क्या ट्रम्प पर महाभियोग चलना चाहिए

Edited By ,Updated: 22 May, 2017 11:19 PM

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अमरीकी जनता, बुद्धिजीवी, अमरीकी प्रशासन, अमरीकी कांग्रेस, पड़ोसी देश और....

अमरीकी जनता, बुद्धिजीवी, अमरीकी प्रशासन, अमरीकी कांग्रेस, पड़ोसी देश और यहां तक कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का अपना स्टाफ भी उनकी जुनूनी कार्रवाइयों से दुखी नजर आ रहा है। ट्रम्प को अमरीकी राजनीति, कूटनीति, प्रशासन, संविधान, प्रशासनिक व कानूनी क्षेत्र की अलिखित मान्यताओं के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। 

अब तक उनके द्वारा लिए गए कार्यकारी फैसलों और आदेशों तथा व्यावहारिक तौर पर उनकी जुनूनी मनोदशा के चलते उनके स्टाफ और सलाहकारों की योग्यता भी दाव पर लगी हुई है। उनका स्टाफ लगातार परेशान रहता है कि पता नहीं ट्रम्प कब कौन-सा पंगा खड़ा कर दें। ‘नाफ्टा’ व्यापारिक एवं कारोबारी संधि पर अनावश्यक तथा अव्यावहारिक सवाल खड़े करके ट्रम्प ने पड़ोसी और मित्र देशों कनाडा एवं मैक्सिको में कोहराम मचाया हुआ है। 

सीरिया 2 मोर्चों पर गृहयुद्ध लड़ रहा है-एक तो देश के आंतरिक विद्रोहियों के विरुद्ध और दूसरा आई.एस.आई.एस. के आतंकियों के विरुद्ध। अपने प्रतिद्वंद्विंयों पर रासायनिक गैस से हमला करने के आरोप में उस पर क्रूज मिसाइलों से हमला किया गया है। उत्तर कोरिया के उद्दंड एवं अडिय़ल तानाशाह किम जोंग उन के परमाणु मिसाइल परीक्षणों से भड़के अमरीका ने अपना नौसैनिक बेड़ा रवाना कर दिया है तथा पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के जनकल्याण कार्यों को भी उलटा घुमाना शुरू कर दिया। मैक्सिको से सटी सीमा पर पक्की दीवार का पंगा खड़ा कर दिया तथा आप्रवासियों के विरुद्ध शिकंजा कसना शुरू कर दिया। 

ट्रम्प के 2 तात्कालिक कदमों को अमरीकी व्यवस्था के लिए खतरा समझा जा रहा है और देश के अधिकतर लोग इनके विरुद्ध निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। इन कदमों को अमरीकी न्याय एवं सुरक्षा पर धब्बा समझा जा रहा है। उन्होंने संवैधानिक अपराध और अनाचार की सीमाओंं को पार करते हुए अमरीका की प्रमुख और ताकतवर जांच एजैंसी एफ.बी.आई. के डायरैक्टर जेम्स बी. कामे को बगैर किसी अपील-दलील के बर्खास्त कर दिया, दूसरा रूस के अमरीका यात्रा पर आए विदेश मंत्री सरगई लावरोव और अमरीका स्थित रूसी राजदूत सरगई किसलाइक के साथ आई.एस.आई.एस. (इस्लामिक जेहादी संगठन) संबंधी संवेदनशील खुफिया जानकारी सांझी की। 

जेम्स की बर्खास्तगी ट्रम्प और व्हाइट हाऊस की दूरदृष्टिविहीन तथा तानाशाही भरी गलत कार्रवाई है जो प्रशासनिक एवं कार्यकारी अव्यवस्था के कारण सामने आई है। जैसे देश और जनता के हितों को ताक पर रखकर संविधान की सर्वोच्चता का मजाक उड़ाते हुए ट्रम्प के चुनाव अभियान के समय रूस के साथ सांठगांठ की जांच कर रहे एफ.बी.आई. के डायरैक्टर को बर्खास्त किया गया है, वह सरासर संविधान की उल्लंघना और संविधान का अपमान है। 

ट्रम्प ने अपने पद का दुरुपयोग करअपने चुनाव के संबंध में रूसी हस्तक्षेप की जांच को बार-बार प्रभावित करने का प्रयास किया है। जेम्स कामे के साथ बातचीत करके तथा उन्हें व्हाइट हाऊस में डिनर पर बुलाकर यह पता करने का प्रयास किया गया कि क्या ट्रम्प के बारे में  जांच की जा रही है? दूसरी तरफ अमरीका के इतिहास में कभी वह व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता जिसके विरुद्ध जांच चल रही हो। इसी तरह ई-मेल स्कैंडल में फंसी हिलेरी क्ंिलटन संविधान का उल्लंघन करके राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनी रही थीं। 

