भारत में बिकने वाली हर 10 में से 1 दवा फर्जीः WHO की रिपोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 01:39 PM

1 out of every 10 sold drugs in india is fake says who report

भारत में दवा सेक्टर को लेकर एक अहम खुलासा हुआ है जिस पर भारतीय सरकार को चिंता करने की जरुरत है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की 23 नवंबर को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में शामिल है जहां हर 10 दवा में से 1 दवा नकली है।...

नई दिल्लीः भारत में दवा सेक्टर को लेकर एक अहम खुलासा हुआ है जिस पर भारत सरकार को चिंता करने की जरुरत है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की 23 नवंबर को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, भारत उन देशों में शामिल है जहां हर 10 दवा में से 1 दवा नकली है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे नकली या घटिया क्वॉलिटी की दवाओं की शिकायत को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

सैंपलों में 10 फीसदी दवाएं नकली
रिपोर्ट के अनुसार 48,218 सैंपलों के 100 अध्ययनों के विश्लेषण में करीब 10.5 फीसदी दवाएं नकली व घटिया पाई गई हैं। डब्ल्यू.एच.ओ. के अनुसार 2013 के बाद से नकली और घटिया उत्पादों की 1500 रिपोर्टें मिली हैं। इनमें ज्यादातर एंटीमलेरिया और एंटीबायोटिक दवाएं शामिल थीं।

लोगों के पैसे से हो रहा है खिलवाड़
यह रिपोर्ट आने के बाद यह माना जा सकता है कि लोग ऐसी दवाएं इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उनके बीमारी से बचाव और इलाज संभव नहीं है। ऐसे में न सिर्फ लोगों के पैसे से खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि उनके जान पर भी गंभीर बीमारियों का संकट बना रहता है। डब्ल्यू.एच.ओ. ने माना कि ये नकली और खराब दर्जें की दवाओं से लोगों की सेहत पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।
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गरीब लोगों पर होता है सबसे ज्यादा असर
यह रिपोर्ट प्रभावी ढंग से स्पष्ट करती है कि फर्जी और घटिया दवाओं की समस्या दुनिया के लिए कितनी गंभीर है। आम तौर पर इसकी मार आबादी के सबसे गरीब और कमजोर हिस्से को ही झेलनी पड़ती है। डॉक्टर अलग-अलग तरह के इलाज आजमाते रहते हैं, जबकि जरूरत उन्हीं दवाओं की पर्याप्त डोज सुनिश्चित करने की होती है। मरीज कभी पर्याप्त दवा न मिलने की वजह से तो कभी खराब क्वॉलिटी के प्रॉडक्ट के चलते जान गंवा बैठते हैं।

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क्यों बढ़ रही है यह समस्या?
रिपोर्ट में इस समस्या का सबसे बड़ा कारण ग्लोबलाइजेशन को बताया गया है। उन्होंने कहा कि नकली दवाओं का उत्पादन कहीं और होता है और पैकेजिंग किसी और देश में होती है और फिर किसी अलग देश में इसका वितरण होता है, इसलिए इसकी बिक्री पर रोक लगाना मुश्किल होता जा रहा है।

रिपोर्ट में हुए और भी खुलासे
रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्यकर्मी वैकल्पिक उपचारों से बाहर निकलने के लिए समय बर्बाद कर रहे हैं जबकि वास्तव में उसी उपचार के लिए अच्छे विकल्प मौजूद हैं। इस रिपोर्ट में सबसे खराब बात यह है कि बीमारी का इलाज न होने से लोगोें की बड़ी संख्या में मृत्यु हो रही है। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि अगर किसी बीमारी के इलाज में सही दवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता तो शरीर में मौजूद रोगाणु (बीमारी से लड़ने वाले रोगजनक) बुरी तरह से नष्ट हो जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि करीब 15 साल पहले नकली दवाइयों की वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड बिक्री हुई थी। अब दोबारा से इनकी सेल भारत जैसे मध्यम आय वाले देश में दोगुनी हो गई है।

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