Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 07:23 PM
स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ग्लोबल रेटिंग ने आज भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी- (बीबीबी-नकारात्मक) पर कायम रखा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि बेशक भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि मजबूत है लेकिन उसकी कम प्रति...
नई दिल्लीः स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ग्लोबल रेटिंग ने आज भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी- (बीबीबी-नकारात्मक) पर कायम रखा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि बेशक भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि मजबूत है लेकिन उसकी कम प्रति व्यक्ति आय और ऊंचा सरकारी कर्ज इसे संवेदनशील बना देता है।
उल्लेखनीय है कि मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने पिछले दिनों भारत की सॉवरेन रेटिंग में 13 साल से भी अधिक समय में पहली बार सुधार किया है। मूडीज ने कहा था कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों के जारी रहने से देश की वृद्धि संभावनाएं बेहतर हुई हैं।
इधर, एस एण्ड पी का कहना है कि भारत को जो रेटिंग दी गई है वह उसकी मजबूती जीडीपी वृद्धि, बेहतर विदेशी छवि और बेहतर मौद्रिक साख को परिलक्षित करती है। इसके साथ ही भारत के मजबूत लोकतांत्रिक संस्थान और उसका स्वतंत्र मीडिया नीतियों में स्थिरता और सुलह-सफाई को बढ़ावा देता है। इससे उसकी रेटिंग को भी समर्थन मिला है। लेकिन भारत की कम प्रति व्यक्ति आय और अपेक्षाकृत ऊंचा सरकारी कर्ज उसकी मजबूती के समक्ष उसे संवेदनशील बना देता है।
S&P ने कब-कब किया अपग्रेड
एस ऐंड पी ने पिछली बार जनवरी 2007 में भारत की रेटिंग रिवाइज करते हुए इसे बीबीबी निगेटिव रखा था, जिसे बॉन्ड्स के लिए सबसे निचले स्तर की इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग माना जाता है। इसके बाद 2009 में एजेंसी ने आउटलुक को नकारात्मक श्रेणी में रखा, जो 2010 में स्थिर रहा। इसके बाद 2012 में आउटलुक को नकारात्मक किया, जो नरेंद्र मोदी सरकार के आने तक स्थिर रहा है। हालांकि इसकी रेटिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह बीबीबी निगेटिव ही रहा। बता दें कि कुछ दिनों पहले मूडीज ने भारत की रेटिंग को बीएए 3 के बदले बीएए2 किया है, यानी स्टेबल से पॉजिटिव रेटिंग हो गई है। इस बदलाव का मतलब यह है कि भारत निवेश के लिहाज से इटली और फिलीपींस जैसे देशों की कतार में आ गया है।
अच्छी रेटिंग से क्या फायदा होगा?
स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) में अगर रेटिंग सुधरती है तो विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास और बढ़ेगा और विदेशी निवेशक खुलकर निवेश कर सकेंगे। घरेलू निवेशक भी पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, रुपया और मजबूत हो जाएगा। नोटबंदी, जी.एस.टी. जैसे बड़े फैसले पर मुहर लग जाएगी।