किंलटन ने जेम्स कामे को उनके प्रति वफादार रहने को कहा था जबकि ऐसा करना गलत था। एफ.बी.आई. का डायरैक्टर संविधान और राष्ट्रपति प्रति वफादार होता है न कि किसी राजनीतिज्ञ आका के प्रति, जैसा भारत और अन्य कुछ देशों में होता है। राष्ट्रपति के लिए संविधान और राष्ट्रीय हित सर्वोच्च होते हैं पर ट्रम्प एक अहम अधिकारी को अपने प्रति वफादारी करने के लिए कहकर बहुत बड़ी गलती कर गए। जो अमरीकी कार्यकारी अधिकारी अपने उद्देश्य के लिए विदेशी शक्ति से प्रभावित होता है तो क्या उसकी अमरीका प्रति वफादारी पर प्रश्न चिन्ह नहीं लग जाता? विदेशी शक्ति से निजी स्वार्थ के लिए लाभ लेना और अमरीकी कांग्रेस को इस मामले में अंधेरे में रखने के लिए झूठ का सहारा लेना गम्भीर अपराध है। 

अमरीकी न्याय विभाग की यह परम्परागत नीति है कि चल रही जांच के संबंध में व्हाइट हाऊस के साथ विचार-विमर्श न किया जाए बल्कि इसकी प्रक्रिया कानून के अनुसार जारी रखी जाए। वास्तव में ट्रम्प को यह ज्ञान ही नहीं था कि अमरीका में सरकार किस तरह काम करती है। कई कानून और परम्पराएं बेशक लिखित नहीं हैं तो भी वे अनुकरणीय एवं व्यावहारिक होती हैं। ब्रितानिया के पास तो कोई लिखित संविधान ही नहीं है, लेकिन उस देश की सरकारें, संसद, न्यायपालिका और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी परम्पराएं समय-समय पर संसद द्वारा पारित कानूनों और न्यायपालिका द्वारा लिए गए फैसलों के अनुसार सुचारू ढंग से चल रही हैं।

जेम्स कामे की बर्खास्तगी का कोई ठोस प्रमाण ट्रम्प व्हाइट हाऊस के स्टाफ को नहीं दे सके। विलंब से प्रमाण जुटाने की जो कवायद हुई वह पूरी तरह हड़बड़ी भरी थी और बचकाना थी। ट्रम्प ने इसके संबंध में अपने स्टाफ को कुछ बताने की जरूरत नहीं समझी थी। वास्तव में उन्हें अपने स्टाफ पर भरोसा ही नहीं था। उन्हें डर था कि कहीं वह उनकी कार्रवाई के संबंध में जानकारी लीक न कर दे। मुख्य योजना सलाहकार स्टीफन के. बानन को भी इन बातों का पता टैलीविजन समाचारों से चला।

उन्होंने सलाह दी थी कि इस मामले में जल्दबाजी न की जाए। लेकिन ट्रम्प के स्वभाव और मानसिकता का किसी को ज्ञान नहीं, पता नहीं वह कब बगल में से छुरी निकाल लें। उत्तरी कोरिया के साथ टकराव के संबंध में भी सबसे बड़ी आशंका यही है कि ट्रम्प कहीं तीसरे विश्व युद्ध को निमंत्रण न दे दें। सूत्रों के अनुसार ट्रम्प ने यह फैसला रोजनस्टीन और अटार्नी जनरल सैशन्ज की सलाह पर ही लिया था लेकिन ट्रम्प ने एन.बी.सी. को इंटरव्यू के दौरान कहा कि यह फैसला रोजनस्टीन की सिफारिशों को दरकिनार करके लिया गया था। 

पूर्व रक्षा सचिव राबर्ट एम. गेट्स जो कभी-कभी राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं, ने जेम्स कामे की बर्खास्तगी की निंदा की है। उन्होंने भी अपने कार्यकाल दौरान कई आला अधिकारियों को चलता किया था लेकिन फिर भी उनकी राय है कि इस प्रकार की कार्रवाई के लिए ठोस प्रमाणों का होना जरूरी है। दूसरी बात यह है कि बर्खास्त अधिकारी के स्थान पर तुरंत नया अधिकारी तैनात करने की घोषणा होनी चाहिए, जोकि ट्रम्प ने नहीं की। शायद ट्रम्प ने यह सोचा होगा कि जेम्स कामे की बर्खास्तगी से चुनाव के संबंध में चल रही जांच खुद-ब-खुद समाप्त हो जाएगी या किसी अन्य दिशा में भटक जाएगी, लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति की यह बहुत बड़ी गलती है। इसी कारण वाश्ंिागटन पोस्ट ने लिखा कि ‘लोकतंत्र अंधेरे में ही दम तोड़ता है।’ 

वैसे अमरीकी इतिहास में इस प्रकार के किसी मुद्दे पर किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा महाभियोग नहीं चलाया गया, तो भी ट्रम्प के विरुद्ध आम जनता और कांग्रेस के अंदर सत्तारूढ़ रिपब्लिकनों के प्रति  आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

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