महिलाओं की शालीनता का प्रतीक माना जाने वाला दुपट्टा बना ‘मौत का दुपट्टा’

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2017 12:30 AM

women scarf symbolizes decency

दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं की शालीनता का प्रतीक माना जाने वाला दुपट्टा कभी-कभार बहुत ही जानलेवा सिद्ध हो सकता है।दिल्ली के आटोप्सी (शव की चीर-...

दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं की शालीनता का प्रतीक माना जाने वाला दुपट्टा कभी-कभार बहुत ही जानलेवा सिद्ध हो सकता है।दिल्ली के आटोप्सी (शव की चीर-फाड़ व विश्लेषण) के विशेषज्ञों ने महिलाओं के परम्परागत लिबास जैसे दुपट्टा, साड़ी, स्कार्फ इत्यादि के कारण मौतों की संख्या में वृद्धि नोट की है। ये मौतें सफर के दौरान भी होती हैं या घर अथवा फैक्टरियों में मशीनों पर काम करते समय।

अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स) में हाल ही में एक ऐसी किशोरी का शव लाया गया था जिसका दुपट्टा किसी खेती मशीन पर काम करते समय मौत का कारण बन गया था। इस शव के पोस्टमार्टम से कुछ असाधारण बातों का खुलासा हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीयों के बीच ऐसी जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि मशीन चालित साजो-सामान या किसी मशीन के नजदीक परम्परागत परिधान पहन कर जाते समय अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए।

‘एम्स’ के फोरैंसिक विभाग प्रमुख डा. सुधीर गुप्ता ने बताया : ‘‘उक्त शव के मामले में कुछ ऐसी बातों का खुलासा हुआ जो दुपट्टे से गला घुटकर होने वाली मृत्यु के मामले में अभी तक नहीं हुआ था। मृतका के शरीर पर निशान अपूर्ण थे और लंबाकार स्थिति में थे जोकि अक्सर फंदा लगकर हुई मौत के मामले में देखे जाते हैं जबकि गला घुटने से होने वाली मृत्यु से शरीर पर पडऩे वाले निशान सामान्य क्षितिजाकार रूप में और सम्पूर्ण होते हैं।’’

यात्रा दौरान या मशीन में दुपट्टा फंसने से गला घुटने से होने वाली मृत्यु में मृतक के शरीर पर आड़े-तिरछे निशान पड़ जाते हैं जैसे उसे घसीटा गया हो। उक्त किशोरी का दुपट्टा ट्यूबवैल की मोटर में फंसने से उसकी मृत्यु हुई थी और उसके शरीर पर भी ऐसे निशान मौजूद थे जैसे उसे घसीटा गया हो।‘एम्स’ ने यह खुलासा ‘ए.आर.सी. जर्नल ऑफ फोरैंसिक साइंस’ में प्रकाशित किया था। एक अन्य फोरैंसिक विशेषज्ञ डा. अभिषेक यादव ने बताया कि इस प्रकार के मामले पोस्टमार्टम करने वाले सर्जन के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं और दुर्घटना के समूचे प्रकरण के परिप्रेक्ष्य में ही शरीर पर मौजूद चोट के निशानों का बहुत सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना पड़ता है।

‘एम्स’ के विशेषज्ञों ने बताया कि गत 5-6 वर्षों दौरान उनके पास 30-40 मामले ऐसे आए हैं जिनमें महिलाएं अपने गले में लपेटे हुए दुपट्टे के मोटरसाइकिलों, स्कूटरों, टेबलफैन, मिक्सर ग्राइंडर, रिक्शा अथवा फैक्टरी के उपकरणों में फंस जाने के कारण अचानक ही मौत के मुंह में चली गईं। केवल महिलाओं के साथ ही ऐसा नहीं होता। कई मामलों में मफलर, शाल इत्यादि लपेटने वाले पुरुष भी दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।     (मे.टु.)

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