6 से 18 वर्ष के 83.5% बच्चे सोशल मीडिया पर

Edited By ,Updated: 07 May, 2017 12:41 PM

83 5  of children aged six to 18 years on social media

स्मार्टफोन पर हाई स्पीड में इंटरनैट चलने के साथ ही ब्रांडबैंड के घरों तक पहुंचने से देश के शहरी क्षेत्रों के 99 फीसदी बच्चे इंटरनैट का

नई दिल्लीः स्मार्टफोन पर हाई स्पीड में इंटरनैट चलने के साथ ही ब्रांडबैंड के घरों तक पहुंचने से देश के शहरी क्षेत्रों के 99 फीसदी बच्चे इंटरनैट का उपयोग करते हैं और 6 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 83.5 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं।

दूरसंचार सेवाएं देने वाली कंपनी टैलीनॉर इंडिया की वैबवाइका सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए कहा गया है कि अधिकांश बच्चे अपने सोशल अकाऊंटों के लिए कमजोर पासवर्ड का उपयोग करते हैं जिससे वे हैकिंग के भी शिकार होते हैं। देश के 13 शहरों के 2,700 बच्चों ने इस सर्वेक्षण में भाग लिया है। इसमें कहा गया है कि शहरों में 98.8 प्रतिशत बच्चे इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं और 54.6 प्रतिशत बच्चे कमजोर पासवर्ड का इस्तेमाल करते हैं यानी ऐसा पासवर्ड जिसमें केवल ऐल्फाबेट अथवा नंबर होते हैं और वह भी 8 से कम। इसके अतिरिक्त 54.82 प्रतिशत बच्चे अपना पासवर्ड अपने दोस्तों, परिवार या संबंधियों के साथ साझा करते हैं और इस प्रकार अपनी डिजिटल सुरक्षा को जोखिम में डालते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 6 से 18 वर्ष के 83.5 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। 35 प्रतिशत से अधिक बच्चों ने अकाऊंट हैक होने का अनुभव किया है जबकि 15.74 प्रतिशत बच्चों को सोशल मीडिया पर अनुचित संदेश प्राप्त हुए हैं। सोशल मीडिया को लेकर बच्चों के लिए वैबवाइज कार्यशालाएं आयोजित की गई जिनमें भाग लेने के बाद 81.9 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे अपना पासवर्ड बदलने के बारे में विचार करेंगे और 84.26 प्रतिशत बच्चों ने माना कि वे अपना पासवर्ड अपने माता-पिता के अलावा और किसी को नहीं बताएंगे। 

72.26 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे ऐल्फाबेट, नंबर, स्मॉल तथा कैपिटल लैटर या स्पेशल कैरेक्टरों का इस्तेमाल करते हुए एक मजबूत पासवर्ड बनाएंगे। कंपनी के यूपी वेस्ट सर्किल के कारोबार प्रमुख अनिल कुमार ने कहा कि इंटरनैट इस्तेमाल करने वालों की तादाद के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और देश में इंटरनैट प्रयोक्ता, खासकर बच्चे, कमजोर या आसानी से अंदाजा लगाए जा सकने वाले पासवर्ड के चलते साइबर खतरों के जोखिम में पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी वैबवाइका जैसे उत्पादों के जरिए अगली पीढ़ी के इंटरनैट प्रयोक्ताओं को जागरूक एवं शिक्षित कर एक सशक्त डिजिटल समाज बनाने का काम कर रही है। बच्चों को इंटरनैट उपयोग करते समय साइबर खतरों से निपटने के बारे में भी बताया जा रहा है।  

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