Edited By ,Updated: 02 Nov, 2016 10:16 AM
भारतीयों को वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही के बेहतर रहने की उम्मीद है। जब बात रोजगार, पर्सनल फाइनेंस और खर्च करने की बेहतर क्षमता की आती है उस वक्त भारतीय ज्यादा काफिंडेंट नजर आते हैं।
नई दिल्ली: भारतीयों को वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही के बेहतर रहने की उम्मीद है। जब बात रोजगार, पर्सनल फाइनेंस और खर्च करने की बेहतर क्षमता की आती है उस वक्त भारतीय ज्यादा काफिंडेंट नजर आते हैं। यह आकलन ग्लोबल कंपनी नील्सन ने किया है।
नील्सन की तरफ से जारी किए गए एक आकलन में बताया गया है कि वैश्विक सूचकांक में शीर्ष स्थान को पुनः प्राप्त करने के लिए भारत के उपभोक्ता विश्वास सूचकांक का स्कोर पांच अंक बढ़कर 133 हो गया। यह बीती तिमाही में 128 पर था। यह भारतीयों की आशावादिता के स्तर की पुन: वापसी है जो वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में नजर आई थी।
भारत के बाद इस वैश्विक सूचकांक में फिलीपींस और इंडोनेशिया का नंबर आता है, जिन्होंने 132 और 122 अंक हासिल किए। नील्सन ने उपभोक्ता विश्वास सूचकांक में 63 देशों के लोगों में स्थानीय रोजगार की संभावनाएं, व्यक्तिगत खर्च और तत्काल खर्च इरादों को मापा। उपभोक्ताओं के विश्वास स्तर को 100 बेसलाइन के ऊपर-नीचे, आशावादिता और निराशावादिता के आधार पर वर्गीकृत किया गया।दक्षिण एशिया के नील्सन प्रेसिडेंट प्रसून बासू ने बताया कि भारत का तिमाही में नवीनतम स्कोर ऐतिहासिक दृष्टि के काफी ज्यादा है और यह नए सिरे से आशावादिता के स्तर को दोहराता है।