Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 04:37 PM
संयुक्त राष्ट्र के भारत में स्थानीय समन्वयक यूरी अफानासिएव ने आज कहा कि यह देश अपने वित्तीय...
नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र के भारत में स्थानीय समन्वयक यूरी अफानासिएव ने आज कहा कि यह देश अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्य को और करीब ले जा सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 30 करोड़ बैंक खाते खोले जाने के बावजूद अभी भी छह करोड़ लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं। अफानासिएव ने वित्तीय समावेशन पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा कि वित्तीय सेवाओं के लिए पंजीकृत अधिकतर लोग शहरी पुरुष हैं, जिसका अर्थ है कि महिलाएं विशेषकर ग्रामीण महिलाएं बहुत बड़े अनुपात में बैंकिंग के दायरे से बाहार हैं और वे वित्तीय शोषण के जोखिम से घिरी हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि छोटे और मझौले उद्यमों की वृद्धि में औपचारिक वित्त तक उनकी पहुंच नहीं होना बहुत बड़ा बाधा है। औपचारिक अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र भी नकदी, मवेशी, खेती के उपकरणों, अपने बनाए मकानों, वर्कशॉप या जेवरात जैसी उन परिसंपत्तियों को मान्यता देने के लिए पर्यापत उपाय नहीं करते जिनमें बैकिंग सेवाओं से वंचित समूह निवेश करता है।
उन्होंने कहा कि इन परिसंपत्तियों पर कोई ब्याज नहीं मिलता है और समय के साथ उनकी कीमतें घटती जाती हैं। यदि जन-धन, आधार और मोबाइल (जैम) प्लेटफॉर्म को ऐसी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करने दिया जाए तो उनकी जमानत पर औपचारिक ऋण लिया जा सकता है। इस तरह से इस त्रिस्तरीय स्तंभ को चौथा स्तंभ भी मिल जायेगा और भविष्य के निर्माण का आधार तैयार हो जाएगा।