आर.टी.आई. कानून के प्रति लापरवाह है पंजाब की अफसरशाही

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Feb, 2018 03:19 AM

rti punjabs bureaucracy is careless about the law

सरकारी कामों और कानूनी प्रक्रियाओं में किसी प्रकार की कोई गोपनीयता या हेराफेरी न हो, यही सोचकर सूचना अधिकार कानून लागू किया गया था। इस कानून के बूते देशवासियों को सब कुछ जानने का अधिकार मिल गया लेकिन पंजाब की अफसरशाही की लापरवाही ने इस कानून के...

सरकारी कामों और कानूनी प्रक्रियाओं में किसी प्रकार की कोई गोपनीयता या हेराफेरी न हो, यही सोचकर सूचना अधिकार कानून लागू किया गया था। इस कानून के बूते देशवासियों को सब कुछ जानने का अधिकार मिल गया लेकिन पंजाब की अफसरशाही की लापरवाही ने इस कानून के रास्ते में रुकावटें खड़ी करनी शुरू कर दी हैं। 

आर.टी.आई. कानून के माध्यम से सूचना अधिकार आयोग से मिली जानकारी के अनुसार यह खुलासा हुआ है कि एक साल में दर्ज हुए आर.टी.आई. उल्लंघन के मामलों में पंजाब का पंचायत विभाग सबसे अग्रणी रहा है। पंजाब के पुलिस प्रमुख का कार्यालय भी इस सूची में शामिल हो चुका है। इसके अलावा डिप्टी डायरैक्टरों को भी आर.टी.आई. कानून में कोताही प्रयुक्त करने के दोष में भारी जुर्माना देना पड़ा है जबकि एस.डी.एम., बी.डी.पी.ओ., थाना प्रमुख, डायरैक्टर सचिवालय, इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट, सिविल सर्जन, तहसीलदार, ग्लाडा, बिजली बोर्ड सहित अनेक विभागों के अधिकारी आर.टी.आई. आयोग के समक्ष जुर्माना अदा करके यह प्रमाणित कर चुके हैं कि पंजाब की अफसरशाही अभी भी ईमानदार नहीं बनी है। 

पंजाब राज्य सूचना आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते एक वर्ष में आर.टी.आई. कानून के उल्लंघन के मामले में 390 शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को आयोग की कार्रवाई का सामना करना पड़ा। केवल 12 आवेदन ही ऐसे थे जो कार्रवाई करने के योग्य नहीं थे। 

क्या है आर.टी.आई. कानून: अंग्रेजी शासन दौरान अंग्रेजों ने अपने कुकृत्यों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए ‘आफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923’ बनाया था और इसके नाम तले हर तरह की फाइलें दफन हो जाती रहीं। लेकिन भारत सरकार द्वारा अंग्रेजों का ही यह काला कानून झाड़-पोंछ कर ‘सूचना अधिकार कानून 2005’ के रूप में लागू कर दिया गया। 

अफसरशाही का रवैया: मांगी गई जानकारी का सही उत्तर देने की बजाय अधिकारी अपना पूरा जोर कानूनी त्रुटियां ढूंढने पर लगाते हैं ताकि किसी बहाने प्रार्थी को खाली हाथ लौटाया जा सके। इस कानून से परिचित बहुत कम लोग परिश्रम करके जरूरत अनुसार पैसा खर्च करके जब किसी सरकारी महकमे से किसी प्रकार की जानकारी मांगते हैं तो प्रथम 25 दिन उनके आवेदन को ठंडे बस्ते में रखा जाता है। आखिरी बचे 5 दिनों के दौरान किसी न किसी एतराज सहित आवेदनकत्र्ता को पत्र भेज दिया जाता है। 

कानून का दुरुपयोग: बहुत से लोग सरकारी कर्मचारियों या अधिकारियों को केवल परेशान करने की नीयत से आर.टी.आई.कानून का दुरुपयोग करते हैं। किसी न किसी तरह की रंजिश के अंतर्गत या फिर अधिकारियों पर अपना दबदबा बनाए रखने के लिए वे केवल यह मान कर सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों को उलझाए रखते हैं कि इस पर कौन से ज्यादा पैसे लगते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वास्तविक रूप में जरूरतमंद लोगों को इस कानून का लाभ लेते समय अडंग़ों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति के लिए जनता और अफसरशाही दोनों ही बराबर के जिम्मेदार हैं। हमारी अफसरशाही इस कानून को सही अर्थों में लागू करने की ईमानदारी दिखा ही नहीं रही।-रामदास बंगड़

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