अब हवाई सफर करना पड़ेगा महंगा, जानिए क्या है वजह?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 03:07 PM

airfares may go up as government plans to raise passenger services

आने वाले दिनों में हवाई सफर करने वाले लोगों की जेब पर किराए का भारी बोझ बढ़ने वाला है। सरकार भारतीय हवाई अड्डों पर सिक्योरिटी की लागत कवर करने के लिए पैसेंजर सर्विस फीस (पी.एस.एफ.) में कम से कम 38 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। सरकार ने इससे पहले...

नई दिल्लीः आने वाले दिनों में हवाई सफर करने वाले लोगों की जेब पर किराए का भारी बोझ बढ़ने वाला है। सरकार भारतीय हवाई अड्डों पर सिक्योरिटी की लागत कवर करने के लिए पैसेंजर सर्विस फीस (पी.एस.एफ.) में कम से कम 38 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है। सरकार ने इससे पहले पी.एस.एफ. नहीं बढ़ाने का मन बनाया था और उसकी योजना इस लागत को कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया (सी.एफ.आई.) पर डाल देने की थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस डेफिसिट की फंडिंग करने से मना कर दिया। इसके बाद अब सरकार पी.एस.एफ. बढ़ा सकती है।

इतना बढ़ सकता है किराया
विमानन मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'वित्त मंत्रालय ने लागत को सी.एफ.आई. में ट्रांसफर करने पर रजामंदी दी थी, लेकिन ऐसा तभी करने को कहा था जब यह उसके लिए रेवेन्यू बराबर हो। इसके चलते हमें पी.एस.एफ. बढ़ाना पड़ेगा। हमारा आकलन है कि बढ़ोतरी 50 रुपए प्रति टिकट की रेंज में हो सकती है। इससे न केवल एनुअल फंड गैप खत्म करने में मदद मिलेगी, बल्कि पिछले कई वर्षों से जमा डेफिसिट भी पाटा जा सकेगा।' बता दें कि हर टिकट की बुकिंग पर 130 रुपए पी.एस.एफ. लिया जाता है। इस लेवी से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल हवाई अड्डों पर सुरक्षा इंतजाम पर खर्च में किया जाता है। मुख्य तौर पर इसका उपयोग एयरपोर्ट्स पर तैनात केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के लोगों को वेतन देने में किया जाता है।

यात्रियों पर पड़ेगा बोझ 
मंत्रालय का मानना था कि रेट्स में बढ़ोतरी से यात्रियों पर बोझ पड़ेगा। मंत्रालय चाहता था कि वित्त मंत्रालय एयरपोर्ट्स पर सिक्योरिटी कॉस्ट को सी.एफ.आई. में ट्रांसफर कर दे। कंसॉलिडेटेड फंड में किसी कॉस्ट हेड को डाले जाने के बाद सरकार ही डेफिसिट को सीधे तौर पर फाइनेंस करती है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने किसी भी डेफिसिट की फंडिंग करने से मना कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि देशभर में हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था की लागत 1300 करोड़ रुपए से ज्यादा है, जबकि पी.एस.एफ. के जरिए जुटाई जाने वाली रकम करीब 500 करोड़ रुपए कम पड़ती है। सार्वजनिक क्षेत्र के एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया का हर साल का 100 करोड़ रुपए का डेफिसिट है और उसका कहना है कि इसका भुगतान वह अपने कॉरपस से करता है। प्राइवेट एयरपोर्ट्स हालांकि अपने कॉरपस से पेमेंट नहीं करते हैं।

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