Edited By ,Updated: 18 Mar, 2017 03:53 PM
भारत में वित्त वर्ष अप्रैल-मार्च की जगह जनवरी-दिसंबर हो सकता है। संसद की एक समिति ने देश में वित्त वर्ष का समय बदलने की यह सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि भारत में अंग्रेजी हुकूमत
नई दिल्लीः भारत में वित्त वर्ष अप्रैल-मार्च की जगह जनवरी-दिसंबर हो सकता है। एक संसदीय समिति ने देश में वित्त वर्ष का समय बदलने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि अंग्रेजों के शासन में भारत में अप्रैल से मार्च के बीच चलाई गई वित्त वर्ष की दशकों पुरानी परम्परा खत्म कर दी जानी चाहिए।
समिति की ओर से यह सलाह इस साल बजट मार्च की बजाय फरवरी में पेश करने वाली वित्तीय समिति की एक रिपोर्ट में दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति यह सुझाव देगी कि वित्तीय वर्ष को भी उसी हिसाब से बदलकर कैलेंडर वर्ष कर दिया जाए। रिपोर्ट मुताबिक ''समिति उम्मीद करती है कि सरकार अगले साल से अच्छी तैयारी करेगी।''
अंग्रेजों ने बनाया था वित्तीय वर्ष
वित्तीय वर्ष की मौजूदा व्यवस्था भारत सरकार ने 1867 में अपनाई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के वित्त वर्ष को ब्रिटेन सरकार के वित्त वर्ष के साथ मिलाना था। 1867 से पहले भारत में वित्त वर्ष एक मई से शुरू होता था और अगले साल 30 अप्रैल को समाप्त होता था।
कांग्रेस ने की है आलोचना
कांग्रेस सांसद एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने बजट पेश करने की तारीख पहले खिसकाने के मामले में जल्दबाजी को लेकर वित्त मंत्रालय की भी आलोचना की। समिति ने कहा कि बजट एक महीना पहले पेश किए जाने से पहले अच्छी तैयारी और पर्याप्त जमीनी काम किए जाने चाहिए थे।
गौरतलब है कि सरकार ने बजट संबंधित विधायी कार्य 31 मार्च तक पूरा करने के लिए उसे एक महीना पहले पेश करने का फैसला किया, ताकि संबंधित मंत्रालय वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही आबंटित धन खर्च करना शुरू कर सके।