देह व्यापार में काफी कम हो गई है अवयस्कों की संख्या

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jun, 2017 10:59 PM

the number of minors has decreased in the body trade

इंटरनैशनल जस्टिस मिशन (एल.जे.एम.) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में बताया गया ....

इंटरनैशनल जस्टिस मिशन (एल.जे.एम.) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि मुम्बई में देह व्यापार के धंधे में संलिप्त अवयस्कों की संख्या में भारी कमी आई है। 1994 की व्यावसायिक यौन शोषण पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया था कि 40 प्रतिशत से अधिक सैक्स वर्कर अवयस्क हैं। लेकिन 2015-16 की एल.जे.एम. की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सार्वजनिक  चकला  घरों (वेश्यालयों) और डांस बार्ज में अब अवयस्कों की संख्या केवल 5.5 प्रतिशत रह गई है, जबकि प्राइवेट रैन बसेरों में यह आंकड़ा 11.7 प्रतिशत है। 

इस गिरावट के मुख्य कारण तो हैं कानून लागू करने वाली एजैंसियों और एन.जी.ओ. द्वारा किए जा रहे प्रयास।  इसके अलावा इस अपराध पर अंकुश लगाने के लिए 2013 में कानून में एक संशोधन किया गया था जिसके अंतर्गत  अवयस्कों को इस धंधे में धकेलने वालों के लिए विशेष रूप में कड़ी सजाओं का कड़ा प्रावधान किया गया था। वैसे अवयस्कों के व्यावसायिक यौन शोषण के प्रति अदालतें भी काफी कड़ा रुख अपनाने लगी हैं और इसके फलस्वरूप दंडित लोगों की संख्या बढऩे लगी है।गत बुधवार महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे द्वारा लांच की गई रिपोर्ट में मुम्बई के 1162 वेश्यालयों, 218 लेडीज बार, 19 साइलैंट बार्ज (जहां आर्कैस्ट्रा नहीं बजाया जाता) और रैन बसेरों, होटलों, किराए के मकानों जैसे 43 प्राइवेट स्थलों सहित 1400 से अधिक स्थलों का अध्ययन किया गया था।

रिपोर्ट की प्रस्तावना में बताया गया है कि चकला घरों और डांस बार्ज जैसे सार्वजनिक स्थलों से लेकर प्राइवेट यौन नैटवर्कों में अब रुझान बदल रहे हैं। अब वहां लड़कियां केवल उन सम्पर्क सूत्रों को उपलब्ध करवाई जाती हैं जो वेश्यालयों के दल्लों के जानकार होते हैं। वैसे यह अध्ययन इतने कम लोगों पर हुआ है कि इसे प्रतिनिधि रुझान नहीं माना जा सकता क्योंकि अक्सर देखा जा सकता है कि प्राइवेट रूप में वेश्यवृत्ति चलाने वाले जो लोग व्हाट्सएप तथा अन्य सोशल मीडिया पर विज्ञापनबाजी करते हैं उनके पास  काफी संख्या में अव्यस्क सैक्स वर्कर उपलब्ध होती हैं। 

10082 सैक्स वर्करों के साथ-साथ इस धंधे से मुक्त कराई गई वयस्क व अवयस्क पीड़िताओं पर शोध करने वालों ने 15 महिलाओं का भी इंटरव्यू लिया। इस बातचीत से खुलासा हुआ कि उनमें से 13 को शारीरिक ङ्क्षहसा में से गुजरना पड़ा था। यानी कि 84 प्रतिशत महिलाओं को छड़ी, झाड़ू, बेलन इत्यादि जैसी वस्तुओं से पीटा गया था। इनमें से 9 को तो इन यातनाओं के साथ-साथ ऐसे वातावरण में से गुजारा गया था ताकि उन्हें इस धंधे की आदत पड़ जाए, यानी कि उन्हें बंधक बनाकर प्रथम ग्राहक से उनका बलात्कार करवाया गया था। 

इस धंधे में फंसी हुई महिलाएं परिवार की आॢथक मजबूरियों, वेश्यालय में कैदियों की तरह रखे जाने या स्थानीय भाषा की जानकार न होने के कारण इस नर्क में से बाहर नहीं निकल पा रही थीं। इस रिपोर्ट का सबसे कुंजीवत खुलासा यह है कि प्राइवेट नैटवर्कों के माध्यम से ग्राहक किसी दल्ले के साथ प्राइवेट सम्पर्क में रहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि अब जांच प्रक्रिया भी इस तरह की बनानी पड़ेगी कि इस अमानवीय धंधे के छिपे हुए रहस्यों को उजागर किया जा सके।     

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