Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Mar, 2018 10:55 AM
पंजाब नैशनल बैंक में हुए 11400 करोड़ रुपए के महाघोटाले में बैंक के अधिकारियों के शामिल होने की खबरें अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं कि इसी बीच आयकर विभाग में भी एेसा ही मामला उजागर हुआ है। सीबीआई ''रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स'' से जुड़े एक फर्जीवाड़े...
नई दिल्लीः पंजाब नैशनल बैंक में हुए 11400 करोड़ रुपए के महाघोटाले में बैंक के अधिकारियों के शामिल होने की खबरें अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं कि इसी बीच आयकर विभाग में भी एेसा ही मामला उजागर हुआ है। सीबीआई 'रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स' से जुड़े एक फर्जीवाड़े की जांच कर रही है। इसमें इन्फोसिस के कुछ कर्मचारी, आयकर विभाग के कुछ अधिकारी और बेंगलुरु के एक फर्जी चार्टर्ड अकाउंटंट (सीए) की मिलीभगत सामने आ रही है।
अवैध तरीके से किए रिफंड्स क्लेम
मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, आयकर विभाग ने इस फर्जीवाड़े का पता जनवरी महीने के आखिरी दिनों में लगाया था। एफआईआर में कहा गया है कि आयकर विभाग के कुछ अधिकारियों, इन्फोसिस के कुछ कर्मचारियों और एक फर्जी सीए की मिलीभगत से 1,010 रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स फाइल किए गए। इन्होंने तीन आकलन वर्षों में फर्जी दस्तावेजों के जरिए विभिन्न प्राइवेट कंपनियों के 250 करदाताओं के नाम रिवाइज्ड टैक्स रिटर्न्स फाइल करके अवैध तरीके से रिफंड्स क्लेम किए थे।
CBI ने दर्ज की FIR
गौरतलब है कि आयकर विभाग ने ई-रिटर्न्स प्रोसेस करने का काम इन्फोसिस को ही दे रखा है। सीबीआई का कहना है कि जब फर्जी सीए नागेश शास्त्री रिटर्न्स फाइल कर रहा था, उस वक्त आयकर विभाग के कुछ अधिकारियों और इन्फोसिस के कुछ कर्मचारियों ने इन फर्जी रिटर्न्स को सिस्टम के रेडार से बचाने का काम किया और उन्हें स्वीकृति मिल गई। आरोपी नागेश शास्त्री ने सीपीसी एवं आयकर विभाग के अज्ञात अधिकारियों और कुछ अन्य अज्ञात लोगों के साथ मिलीभगत से फर्जी रिटर्न्स फाइल किए और गलत जानकारियां भरकर 5 करोड़ रुपए का रिफंड क्लेम कर दिया। एफआईआर कहती है, 'प्रोसेसिंग के काम में लगे इन्फोसिस के अज्ञात अधिकारियों और रिफंड्स क्लेम को अप्रूव करने के लिए अधिकृत आई-टी अधिकारियों ने शास्त्री की मिलीभगत से झूठी जानकारियों के आधार पर भरे गए इन रिवाइज्ड रिटर्न्स या दस्तावेजों को जानबूझकर अप्रूव कर दिया और इनकम टैक्स रिफंड जारी कर दिए।'