देश में कई सरकारी बैंकों का होगा मर्जर, कैबिनेट ने दी मंजूरी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Aug, 2017 09:05 AM

approval for merger of psu banks

पी.एस.यू. बैंकों के विलय के लिए कैबिनेट सैद्धान्तिक मंजूरी मिल गई है।

नई दिल्लीः पी.एस.यू. बैंकों के विलय के लिए कैबिनेट से सैद्धान्तिक मंजूरी मिल गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मर्जर के लिए अल्टरनेटिव मैकेनिज्म बनाने का फैसला लिया गया है। मैकेनिज्म के तहत मंत्रियों का समूह बनेगा। मर्जर वाले बैंकों के नाम समूह को सौंपे जाएंगे। मंत्रियों का समूह मर्जर प्रस्ताव मंजूर करेगा। बाद में बैंक बोर्ड से मर्जर को मंजूरी मिलेगी।

सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक बैंकों का मर्जर 4 बातों के आधार पर होगा। जैसे, एक ही इलाके वाले बैंकों का मर्जर होगा। बैंकों की एसेट क्वालिटी में तालमेल जरूरी होगा। बैंकों की कैपिटल एडिक्वेसी में तालमेल जरूरी होगा। बैंकों के मुनाफे का भी ख्याल रखा जाएगा। एस.बी.आई., आई.डी.बी.आई. बैंक को छोड़कर सभी बैंक इस कानून के तहत आएंगे। यह मर्जर बैंकिंग कंपनीज एक्ट के तहत होगा।

ये बैंक हो जाएंगे खत्म
-पंजाब नैशनल बैंक में ओ.बी.सी., इलाहाबाद बैंक, कार्पोरेशन बैंक, इंडियन बैंक का विलय हो सकता है। 
-केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक।
-यूनियन बैंक में सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और देना बैंक।
-बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और विजया बैंक
ऐसा नहीं है कि बैंकों का विलय पहले नहीं हुआ है। इससे पहले एस.बी.आई. में उसके एसोसिएट्स बैंक का, कोटक महिंद्रा बैंक में आई.एन.जी. वैश्या बैंक का विलय किया जा चुका है। हालांकि राजधानी में बैंकों और अर्थशास्त्री में अलग-अलग बातें शुरू हो चुकी हैं। कुछ बैंक कर्मियों में इस विलय को लेकर नौकरी जाने का डर सता रहा है। वहीं उपभोक्ताओं के मन में कई सवाल उठने लगे हैं।

2003 में तैयार हुआ था रोडमैप
सरकारी क्षेत्र में बैंकों के विलय को लेकर केंद्र सरकार पिछले डेढ़ दशक से विचार कर रही है। इस दौरान कई समितियों का गठन किया गया लेकिन कभी अमल नहीं किया जा सका। सबसे भारतीय बैंक संघ ने वर्ष 2003 में इसका रोडमैप तैयार किया था। उसके बाद यू.पी.ए. सरकार ने तत्कालीन वित्त सचिव आर एस गुजराल की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति ने सभी बैंकों को मिला कर सात बड़े बैंक बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन तमाम वजहों से इन पर आगे नहीं बढ़ा जा सका। मौजूदा राजग सरकार ने एस.बी.आई के साथ इसके पांच सब्सिडियरियों और एक अन्य भारतीय महिला बैंक के विलय की प्रक्रिया पूरी कर यह बता दिया था इस मुद्दे को अब ज्यादा दिनों तक नहीं लटकाया जाएगा।

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