दिवालिया कानून में होगा और बदलाव, प्रवर्तकों के लिए बंद होंगे सभी रास्ते

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 11:18 AM

all ways will be closed for promoters in bankrupt law

सरकार दिवालिया प्रक्रिया के तहत नीलाम की जाने वाली कंपनियों के सफल बोलीदाताओं के लिए एक निश्चित अवधि तक कंपनी के साथ बने रहने की बंदिश लगाने पर विचार कर रही है। इसके जरिए सरकार चाहती है कि फंसी संपत्तियों के सफल बोलीदाता एक तय अवधि तक कंपनी के...

नई दिल्लीः सरकार दिवालिया प्रक्रिया के तहत नीलाम की जाने वाली कंपनियों के सफल बोलीदाताओं के लिए एक निश्चित अवधि तक कंपनी के साथ बने रहने की बंदिश लगाने पर विचार कर रही है। इसके जरिए सरकार चाहती है कि फंसी संपत्तियों के सफल बोलीदाता एक तय अवधि तक कंपनी के प्रवर्तकों या संबंधित पक्षों, होल्डिंग कंपनियों, सहायक इकाइयों और एसोसिएट कंपनियों को वापस कंपनी को हस्तांतरित या उसे बेच न सकें।

अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करना आवश्यक है, क्योंकि सरकार ने हालिया अध्यादेश के माध्यम से कर्ज संकट में फंसी कंपनियां जो एक साल से अधिक समय से गैर-निष्पादित आस्तियां बनी हुई हैं, उनके प्रवर्तकों को बोली से बाहर रखने का निर्णय किया है। एस्सार स्टील, भूषण स्टील और भूषण स्टील ऐंड पावर, मोनेट इस्पात और जेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी प्रमुख कंपनियों के प्रवर्तकों ने अपनी कंपनियों के लिए बोली लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। अधिकतर का कहना है कि इस नियम से कंपनी के मूल्यांकन में काफी कमी आ सकती है। नए अध्यादेश के तहत सरकार ने बोली में हिस्सा नहीं लेने वालों की पूरी सूची जारी की है। इसमें जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले, एक साल से अधिक समय से गैर-निष्पादित आस्तियों में वर्गीकृत कर्ज वाले तथा ब्याज सहित बकाया रकम चुकाने में अक्षम व्यक्ति शामिल हैं। इस सूची में कर्ज में फंसी संपत्ति के प्रवर्तकों की होल्डिंग कंपनी, सहायक या एसोसिएट कंपनी या संबंधित पक्ष भी शामिल हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी आर्र्र्सेलर मित्तल ने भी बोली में दिलचस्पी दिखाई है जबकि तथ्य यह है कि उत्तम गैल्वा के एनपीए सूची में शामिल होने के बाद भी कंपनी ने इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी नहीं ली। आर्सेलर मित्तल ने मौजूदा दिवालिया प्रक्रिया के तहत होने वाली नीलामी में फंसी कंपनियों के लिए बोली लगाने में दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि सेबी कानून के अंतर्गत प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह में ऐसे व्यक्ति को शामिल किया गया है, जिसकी कंपनी में 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी हो और परिचालन पर नियंत्रण हो। सूत्रों ने कहा कि इस बारे में स्पष्टता लाई जाएगी कि किसे बोली की अनुमति नहीं होगी।

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