी प्रचारित करना उचित होगा। 

श्री गुरु गोबिंद सिंह ने जहां अपने पिता नवें पातशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी को बलिदान के लिए प्रेरित किया, वहीं अपने चारों पुत्रों का भी बलिदान किया। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के अपने पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी के संबंध में शब्द अत्यंत उपयुक्त हैं ‘‘तिलक जंजू राखा प्रभ ता का। कीनो बड़ो कलू में साका।’’ ‘‘धर्म हेत साका जिन किया शीश दिया पर सिरुर न दिया।’’ अर्थात ‘‘तिलक जंजू के रक्षक उन्होंने महाकाल में आत्म बलिदान दिया।’’ धर्म के लिए जिन्होंने बलिदान दिया। सिर दिया पर सिरड़ नहीं दिया। कश्मीर के हिन्दुओं ने श्री गुरु तेग बहादुर जी को मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों और धर्मांतरण के विषय में बताया और उनसे रक्षा करने का अनुरोध किया। 

श्री गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि ऐसे समय में किसी महापुरुष के बलिदान की आवश्यकता है तो पास खड़े बालक श्री गोङ्क्षबद राय जी ने कहा कि आपसे बड़ा महापुरुष कौन है। उसी समय श्री गुरु तेग बहादुर जी ने अपना बलिदान करने का संकल्प कर लिया और अपना बलिदान देने दिल्ली आए। उन्होंने अपने अनुयायियों को कहा कि आप मुगल बादशाह औरंगजेब से कह दें कि अगर श्री गुरु तेग बहादुर जी इस्लाम धर्म कबूल कर लेंगे तो हम भी अपना धर्म परिवर्तन कर लेंगे। सैंकड़ों मील दूर चलकर बलिदान देने के लिए प्रयाण विश्व इतिहास में अद्वितीय है। इतिहास साक्षी है कि श्री गुरु तेग बहादुर जी का यहीं दिल्ली चांदनी चौक में कोतवाली के स्थान पर भीषण यंत्रणा देकर वध किया गया था। उनके साथी भाई दयालदास को उबलते हुए कड़ाहे में डाला गया और भाई मतिदास जी को आरे से चीरा गया था। 

श्री गुरु गोबिंद सिंह ने अपने दो पुत्रों बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह को युद्ध  में लडऩे के लिए भेजा और उनका वहां बलिदान हुआ और उनके अन्य दो पुत्रों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को धर्म परिवर्तन न करने पर दीवार पर चुनवा दिया गया। गुरु जी ने अपने पिता श्री और चारों पुत्रों का बलिदान न दिया होता तो आज भारत का इतिहास कुछ और ही होता। हिन्दू जाति को जीवित रखने, उनके तिलक और जंजू की रक्षा के लिए श्री गुरु तेग बहादुर जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने जो बलिदान दिए वे विश्व के इतिहास में अविस्मरणीय हैं। 

श्री गुरु गोबिंद सिंह द्वारा औरंगजेब को लिखे अत्यंत ओजस्वी पत्र जफरनामा (विजय पत्र) का सभी भाषाओं में अनुवाद कर प्रचारित करना भी उपयुक्त होगा। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा देश और धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ का सृजन और उनकी भूमिका के प्रचार और प्रसार की भी आज आवश्यकता है। आनंदपुर साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने अनुयायियों को सन 1699 बैसाखी के पर्व पर एकत्रित होने का निमंत्रण दिया था। वहां उनके आह्वान पर अनेक शिष्य अपना सिर देने को तैयार हुए। सबसे पहले लाहौर के श्री दयाराम, दूसरे हस्तिनापुर के जाट धर्मदास, तीसरे द्वारका के रंगरेज श्री मोहकम चंद, जगन्नाथ के कहार श्री हिम्मत राय और पांचवें बीदर के नाई साहबचंद। 

उन पांच शीर्ष दानियों को गुरु महाराज ने अमृतपान कराया जो एक कड़ाही में पानी डालकर और गुरु माता ने उसमें पताशे डालकर दोधारी खंडे से मिलाकर तैयार किया था और पांच प्यारों को पहले सिख बनाया और उनके नाम के आगे सिंह लगाकर और सिखी के नियम बताकर उनका खालसा पंथ में स्वागत किया। फिर उन पांच प्यारों के हाथों स्वयं अमृत पान करके स्वयं सिख बने और गोङ्क्षबद राय से गोबिंद सिंह बने। इस दृष्टि से वह छठे सिख कहलाए। पहले सिख बने पांच प्यारे देश के विभिन्न भागों से और विभिन्न जातियों और वर्णों से थे। इस प्रकार गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने हिन्दू समाज की कुरीतियों, जाति भेद, वर्ण भेद, प्रांत भेद, ऊंच-नीच को समाप्त करने का ऐतिहासिक कदम उठाया। ‘रंगरेटे गुरु के बेटे’ कह कर उन्होंने निम्र वर्ग को अपने बेटे के समान दर्जा देकर ऊंच-नीच का भेद समाप्त कर दिया। 

‘‘चिडिय़ों से मैं बाज तुड़ाऊं, सवा लाख से एक लड़ाऊं’’ के उद्घोष से उन्होंने अपनी सेनाओं में ऐसा उत्साह भरा कि वह अपनी छोटी सेनाओं के साथ भी मुगलों की विशाल सेनाओं का सफलतापूर्वक सामना कर सके। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु, लेखक, कवि थे और अनुपम वीर साहसी योद्धा थे। इसीलिए उन्हें संत सिपाही शब्दों से ठीक ही विभूषित किया गया है। उनकी सभी रचनाओं विशेषकर दसम ग्रंथ, जफरनामा, जाप साहिब, चंडी दी वार, बचित्तर नाटक, सवैये, चौपाई आदि के साथ-साथ मुगल साम्राज्य के खिलाफ उनके अनेक युद्धों के विस्तृत वर्णनों का सभी भाषाओं में प्रचार-प्रसार करने की भी आवश्यकता है। 

अंग्रेजों, मुस्लिम इतिहासकारों और कुछ शरारती इतिहासकारों ने हिन्दू और सिखों में फूट डालने के लिए अनेक प्रयास किए थे। अब फिर कुछ खालिस्तानी और अतिवादी तत्व हिन्दू और सिखों में नफरत फैलाने के लिए सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे समय में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज द्वारा हिन्दू जाति पर किए गए उपकारों का ज्ञान कराने और मुस्लिम बादशाहों द्वारा धर्मांतरण के लिए अत्याचार करने के खिलाफ संघर्ष करने का प्रचार करना भी आवश्यक है। 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!