Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jan, 2018 02:36 PM
रोजगार देने में छोटे-मझौले उद्योगों की अहम भूमिका रही है लेकिन जीएसटी के बाद छोटे कारोबारियों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। जीएसटी के लागू होने के बाद से छोटे-मझौले उद्योगों काफी प्रभावित हुए है। कई छोटे कारोबारी अब बजट से उम्मीदें लगाई बैठे है कि पेश...
नई दिल्लीः रोजगार देने में छोटे-मझौले उद्योगों की अहम भूमिका रही है लेकिन जीएसटी के बाद छोटे कारोबारियों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। जीएसटी के लागू होने के बाद से छोटे-मझौले उद्योगों काफी प्रभावित हुए है। कई छोटे कारोबारी अब बजट से उम्मीदें लगाई बैठे है कि पेश होने वाले बजट से उन्हें कोई व कोई लाभ जरूर होगा।
जीएसटी लागू होने से पहले तक 1.5 करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाले उद्योगों को एक्साइज ड्यूटी में छूट थी जिसकी वजह से बड़े उद्योगों से उनके प्रोडक्ट्स की कीमत थोड़ी कम रहती थी। अब इनका मुकाबला सीधे बड़ी कंपनियों से हो रहा है। समस्या सिर्फ एक्साइज छूट खत्म होने की नहीं है। इन कारोबारियों के ज्यादातर वेंडर जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं थे जबकि बड़े उद्योगों के साथ ये समस्या नहीं है।
पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और कच्चे माल की कीमत बढ़ने से छोटे उद्योगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कारोबारियों का कहना है कि जहां पहले इनका बनाया पानी का पंप ब्रांडेड पंप से करीब 1,500 रुपये सस्ता होता था वहीं अब ये अतंर खत्म हो गया है। इनमें से ज्यादातर उद्योगों के पास जीएसटी की अकाउंटिंग के लिए अलग व्यक्ति रखना भी महंगा पड़ रहा है। ऐसे में बड़े उद्योगों के सामने लघु उद्योग संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।